HomeAdivasi Dailyवनजांगी पहाड़ियों पर आदिवासियों और वन विभाग के बीच तनातनी जारी

वनजांगी पहाड़ियों पर आदिवासियों और वन विभाग के बीच तनातनी जारी

स्थानीय निवासी लंबे समय से पर्यटन वाहनों से टोल एकत्र कर रहे हैं और छोटे खाने-पीने के ठेले और दुकानों का संचालन कर रहे है. अब उन्हें चिंता है कि वन विभाग के हस्तक्षेप से उनकी कमाई रुक जाएगी.

आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले में पडेरू के पास स्थित वंजंगी हिल्स (Vanjangi Hills) के आसपास के गाँवों के स्थानीय लोगों ने वन विभाग के अधिकारियों को अपने क्षेत्र में प्रवेश न करने की चेतावनी दी है और ऐसा करने पर परिणाम भुगतने की धमकी दी है.

आदिवासी समुदायों और वन विभाग के बीच चल रहा गतिरोध तब और गहरा गया जब अधिकारियों ने क्लाउड हिल्स के नाम से प्रसिद्ध वंजंगी हिल को कम्युनिटी बेस्ड इको-टूरिज्म (CBET) केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना की घोषणा की.

ग्रामीणों को डर है कि यह परियोजना उनके आजीविका के साधनों को बाधित कर सकती है. और उनका आरोप है कि केवल कुछ ही गांवों को शामिल किया जा रहा है, जिससे अन्य गांवों में नाराजगी बढ़ रही है.

स्थानीय निवासी लंबे समय से पर्यटन वाहनों से टोल एकत्र कर रहे हैं और छोटे खाने-पीने के ठेले और दुकानों का संचालन कर रहे है. अब उन्हें चिंता है कि वन विभाग के हस्तक्षेप से उनकी आमदनी बंद हो जाएगी, जिसके चलते वे प्रस्तावित इको-टूरिज्म परियोजना का कड़ा विरोध कर रहे हैं.

वानजंगी (पडेरु) और मडगडा (अराकू घाटी) की पहाड़ियों पर CBET योजनाओं को लेकर बढ़ती असंतुष्टि के बीच बुधवार (22 अक्टूबर, 2025) को कलेक्टरेट मीटिंग हॉल में दो अहम बैठकें निर्धारित की गई हैं.

जिला कलेक्टर दिनेश कुमार इन बैठकों की अध्यक्षता करेंगे, जिनका उद्देश्य सार्वजनिक प्रतिक्रिया इकट्ठा करना, चिंताओं की समीक्षा करना और समाधान प्रस्तुत करना है.

इन समन्वय बैठकों में CBET के लाभों को स्पष्ट किया जाएगा और वन विभाग तथा स्थानीय समुदायों के बीच संयुक्त विकास मॉडल पर चर्चा की जाएगी.

जिला वन अधिकारी संदीप रेड्डी ने बताया कि अब तक वंजंगी और मडगडा के लिए कोई महत्वपूर्ण सरकारी निधि जारी नहीं की गई थी. लेकिन अब नए आवंटनों के साथ विभाग पर्यटन के बुनियादी ढाँचे में में सुधार करना और राजस्व को स्थानीय विकास की ओर मोड़ना है.

CBET के तहत वित्त पोषित सुविधाएं पर्यटन को बढ़ावा देंगी, आर्थिक स्तर को ऊपर उठाएंगी और निवासियों को लाभ पहुंचाएंगी. हालांकि, ग्रामीण इन आश्वासनों से अभी भी असंतुष्ट हैं.

इंजीनियरिंग अधिकारियों को नगर नियोजन विभाग द्वारा पहचाने गए प्रस्तावित वेंडिंग जोनों का निरीक्षण करने का कार्य सौंपा गया है.

इन ज़ोन को रेहड़ी-पटरी वालों के लिए स्थायी, सुसज्जित स्थानों के रूप में विकसित किया जाएगा यानि इन ज़ोन को स्थायी और बेहतर सुविधाओं वाले क्षेत्रों के रूप में विकसित किया जाएगा.  

इसी के साथ-साथ ट्रैफिक मीडियनों और द्वीपों के सौंदर्यीकरण के प्रयास भी जारी हैं, जहां बागवानी विभाग को पौधरोपण और लैंडस्केपिंग के काम को तेज़ करने का निर्देश दिया गया है.

कमिश्नर केतन गर्ग ने विभागों के बीच समन्वय और सभी विकास कार्यों के समय पर निष्पादन की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने सीमित समय और अनुकूल मौसम को देखते हुए तेज़ और गुणवत्तापूर्ण कार्य की जरूरत बताई.

बागवानी उप-निदेशक दामोदर राव को विशेष रूप से केंद्रीय मीडियनों और ट्रैफिक द्वीपों पर हरियाली के कार्यों की निगरानी का कार्य सौंपा गया है.

हालांकि, स्थानीय लोग वन विभाग के वादों पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं. उन्हें आशंका है कि इस परियोजना से वे पर्यटन से होने वाली आय पर अपना नियंत्रण खो देंगे और निर्णय प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments