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बीजापुर मुठभेड़ में 4 माओवादी ढेर, आदिवासी इलाकों में शांति की नई उम्मीद

माओवादी खुद को आदिवासियों के हितैषी बताते हैं, और उनकी जमीन व जंगलों की रक्षा का दावा करते हैं, लेकिन असल में वे आदिवासियों के लिए समस्या बन गए हैं.

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में हाल ही में सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में चार माओवादी मारे गए, इनमें दो महिलाएं थीं.

मुठभेड़ में मारे गए चारों माओवादी संगठन के टॉप कमांडर थे

इनमें दो महिला माओवादी — हंगा और लक्के — दोनों क्षेत्रीय समिति सदस्य (ACM) थीं और हर एक पर ₹5 लाख का इनाम था.

तीसरे माओवादी भीमे पर भी ₹5 लाख का इनाम था.

जबकि चौथे, निहाल उर्फ राहुल, जो एक कमांडर का निजी गार्ड था, उस पर ₹2 लाख का इनाम था.

ये सभी बस्तर क्षेत्र में सक्रिय थे, और इन पर कुल ₹17 लाख का इनाम था.

मुठभेड़ 26-27 जुलाई 2025 की रात बीजापुर के बासगुड़ा और गंगलूर जंगलों में हुई, जहां सुरक्षा बलों को सूचना मिली थी.

करीब तीन घंटे चली इस मुठभेड़ में माओवादी मारे गए और उनके पास से हथियार, ग्रेनेड, विस्फोटक सामग्री भी बरामद हुई.

माओवादी और आदिवासी समाज का रिश्ता उलझा हुआ रहा है.

माओवादी खुद को आदिवासियों के हितैषी बताते हैं, और उनकी जमीन व जंगलों की रक्षा का दावा करते हैं, लेकिन असल में वे आदिवासियों के लिए समस्या बन गए हैं.

आदिवासी इलाकों में माओवादी हिंसा, जबरन भर्ती, स्कूल और अस्पतालों को नुकसान पहुंचाने जैसी गतिविधियों में लिप्त रहे हैं.

जिसकी वजह से आदिवासियों को शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास से वंचित होना पड़ा.

इससे पहले, 21 जुलाई 2025 को बीजापुर जिले में माओवादियों के हमले में दो आदिवासी ग्रामीणों की हत्या कर दी गई थी.

इसके एक दिन पहले, एक 16 वर्षीय लड़का आईईडी विस्फोट में गंभीर रूप से घायल हो गया था.

इस प्रकार, माओवादियों की हिंसा के कारण आदिवासी समुदाय को लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है.

आदिवासी अक्सर दो तरफ से फँस जाते हैं ,एक तरफ माओवादियों का डर और दबाव होता है, जो उन्हें अपने साथ ज़बरदस्ती जोड़ने की कोशिश करते हैं,

और दूसरी तरफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई होती है, जिसमें कई बार निर्दोष आदिवासी भी परेशान हो जाते हैं

इन लड़ाइयों के कारण आदिवासी समाज लंबे समय तक हिंसा, भय, और विकास की कमी झेलता रहा है.

उन्हें न केवल अपनी जमीन खोने का डर है,  बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी में भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.

माओवादियों के मारे जाने के बाद अब बीजापुर और आसपास के आदिवासी क्षेत्रों में विकास की उम्मीद जगी है.

सुरक्षा बलों की मौजूदगी बढ़ने से वहां के लोग अब भयमुक्त होकर शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे.

छत्तीसगढ़ सरकार ने माओवादियों के खिलाफ सुरक्षाबलों की कार्रवाई की सराहना की है.

मुख्यमंत्री ने इसे राज्य में नक्सलवाद के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की सफलता बताया है.

सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में विकास कार्यों को प्राथमिकता दी है, ताकि माओवादियों के प्रभाव को कम किया जा सके.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस ऑपरेशन की सराहना की है.  उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से मुक्त करना है.

इस घटना को आदिवासी समाज के लिए एक नई शुरुआत माना जा रहा है, जिसमें उन्हें विकास और सुरक्षा दोनों मिल सकें.

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