असम में बोड़ोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) के चुनाव 22 सितंबर 2025 को होंगे.
नामांकन भरने की अंतिम तारीख 2 सितंबर है, जबकि नामांकन की जांच 4 सितंबर को होगी.
उम्मीदवारों के नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 6 सितंबर है.
इस बार कुल 3,359 मतदान केंद्र बनाए गए हैं ताकि हर वोटर आसानी से वोट डाल सके. चुनाव का परिणाम 26 सितंबर को घोषित किये जाएगें
बोड़ोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल यानी BTC का चुनाव इसलिए भी खास है क्योकीं ये इलाका भारत के संविधान की छठी अनुसूची के तहत आता है.
संविधान की छठी अनुसूचि पूर्वोत्तर के कई राज्यों के आदिवासियों के लिए स्वायत्त परिषदों के गठन का प्रावधान करता है.
यह प्रावधान आदिवासी स्वशासन प्रणाली और संस्कृति की रक्षा के लिए किया गया है.
“BTC में कुल 40 सीटें होती हैं, जिनमें से 30 सीटें सिर्फ आदिवासी समुदाय (बोडो) के लिए आरक्षित हैं. इसके अलावा 5 सीटें गैर-आदिवासियों के लिए हैं. यानि इन सीटों पर किसी भी समुदाय के लोग चुनाव लड़ने के लिए योग्य माने जाएंगे.
लेकिन ग़ैर आदिवासी सीटों पर आदिवासी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
और बाकी 5 सीटें सभी के लिए खुली होती हैं. यानि इन सीटों पर चाहे तो कोई आदिवासी समुदाय का व्यक्ति भी चुनाव लड़ सकता है.
चुनाव आयोग के मुताबिक, बोड़ोलैंड के 6 जिलों में कोक्राझार, चिरांग, बाक्सा, उदालगुड़ी और तमुलपुर में कुल 26.58 लाख वोटर हैं.
इनमें 13.34 लाख महिलाएं, 13.23 लाख पुरुष और 17 ट्रांसजेंडर मतदाता शामिल हैं. 2020 की तुलना में वोटरों की संख्या में लगभग 11% की बढ़ोतरी हुई है.
बीटीसी के इलाके में बोडो के अलावा भी कई समुदायों के लोग रहते हैं. इनमें राभा, टी ट्राइब, गारो, कोच-राजबोंग्शी और अन्य गैर-जनजातीय समुदाय भी रहते हैं.
यहां लंबे समय से आदिवासी और गैर-आदिवासी के बीच भेदभाव और टकराव की स्थिति देखी जाती रही है—चाहे वह जमीन के अधिकार हों, शिक्षा, नौकरियां या सरकारी योजनाओं के लाभ की.
साल 2019 में बीजेपी ने एक लोकल पार्टी United People’s Party Liberal (UPPL) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था.
UPPL बोड़ोलैंड की एक बड़ी जनजातीय पार्टी है, जो खासकर Bodo समुदाय के लोगों का समर्थन पाती है.
उसी चुनाव में बीजेपी और UPPL का गठबंधन काफी सफल रहा और दोनों ने मिलकर बोड़ोलैंड में अपनी सरकार बना ली.
उस समय UPPL के नेता प्रमोद बोड़ो को बोड़ोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) का मुख्य कार्यकारी सदस्य बनाया गया था.
लेकिन इस बार बीजेपी और यूपीपीएल ने अलग अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
यह माना जा रहा है कि बीटीसी चुनाव असम में विधानसभा चुनाव से पहले के माहौल का संकेत भी हो सकते हैं.
इसके साथ ही इस पूरे इलाके में बीजेपी राज्य विधानसभा चुनाव में बीटीसी इलाके में गठबंधन की सभी संभावनाओं को खुला रखना चाहती है.

