जनजातीय कार्य मंत्रालय ने एक नई पहल की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य आदिवासी इलाकों में काम करने वाले स्थानीय कार्यकर्ताओं को और ज्यादा सक्षम बनाना है.
इस पहल के तहत, कार्यकर्ताओं को इस तरह से प्रशिक्षण दिया जाएगा कि वे अपने गांव और समुदाय के लोगों को सरकारी योजनाओं, स्वास्थ्य, शिक्षा और विकास से जुड़ी जरूरी जानकारियां ठीक से समझा सकें.
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को “आदि कर्मयोगी” नाम दिया गया है.
यह कार्यक्रम दरअसल आदिवासी क्षेत्रों में ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे लोगों को बेहतर बनाने की एक बड़ी कोशिश है.
भुवनेश्वर में इस कार्यक्रम के लिए एक सप्ताह की प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू की गई है, जिसमें ओडिशा, झारखंड और बिहार से आए हुए 25 से ज़्यादा आदिवासी कार्यकर्ता हिस्सा ले रहे हैं.
इस कार्यक्रम को भारत ग्रामीण आजीविका फाउंडेशन यानी BRLF की मदद से चलाया जा रहा है.
इसमें कार्यकर्ताओं को पंचायत व्यवस्था, सरकारी योजनाओं का सही उपयोग, सामाजिक सुरक्षा, जल-संसाधन और शिक्षा से जुड़े विषयों पर जानकारी दी जा रही है.
खास बात यह है कि यह सारा प्रशिक्षण स्थानीय भाषा और सांस्कृतिक समझ के साथ दिया जा रहा है, ताकि लोगों को समझने और समझाने में आसानी हो.
इस योजना के तहत पहले कुछ मुख्य लोगों को गहराई से ट्रेनिंग दी जाती है.
बाद में वही लोग अपने जिले और गांव के अन्य कार्यकर्ताओं को भी यह ज्ञान देते हैं.
इस तरह यह एक ‘सीख और सिखाओ’ वाला मॉडल है, जो धीरे-धीरे हर गांव तक पहुंचेगा.
इस पूरी पहल का मकसद यह है कि आदिवासी समुदाय के लोग भी सरकारी योजनाओं और सेवाओं का पूरा लाभ ले सकें.
साथ ही, वे अपने अधिकारों और अवसरों को भी अच्छे से समझ सकें.
जब जानकारी सीधे अपने गांव के किसी भरोसेमंद व्यक्ति से मिलेगी, तो लोगों में जागरूकता और आत्मविश्वास दोनों बढ़ेगा.
सरकार को उम्मीद है कि यह पहल आने वाले समय में आदिवासी क्षेत्रों में बदलाव लाएगी.
इससे न सिर्फ प्रशासन और लोगों के बीच की दूरी कम होगी, बल्कि गांवों का विकास भी तेज़ी से होगा.