वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय आदिवासियों द्वारा बनाए गए वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रहा है.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जनजातीय उद्यमों के लिए निर्यात और ई-कॉमर्स संपर्क बनाने के साथ-साथ उनके उत्पादों के लिए अंतर्राष्ट्रीय गोदाम बनाने में अपने मंत्रालय के सहयोग का आश्वासन भी दिया.
पीयूष गोयल ने बुधवार (12 नवंबर, 2025) को नई दिल्ली में पहले जनजातीय व्यापार सम्मेलन में आदिवासी उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आपके उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक योजना पर काम चल रहा है. चाहे ई-कॉमर्स के माध्यम से हो या अंतरराष्ट्रीय गोदाम बनाकर, ताकि आपके उत्पाद वहां प्रदर्शित हो सकें, आपके उत्पाद वहां उपलब्ध हो सकें और लोग आकर उन्हें खरीद सकें.’’
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने जनजातीय मामलों के मंत्रालय के लिए धन आवंटन में उल्लेखनीय वृद्धि की है.
पीयूष गोयल ने कहा कि विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत आदिवासी समुदाय के 50 लाख सबसे ज़रूरतमंद लोगों को 24 हज़ार करोड़ उपलब्ध कराए जाएँगे.
यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर में जनजातीय कार्य एवं संस्कृति मंत्रालय और उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में जनजातीय उद्यमों के लिए निवेश के वित्तपोषण, साझेदारी, उद्योग संपर्क और कौशल विकास जैसे विषयों पर पैनल चर्चा और मास्टरक्लास आयोजित किए गए.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि स्कूलों, विश्वविद्यालयों, उद्योगों और सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए कि आदिवासी कारीगरों और शिल्पकारों द्वारा बनाए गए उत्पाद बड़े घरेलू और वैश्विक बाजारों तक पहुंचें.
GI टैग शुल्क में 80 फीसदी की कटौती
गोयल ने यह भी सुझाव दिया कि उद्यमी उन वस्तुओं की पहचान करें जिन्हें भौगोलिक संकेतक (GI) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है.
मंत्री पीयूष गोयल ने भारत के आदिवासी समुदाय से देश के इतिहास और परंपराओं को संरक्षित रखने के लिए सभी संभावित शिल्प और उत्पादों के लिए जीआई टैगिंग में तेज़ी लाने का आग्रह किया है.
उन्होंने बताया कि अधिक आदिवासी उत्पादों को पंजीकृत कराने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु जीआई टैग प्राप्त करने का शुल्क 80 फीसदी घटाकर 5,000 से 1,000 रुपये कर दिया गया है.
इस कार्यक्रम में देश भर के आदिवासी कारीगरों को जीआई प्रमाणपत्र वितरित किए गए, जिनमें केरल का कन्नडिप्पाया (बांस की चटाई), अरुणाचल प्रदेश का अपातानी कपड़ा, तमिलनाडु का मार्तंडम शहद, सिक्किम का लेप्चा तुंगबुक, असम का बोडो अरोनाई, गुजरात का अंबाजी सफेद संगमरमर और उत्तराखंड का बेडु और बद्री गाय का घी शामिल हैं.
GI के अंतर्गत आने वाली वस्तुओं को 10 वर्षों के लिए कानूनी संरक्षण प्राप्त होता है.
आदिवासी उद्यमी भारत की प्रगति के चालक हैं – ओराम
यह सम्मेलन भारत सरकार के जनजातीय गौरव वर्ष समारोह के एक हिस्से के रूप में आदिवासी आदर्श बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था.
जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम ने आदर्श बिरसा मुंडा की जयंती वर्ष को इस तरह मनाने की पहल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया.
ओराम ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जब वे 21वीं सदी की शुरुआत में देश के पहले जनजातीय मामलों के मंत्री बने, तब देश के पास यह समझने के साधन नहीं थे कि ये समुदाय क्या करने में सक्षम हैं, वे कौन से उत्पाद बना सकते हैं और इस ज्ञान में कितनी राष्ट्रीय संपदा निहित है.
उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन इन सब बातों को पूरी दुनिया तक पहुंचाने का एक नया अवसर है.
वहीं जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री दुर्गादास उइके ने कहा, “यह ‘जनजातीय व्यवसाय सम्मेलन’ सिर्फ़ एक सम्मेलन नहीं बल्कि एक आंदोलन है. यह जनजातीय समाज के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता, बाज़ारों तक पहुँच और वैश्विक मान्यता प्राप्त करने की दिशा में एक अनूठा कदम.”
इस जनजातीय व्यवसाय सम्मेलन के आयोजन के पीछे की अवधारणा को समझाते हुए, डीपीआईआईटी की अतिरिक्त सचिव, हिमानी पांडे ने कहा कि इसका उद्देश्य जनजातीय उद्यमों को संगठित करना और उन्हें फॉर्मलाइज फाइनेंसिंग मैकेनिज्म के साथ काम करने के लिए प्रेरित करना था क्योंकि लोन उपलब्ध न होना एक बड़ी समस्या है.
उन्होंने आगे कहा कि ऐसे उद्यमों को प्रस्तुत करने के लिए पिचिंग सेशन आयोजित किए गए. वित्तदाताओं के साथ बातचीत भी हुई. इस सम्मेलन का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा यह पता लगाना था कि वे कैसे बेहतर प्रचार और प्रस्तुति कर सकते हैं.
सम्मेलन में 115 उद्यमों का चयन
इस सम्मेलन में जनजातीय क्षेत्रों में उद्यम-आधारित विकास को गति देने पर एक दिवसीय संवाद के लिए 250 से अधिक जनजातीय उद्यमियों को आमंत्रित किया गया था.
वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सम्मेलन में रूट्स टू राइज़ पिच कार्यक्रम में दो दौर के पिचिंग सेशन के बाद कुल 115 उद्यमों का चयन किया गया.
मंत्रालय ने कहा कि इनमें से 43 के पास पहले से ही डीपीआईआईटी रजिस्ट्रेशन था और 10 इनक्यूबेटर इन चयनित उद्यमों को सहायता प्रदान करने के लिए सहमत हुए हैं.
सरकार ने यह भी कहा कि 57 उद्यमों को 50 से अधिक उद्यम पूंजीपतियों और निवेशकों से निवेश में रुचि मिली, जिन्होंने कुल 10 करोड़ से अधिक की प्रतिबद्धता के साथ भाग लिया
मंत्रालय ने कहा, “इन स्टार्ट-अप और उद्यमों ने करीब 1,500 प्रत्यक्ष रोजगार और 10 हज़ार से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित किए हैं, जो कुल मिलाकर विभिन्न क्षेत्रों में 20 हज़ार से अधिक जनजातीय लोगों की सेवा कर रहे हैं.”