गुरूवार को आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के अल्लूरी सीताराम राजू (Alluri Sitaraman Raju) में गिरीजन सहकारी निगम (Girijan Cooperative Corporation) ने आदिवासी किसानों से कॉफी बीन्स (coffee beans) खरीदे.
जिसके संदर्भ में राज्य के दिगुमोदापुट्टू गांव में जीसीसी के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक जी. सुरेश कुमार द्वारा कॉफी बीन्स कलेक्शन और वेटिंग को लॉन्च किया गया.
आदिवासियों की मेहनत की सराहना करते हुए जीसीसी के कर्मचारी सुरेश कुमार ने कहा कि ये सिर्फ और सिर्फ उनकी लगन और मेहनत से ही संभव हो पाया कि जीसीसी की अराकू वैली कॉफी को आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इतनी प्रशंसा मिली है.
सुरेश ने बातचीत के दौरान संगठन के लक्ष्य से भी सभी को अवगत करवाया. उन्होंने बताया की इस साल के लक्ष्य के तहत 1500 मीट्रीक टन कॉफी को खरीदा जाएगा. यह कॉफी कंपनी के 9 अलग अलग सोसाइटी पडेरु, चिंतापल्ली और रामपचोदावरम इत्यादि में रहे रहें आदिवासी किसानों से इकट्ठा होगी.
इस बारे में मिली अन्य जानकारी के अनुसार जीसीसी द्वारा अलग अलग कॉफी के अलग अलग दाम रखे गए हैं. अरेबिका प्रचमंट कॉफी बीन्स का दाम 280 रूपये प्रति किलो तय किया गया. वहीं अन्य कॉफी जैसे अरेबिका चैरी कॉफी की कीमत 145 प्रति किलो और रोबेस्टा चेरी कॉफी की कीमत 70 रूपये प्रति किलो है.
ऐसा इसलिए है ताकि किसी भी आदिवासी किसान का बिचोलिया द्वारा शोषण ना किया जाए. इसके अलावा अभी तक संगठन द्वारा इस खरीद बिक्री से आदिवासियों को फायदा ही हुआ है.
2022 से 2023 तक के आंकड़ो को खंगाले तो अरेबिक प्रचमेंट और अरेबिक चैरी कॉफी के 1000 टन खरीदे जा चुके हैं और 20.07 करोड़ रूपये आदिवासियों को संगठन द्वारा दिए गए है.
इसके अलावा जीसीसी के कर्मचारी द्वारा ये भी जानकारी मिली कि अराकु वैली के कॉफी उत्पादन को हैदराबाद और विशाखापटनम में पसंद किया जाता है और इन्हें एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन के पर्यटको द्वारा भी अत्याधिक सेवन किया जाता है.
जीसीसी संगठन सिर्फ आदिवासियों द्वारा उत्पादित कॉफी बीन्स को एक नया प्लेटफॉर्म नहीं देते बल्कि आदिवासियों की कई तरह से मदद भी करते हैं.
इसके लिए संगठन द्वारा ऋण सहायता, कॉफी बीन्स के अच्छे दाम सुनिश्चित करना और सुईफ फंड जैसी सुविधा प्रदान की जाती है.