महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने पीएम के मन की बात कार्यक्रम में अराकू कॉफी के ज़िक्र के बाद उन्हें धन्यवाद दिया था.
उन्होंने पेरिस में पैंथियन के पास अराकू कॉफी परोसने वाला दूसरा कैफे खोलने की घोषणा की थी.
उन्होंने कहा था कि आज पेरिस के लोग हर रोज़ स्टोर के बाहर कतार लगाकर अपनी कॉफी के कप का इंतज़ार करते हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि जल्द ही पैंथियन के पास पेरिस में दूसरा कैफ़े खोला जा रहा है.
उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने लिखा कि आदिवासी पुनर्योजी कृषि पद्धति (Regenerative technique) से अराकू घाटी में कॉफी उगाते हैं. उन्होंने कहा कि अब यह कॉफी विश्व स्तर पर एक मशहूर ब्रांड बन चुकी है. इसे दुनिया की सबसे अच्छी गुणवत्ता वाली कॉफी में से एक माना जाता है.
आनंद महिंद्रा नंदी फाउंडेशन के चेयरमैन और ट्रस्टी भी हैं. बिज़नेसमैन आनंद महिंद्रा ने कहा कि नंदी फाउंडेशन के बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में वे इसके 25 साल के सफ़र से अच्छी तरह वाकिफ हैं.
उन्होंने कहा कि चंद्रबाबू नायडू की आज्ञा के बाद उन्होंने दिवंगत अंजी रेड्डी के साथ मिलकर नंदी फाउंडेशन के माध्यम से आदिवासी किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाली कॉफी उगाने के लिए प्रेरित किया था.
आनंद महिंद्रा ने नंदी फाउंडेशन के सीईओ मनोज कुमार की भी खूब तारीफ की.
इसके बाद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस खबर पर खुशी जताई. उन्होंने आनंद महिंद्रा की पिछली पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर लिखा कि पेरिस में एक और कैफे खुलेगा यह बहुत अच्छी खबर है. उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि अराकू कॉफी वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रही है.
मुख्यमंत्री ने कहा नंदी फाउंडेशन के अराकूनॉमिक्स और गिरिजन कोऑपरेटिव कॉरपोरेशन ने एक सपने को सच कर दिखाया. इससे हमारे आदिवासी भाई-बहनों का जीवन बदल गया. उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में आंध्र प्रदेश सफलता की ऐसी और कहानियां लिखेगा.
क्या है अराकू कॉफी की खासियत?
कॉफी के उत्पादक देशों में भारत छठें स्थान पर आता है. वैसे तो भारत में कॉफी की खेती के मामले में सबसे आगे कर्नाटका है और इसके बाद के दो स्थानों पर केरल और तमिलनाडू हैं. लेकिन आंध्र प्रदेश की अराकू कॉफी सबसे ज़्यादा मशहूर है.

अराकू कॉफी आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू ज़िले के पूर्वी घाट में स्थित अराकू घाटी में उगाई जाती है.
चॉकलेट, कारमेल और छोटे फल वाले अम्लता का स्वाद इस कॉफी की विशेषता है. इसे आदिवासी किसानों और सहकारी समितियों द्वारा विविध कृषि प्रणाली रिजेनेरेटिव तकनीक से उगाया जाता है.
यह वहां के लोगों के लिए आजीविका का साधन है. अराकू कॉफी की खेती से सामुदायिक सशक्तीकरण को भी बढ़ावा मिलता है.
अराकू कॉफी को कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं. अराकू कॉफी को कैफे डी कोलंबिया प्रतियोगिता (Café de Colombia Competition) में “सर्वश्रेष्ठ रोबस्टा” का पुरस्कार प्राप्त है. इसके खास गुणों के कारण साल 2019 में इसे जीआई टैग (Geographical Indication) भी दिया गया था.
वैसे तो देश ही नहीं विदेश में भी आदिवासियों द्वारा उगाई जाने वाली इस कॉफी के चर्चे हैं. लेकिन इस कॉफी से हुए मुनाफे में से उनके हिस्से में कितना पैसा आता है, इस पर कोई बात नहीं करता.