हाल ही में आंध्र प्रदेश के पार्वतीपुरम मान्यम जिले के कुरुपम स्थित आदिवासी कल्याण आवासीय बालिका विद्यालय में पीलिया फैलने से दो छात्राओं की इलाज के दौरान मौत हो गई. जबकि 120 से ज़्यादा छात्राएं अस्पताल में भर्ती हैं.
यह मामला तब सामने आया जब दशहरा की छुट्टियों में घर लौटने पर 41 छात्राओं ने स्वास्थ्य समस्याओं की शिकायत की.
मृतकों की पहचान कंबागुडु गाँव की अंजलि पुव्वुला (कक्षा 8) और दंडुसूरु गाँव की तोयाका कल्पना (कक्षा 9) के रूप में हुई है.
मामला सामने आने के बाद ज़िला अधिकारियों ने करीब 600 छात्रों की जांच की थी, जिनमें लगभग 120 वायरल बुखार या पीलिया के मामलों की पुष्टि हुई.
गंभीर लक्षणों वाले 37 छात्रों को विशाखापत्तनम के किंग जॉर्ज अस्पताल (KGH) में रेफर कर दिया गया, जबकि अन्य का पार्वतीपुरम के ज़िला अस्पताल में इलाज चल रहा है.
छात्राओं के बीमार पड़ने की वजह जल प्रदूषण को माना जा रहा है.
मृतक आदिवासी छात्रों के लिए 25 लाख रुपये मुआवजे की मांग
वहीं विपक्षी वाईएसआरसीपी (YSRCP) के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने सरकार से मृतक छात्राओं अंजलि और कल्पना के प्रत्येक परिवार के लिए तत्काल 25 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा करने की मांग की है.
इसके अलावा प्रतिनिधिमंडल ने पार्वतीपुरम-मन्याम जिले के आदिवासी स्कूलों में सुरक्षित पेयजल सुविधा सुनिश्चित करने में विफल रहने वाले दोषी अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई शुरू करने की मांग की.
वाईएसआरसीपी पार्टी के नेताओं ने दोनों छात्राओं अंजलि और कल्पना की मौत के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया.
उन्होंने कहा कि अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवा के कारण छात्राओं की पीलिया और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मृत्यु हो गई.
अराकू सांसद गुम्मा थानुजा रानी, विजयनगरम जिला परिषद अध्यक्ष मज्जी श्रीनिवास राव, पार्वतीपुरम के पूर्व विधायक अलजंगी जोगाराव और अन्य ने विशाखापत्तनम के किंग जॉर्ज अस्पताल में भर्ती उन छात्रों से बातचीत की, जो पीलिया और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं.
एक प्रेस विज्ञप्ति में थानुजा रानी ने सोमवार को कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने ज़िले के 611 आदिवासी स्कूलों में आरओ वाटर प्लांट समेत सभी सुविधाएं सुनिश्चित की थीं. लेकिन वर्तमान एनडीए सरकार इन प्लांटों का रखरखाव सही ढंग से नहीं कर सकी.
उन्होंने मांग की कि पार्वतीपुरम-मन्यम ज़िले के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती 120 छात्रों के लिए उचित स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई जाए.
वहीं मज्जी श्रीनिवास राव ने पार्वतीपुरम-मन्यम ज़िले में शिक्षा विभाग समेत कई विभागों में नियमित अधिकारियों की अनुपस्थिति का आरोप लगाया.
इससे पहले वाईएसआरसीपी नेताओं ने पार्वतीपुरम जिले के आदिवासी आवासीय विद्यालयों में खतरनाक स्वास्थ्य संकट के लिए गठबंधन सरकार की आलोचना की थी.
उन्होंने सरकार की आलोचना की कि वह ज़िम्मेदारी लेने के बजाय स्थानीय कर्मचारियों को निलंबित करके छात्रावास में हुई मौतों को छुपा रही है.
वाईएसआरसीपी नेताओं ने कहना है कि छात्रावास में पंखे और मच्छरदानी जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नदारद हैं और सफ़ाई कर्मचारियों को तीन महीने से वेतन नहीं मिला है.
इस बीच, पार्वतीपुरम-मन्यम ज़िले के कलेक्टर एन. प्रभाकर रेड्डी ने कहा कि एहतियात के तौर पर शिवन्नापेटा आदिवासी स्कूल में एक हफ़्ते की छुट्टी कर दी गई है.
उन्होंने कहा कि छात्रों के बल्ड टेस्ट सहित सभी मेडिकल टेस्ट किए गए हैं और अस्पतालों से मेडिकल रिपोर्ट मिलने के बाद आवश्यक कार्रवाई करने का आश्वासन दिया.
गठबंधन सरकार की घोर लापरवाही
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और वाईएसआरसीपी अध्यक्ष वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने आदिवासी छात्राओं की दुखद मौत के लिए चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार की घोर लापरवाही को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया.
वाईएस जगन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि कुरुपम गर्ल्स ट्राइबल गुरुकुल स्कूल में आरओ प्लांट के खराब होने से छात्राओं को दूषित पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे पीलिया फैल गया. केवल चार दिनों के भीतर, दो लड़कियों की जान चली गई जबकि कई अन्य गंभीर रूप से बीमार पड़ गईं.
उन्होंने कहा कि स्कूल में 611 छात्राएं होने के बावजूद राज्य सरकार ने चौंकाने वाली उदासीनता दिखाई है.
उन्होंने पूछा, “क्या एक जिम्मेदार सरकार इसी तरह प्रतिक्रिया देती है? जब गरीब बच्चे मर रहे हैं तो मुख्यमंत्री और उनके मंत्री क्या कर रहे हैं? क्या आप आदिवासी लड़कियों की दुर्दशा के प्रति अंधे हैं?”
अपने कार्यकाल को याद करते हुए वाईएस जगन ने कहा कि वाईएसआरसीपी सरकार ने शिक्षा को एक पवित्र मिशन माना और नाडु-नेडु कार्यक्रम के माध्यम से स्कूलों को शिक्षा के मंदिरों में बदल दिया.
उन्होंने कहा, “हमने 11 प्रकार की बुनियादी सुविधाएं प्रदान कीं थी…बिजली, लाइटें, पंखे, फ़र्नीचर, डिजिटल पैनल, सुरक्षित पेयजल, शौचालय और बहुत कुछ. बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए, आरओ प्लांट लगाए गए थे. हमने अम्मा वोडी, अंग्रेज़ी माध्यम, सीबीएसई और आईबी में बदलाव, टीओईएफएल प्रशिक्षण, कक्षा 8 के छात्रों के लिए टैब, विषय शिक्षक प्रणाली और पौष्टिक मिड-डे-मील शुरू किया. निरंतर निगरानी और समीक्षाओं के माध्यम से हमने सुनिश्चित किया कि किसी भी बच्चे को कोई परेशानी न हो.”
उन्होंने चंद्रबाबू नायडू और उनके बेटे लोकेश, जो अब शिक्षा विभाग के प्रमुख हैं, की निजी हितों के साथ मिलीभगत और सार्वजनिक शिक्षा को व्यवस्थित रूप से नष्ट करने के लिए आलोचना की.
वाईएस जगन ने कहा, “हमारे शासन में सरकारी स्कूलों की अच्छी प्रतिष्ठा अब खराब हो गई है. आपके कुकृत्यों के कारण करीब 5 लाख छात्र सरकारी स्कूलों से बाहर हो गए हैं.”
बार-बार की लापरवाही की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि छात्रावासों में फूड-प्वाइजनिंग, आरओ प्लांट की मरम्मत में विफलता और असुरक्षित स्कूल की स्थिति आम बात हो गई है.
उन्होंने कहा, “इसी लापरवाही ने आज निर्दोष आदिवासी लड़कियों की जान ले ली है. ये मौतें सरकारी हत्याओं से कम नहीं हैं.”
नैतिक ज़िम्मेदारी की मांग करते हुए, वाईएस जगन ने चंद्रबाबू नायडू से शोक संतप्त परिवारों से माफ़ी मांगने का आग्रह किया.
उन्होंने मांग की, “कम से कम सरकार को अब तो जागना ही होगा, स्कूलों में सुरक्षित सुविधाएँ सुनिश्चित करनी होंगी और बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा करनी होगी. मृतकों के परिवारों को तुरंत 25-25 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाना चाहिए, क्योंकि ये मौतें सरकार की नाकामी का सीधा नतीजा हैं.”