HomeAdivasi Dailyमनीष मात्र एक ग्राम हीमोग्लोबिन के सहारे ज़िंदा है

मनीष मात्र एक ग्राम हीमोग्लोबिन के सहारे ज़िंदा है

देश में चल रहे आम चुनाव (Loksabha Election 2024) के बीच मध्य प्रदेश से परेशान करने वाली ख़बर आई है. यहां के पन्ना ज़िला अस्पताल में एक अति कुपोषित आदिवासी बच्चा दाखिल हुआ है जिसमें मात्र एक ग्राम हीमोग्लोबिन बचा है

मध्य प्रदेश के पन्ना जिला अस्पताल में कुपोषण से पीड़ित डेढ़ साल का मासूम भर्ती हुआ है. उसके शरीर में मात्र एक ग्राम हीमोग्लोबिन बचा है. बच्चे की गंभीर हालत को देखते हुए तत्काल रक्त की व्यवस्था कराई गई. साथ ही पोषण पुनर्वास केंद्र में खाना और इलाज की व्यवस्था की गई है. इस बच्चे का नाम मनीष बताया गया है. 

कुपोषित बच्चे की मां जयंती आदिवासी ने इलाज के लिए उसे अस्पताल में भर्ती कराया है. उसके पिता अल्लू आदिवासी दिल्ली मजदूरी करने गए हुए हैं. कल यानि गुरुवार को मनोर के नयापूरा के डेढ़ वर्षीय मनीष आदिवासी को पोषण पुनर्वास केंद्र पन्ना में भर्ती कराया गया, जिसकी स्थिति गंभीर है. पोषण पुनर्वास केंद्र के कर्मचारियों ने तत्काल इलाज और जांच की व्यवस्था कराई. रक्त जांच में पता चला कि कुपोषित मनीष आदिवासी के शरीर में मात्र एक ग्राम हीमोग्लोबिन बचा है. जिसके बाद तुरंत रक्त की व्यवस्था कराई.

सरकारें लगातार आदिवासी भारत में भूख और कुपोषण से मौत की ख़बरों को ख़ारिज करती है. लेकिन सच्चाई यही है कि आदिवासी भारत में भूख और कुपोषण एक बड़ा मुद्दा है. मध्य प्रदेश की ही बात करें तो सरकार ने इसी साल फ़रवरी महीने में विधान सभा में बच्चों से जुड़े कुपोषण के आंकड़े पेश किये थे. 

यहां पर 1.36 लाख से अधिक बच्चे कुपोषण (Moderate Acute Malnutrition) यानी कि MAM या अति कुपोषण (Severe Acute Malnourished) यानी कि SAM से जूझ रहे हैं. कुपोषित श्रेणी के सबसे अधिक बच्चे जनजातीय बाहुल्य जिलों में हैं. 

मुख्यमंत्री बाल आरोग्य संवर्धन कार्यक्रम (Mukhyamantri Bal Arogya Samvardhan Program) के तहत प्रदेश भर से दर्ज किए गए आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश में 29 हजार 830 बच्चे SAM श्रेणी में, जबकि 1 लाख 6 हजार 422 बच्चे MAM श्रेणी में रजिस्टर्ड हैं. 

सरकारी आंकड़े कहते हैं कि नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 30 जनवरी, 2024 तक की स्थिति में कुल 1 लाख 36 हजार 252 बच्चे कुपोषित हैं. यह आंकड़े महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया (Women and Child Development Minister Nirmala Bhuria) ने सदन में प्रश्नोत्तर के दौरान दिये थे.

इससे पहले भी मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों में बच्चों में कुपोषण से जुड़े आंकड़े दिये गए थे. इस सिलसिले में अटल बिहारी वाजपेयी बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन की ताजा तिमाही रिपोर्ट में मध्य प्रदेश में करीब 78 हजार बच्चों में कुपोषण मिला है। ये वो बच्चे हैं, जो रोजाना आंगनबाड़ी पहुंचते हैं. रिपोर्ट जनवरी, फरवरी और मार्च 2023 की है. वहीं सबसे ज्यादा गंभीर कुपोषित बच्चे आदिवासी बहुल इलाकों में मिले है. 

मध्य प्रदेश में जिन ज़िलों में सबसे ज़्यादा आदिवासी बच्चे कुपोषण से ग्रस्त हैं उनमें अलिराजपुर, बडवानी, धार, पन्ना, श्योपुर, झाबुआ, खरगोन, खंडवा जैसे कई ज़िले शामिल हैं.

अफ़सोसो की बात ये है कि भूख और कुपोषण से आदिवासी बच्चों की मौत स्थानीय अख़बारों में ही दब जाती हैं. इन मुद्दों पर देश के आम चुनाव में भी कोई चर्चा सुनाई नहीं दे रही है.

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