HomeAdivasi Dailyघाटशिला में हेमंत और चंपई दोनों की साख दांव पर लगी

घाटशिला में हेमंत और चंपई दोनों की साख दांव पर लगी

झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा की मौजूदगी से मुकाबला दिलचस्प हो गया है.

झारखंड की घाटशिला विधानसभा सीट पर उपचुनाव की सरगर्मी बढ़ गई है.

अब तक झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही थी, लेकिन झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) के मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.

जेएलकेएम प्रमुख जयराम महतो ने चुनाव को नया राजनीतिक रंग दे दिया है.

2024 के विधानसभा चुनाव में जयराम महतो ने कुड़मी युवाओं के बीच अपनी लोकप्रियता के कारण भाजपा-आजसू गठबंधन को काफ़ी नुकसान पहुंचाया था.

उनकी सक्रियता के चलते सुदेश महतो जैसी बड़ी हस्ती भी सिल्ली सीट से चुनाव हार गई थी. यही वजह है कि घाटशिला में उनकी मौजूदगी ने इस बार समीकरणों को जटिल बना दिया है.

मुख्य दलों के उम्मीदवार मैदान में

शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन से खाली हुई इस एसटी आरक्षित सीट पर 11 नवंबर 2025 को मतदान होगा.

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने दिवंगत मंत्री रामदास सोरेन के बेटे सोमेश सोरेन को प्रत्याशी बनाया है. पार्टी को यह उम्मीद रहेगी कि पिता की मृत्यु के बाद बेटे को इस सीट पर सहानभूति वोट मिल सकता है.

जेएमएम के लिए यह सीट जीतना अपने पारंपरिक गढ़ को बचाए रखने के लिए ज़रूरी है.

दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन को उम्मीदवार घोषित किया है.

रामदास सोरेन को 2024 के चुनाव में 98,356 वोट मिले थे, वहीं भाजपा के बाबूलाल सोरेन को 75,910 वोट हासिल हुए थे.

लेकिन उस चुनाव में एक बड़ा फ़र्क ये था कि रामदास सोरेन पार्टी के वरिष्ठ आदिवासी नेता थे. इसलिए बाबूलाल सोरेन उनसे हार गए थे.

लेकिन तीसरा मोर्चा यानी जेएलकेएम ने बाबूलाल सोरेन की लड़ाई को इस चुनाव में भी मुश्किल बना दिया है. क्योंकि जयराम महतो इस समय कुड़मी समुदाय के बड़े और लोकप्रिय नेता हैं.

उनके उम्मीदवार के मैदान में उतरने से बीजेपी को नुकसान होना तय है.

वहीं राजस्थान की राज्य स्तरीय पार्टी, भारत आदिवासी पार्टी (BAP) भी अब झारखंड में ज़मीन तलाश रही है.

भारत आदिवासी पार्टी राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में एक सक्रिय राजनीतिक दल है. इस पार्टी ने 2023 के विधानसभा चुनावों में राजस्थान में तीन और मध्यप्रदेश में एक सीट जीती थी.

चौरासी सीट से जीतने वाले राजकुमार रोत फिलहाल डूंगरपुर बांसवाड़ा से लोकसभा सांसद भी हैं.

भारत आदिवासी पार्टी ने भी घाटशिला में हो रहे उपचुनाव के लिए पंचानन सोरेन को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि झारखंड में अभी इस दल की जडें सीमित हैं लेकिन पार्टी “ट्राइबल प्रथम” एजेंडे के साथ मैदान में है.

झारखंड के कई जानेमाने आदिवासी नेताओं ने भारत आदिवासी पार्टी की आलोचना की है. उनका कहना है कि घाटशिला में वह बीजेपी की बी टीम की तरह से काम कर रही है.

वैसे भारत आदिवासी पार्टी ने पिछला यानि साल 2024 का लोकसभा चुनाव भी खूंटी से लड़ा था. इस सीट पर पार्टी अपनी ज़मानत तक खो बैठी थी.

चुनाव प्रक्रिया और पृष्ठभूमि

निर्वाचन आयोग ने उपचुनाव की तैयारियां पूरी कर ली हैं.

23 अक्टूबर 2025 नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख थी. इसके बाद कुल 13 उम्मीदवार मैदान में हैं.

क्षेत्र में कुल 2,55,823 मतदाता हैं. इसके लिए कुल 300 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. सुरक्षा व्यवस्था के लिए सीआरपीएफ की 10 कंपनियां तैनात की जाएंगी.

मतदाता सूची में इस बार 4,000 से अधिक नए नाम जोड़े गए हैं, जिससे पहली बार मतदान करने वाले युवाओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.

उपचुनाव का मतदान 11 नवंबर 2025 को होगा और परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे.

उपचुनाव से न केवल राजनीतिक दलों की ताकत का आंकलन होगा, बल्कि जनता की प्राथमिकताएं भी सामने आएंगी. चुनाव परिणाम राज्य की राजनीति में कई नए समीकरण बना सकते हैं.

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