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Assam ST Status: विरोध बढ़ने पर असम सरकार ने आदिवासी समूहों को चर्चा के लिए बुलाया

असम सरकार ने छह समुदायों को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने के लिए ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर्स (GoM) की सिफारिश पर चर्चा के लिए असम के आदिवासी संगठनों की कोऑर्डिनेशन कमेटी (CCTOA) को बुलाया है. यह फैसला शनिवार से पूरे राज्य में हुए कई विरोध प्रदर्शनों के बाद आया है.

छह समुदायों को अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) का दर्जा देने को लेकर असम में विरोध प्रदर्शन बढ़ता ही जा रहा है. BJP की अगुवाई वाली असम सरकार के खिलाफ आदिवासी समुदायों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है. शनिवार से पूरे राज्य में कई विरोध प्रदर्शन हुए.  

दरअसल, असम में ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर्स (GoM) ने शनिवार को एक रिपोर्ट पेश की जिसमें राज्य के छह और समुदायों को ST का दर्जा देने की सिफारिश की गई थी. इसके बाद असम की मौजूदा अनुसूचित जनजातियों के विरोध का नेतृत्व करने वाली संस्था ने बड़े पैमाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.

GoM को ताई अहोम, चाय जनजाति, मोरन, मोटक, चुटिया और कोच-राजबोंगशी की एसटी दर्जे की मांग को पूरा करने के तरीके पर सिफारिश देने के लिए बनाया गया था. साथ ही असम की मौजूदा अनुसूचित जनजातियों के हितों, अधिकारों और खास अधिकारों की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी सिफारिश देने के लिए बनाया गया था.

मंत्रियों के इस समूह ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उसे इन समुदायों को ST लिस्ट में शामिल करने का “पूरा कारण” लगता है.

इस सबके बीच अब असम सरकार ने छह समुदायों को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने के लिए ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर्स (GoM) की सिफारिश पर चर्चा के लिए कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ़ द ट्राइबल ऑर्गेनाइज़ेशन्स ऑफ़ असम (CCTOA) को बुलाया है.

मौजूदा आदिवासी समुदायों पर कोई असर नहीं पड़ेगा – CM सरमा

राज्य में बढ़ते विरोध के बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को घोषणा की कि उनकी सरकार प्रदर्शनकारियों को रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा करने के लिए बुलाएगी.

सीएम सरमा ने सोमवार को छह समुदायों को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने पर मंत्रियों के समूह (GoM) की रिपोर्ट का बचाव करते हुए कहा कि इस डॉक्यूमेंट में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे लोगों के किसी भी वर्ग को “नाराज” हो.

उन्होंने कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वे सिफारिशों को पूरी तरह पढ़े या समझे बिना ऐसा कर रहे हैं.

कैबिनेट मीटिंग के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए सीएम सरमा ने कहा, “कुछ ग्रुप्स, खासकर असम के ट्राइबल ऑर्गेनाइजेशन्स की कोऑर्डिनेशन कमिटी (CCTOA) ने रिपोर्ट को पूरा पढ़े बिना ही उस पर कमेंट किया है.”

CCTOA ने इस आंदोलन को लीड किया है और उनका दावा है कि इन 6 समुदायों को ST कैटेगरी में शामिल करने से मौजूदा आदिवासी समुदायों पर बुरा असर पड़ सकता है.

हालांकि, मुख्यमंत्री सरमा ने भरोसा दिलाया कि GoM रिपोर्ट छह समुदायों को एसटी का दर्जा देने के लिए बनाई गई है, बिना मौजूदा ट्राइबल रिज़र्वेशन पर असर डाले. गलतफहमियों को दूर करने के लिए रानोज पेगु, केशव महंता और पीयूष हजारिका की तीन सदस्य वाली GoM टीम, CCTOA के एक डेलीगेशन से मिलकर रिपोर्ट समझाएंगे. ज़रूरत पड़ने पर सरमा उनसे पर्सनली भी मिल सकते हैं.

सरमा ने कहा, “रिपोर्ट में छह समुदायों को शिक्षा और नौकरियों में जगह देने के लिए तीन-लेवल के रिज़र्वेशन सिस्टम की सिफारिश की गई है. साथ ही मौजूदा एसटी समुदायों को भी सुरक्षित रखा गया है.”

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि मौजूदा एसटी समुदायों को मिलने वाले लाभों का कोई नुकसान नहीं होगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोगों में सिफारिशों को लेकर कुछ गलतफहमियां हैं क्योंकि उन्होंने सिफारिशों को ठीक से नहीं पढ़ा है.

उन्होंने कहा, “हालांकि, हमें यकीन है कि छह समुदायों को ST का दर्जा देने की सिफारिशें इस तरह से की गई हैं ताकि इससे असम में मौजूदा अनुसूचित जनजाति समुदायों को मिले अधिकारों और सुविधाओं पर कोई असर न पड़े.”

वहीं विपक्ष की आलोचना पर सरमा ने कहा कि केंद्र को रिपोर्ट जमा करने के लिए अभी भी समय है और कांग्रेस से सुझाव मांगे. साथ ही कहा कि कांग्रेस ने शुरू में छह समुदायों का समर्थन किया था लेकिन हाल ही में अपना रुख बदल लिया है. हम किसी भी पॉज़िटिव सुझाव पर विचार करेंगे.

GoM रिपोर्ट में क्या कहा गया है?

असम के अनुसूचित जनजाति समुदायों को अभी ST (मैदानी) में 10 फीसदी आरक्षण और ST (पहाड़ी) में 5 फीसदी आरक्षण के साथ बांटा गया है.  

रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है कि अविभाजित गोलपारा इलाके में रहने वाले तुलनात्मक रूप से छोटे समुदाय – मोरन, मोटक और कोच-राजबोंगियों को ST (मैदानी) लिस्ट में शामिल किया जाए.

रिपोर्ट में अहोम, चुटिया, चाय जनजाति और कोच-राजबोंगियों के लिए एक अलग ST (घाटी) कैटेगरी बनाने की सलाह दी गई है, जिसमें अविभाजित गोलपारा इलाके में रहने वाले लोगों को शामिल नहीं किया गया है, जिनके लिए राज्य सरकार की भर्ती और एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में अलग रिज़र्वेशन होगा.

GoM की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस व्यवस्था के साथ मौजूदा एसटी समुदाय जो मैदानी और पहाड़ी इलाके में हैं, उनका कोटा पूरी तरह सुरक्षित रहेगा. हालांकि, रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है कि केंद्र सरकार के आरक्षण के मामले में ये सभी समुदाय कॉमन ST पूल के तहत मुकाबला करेंगी क्योंकि एक ही नेशनल एसटी लिस्ट है.

मुद्दा गरमाता जा रहा

CCTOA के चीफ कन्वीनर आदित्य खाकलारी (Aditya Khaklari) जो मौजूदा एसटी समुदाय के विरोध को लीड कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि इस अरेंजमेंट से नेशनल लेवल पर मौजूदा एसटी समुदाय पर असर पड़ेगा.

जनसंख्या के मुताबिक, अनुसूचित जनजाति समुदाय राज्य की आबादी का 12.4 फीसदी हैं, जबकि एसटी दर्जे की मांग करने वाले समुदाय असम की आबादी का लगभग 27 फीसदी होने का अनुमान है.

आदित्य खाकलारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “नेशनल जॉब्स में एसटी का ऐसा कोई सब-कैटेगराइज़ेशन नहीं है. अगर इसे लागू किया जाता है तो मौजूदा जनजातियों को नौकरी और एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स तक एक्सेस नहीं मिलेगा क्योंकि वे ऑल-इंडिया लेवल पर खासकर अपर असम के ताई अहोम, चुटिया और कोच-राजबोंगशी जैसे एडवांस्ड कम्युनिटीज़ के साथ कम्पीट नहीं कर सकते. हम इन रिकमेन्डेशन्स का विरोध करते हैं और हमने इस पर मुख्यमंत्री के साथ हाई-लेवल डिस्कशन की मांग की है.”

CCTOA ने एक बयान में कहा है कि अगर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के साथ बातचीत की कोशिशें नाकाम रहीं तो वे एक बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे, जिसमें रेलवे और नेशनल हाईवे को ब्लॉक करने जैसे तरीके भी शामिल होंगे.

(Photo Credit: PTI)

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