HomeAdivasi Dailyअसम कांग्रेस ने आदिवासी ज़मीन से जुडे मुद्दे पर सरकार को घेरा

असम कांग्रेस ने आदिवासी ज़मीन से जुडे मुद्दे पर सरकार को घेरा

असम प्रदेश कांग्रेस लगातार आदिवासी के भूमि अधिकार को लेकर हिमंत बिस्वा सरमा की सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है. कांग्रेस आदिवासियों की अपनी ज़मीन से उन्हें बेदखल किए जाने से लेकर उनकी ज़मीन को बड़े - बड़े उद्योगपतियों को बेचने तक के मुद्दों को उठा रही है.

असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (APCC) ने असम मानवाधिकार आयोग (AHRC) को पत्र लिखकर राज्यभर में हुई बेदखली और ज़मीन अधिग्रहण की कार्रवाइयों पर गंभीर सवाल उठाए हैं.

कांग्रेस का कहना है कि इन कार्रवाइयों से आदिवासी, मूलनिवासी, अल्पसंख्यक और विस्थापित परिवार प्रभावित हो रहे हैं.

पार्टी ने आयोग से स्वतः संज्ञान लेकर जांच करने की मांग की है.

नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया ने अपने पत्र में कई घटनाओं का उल्लेख किया है.

उन्होंने इस पत्र में 8 जुलाई को धुबरी ज़िले में लगभग 1,400 घर तोड़े जाने का ज़िक्र किया है.

उन्होंने बताया है कि इससे करीब 10,000 लोग प्रभावित हुए.

यह कार्रवाई असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (APDCL) के सोलर पावर प्रोजेक्ट के लिए की गई.

सैकिया का आरोप है कि पुनर्वास स्थल सुरक्षित नहीं है क्योंकि इस क्षेत्र के बाढ़ ग्रस्त होने का खतरा बना रहता है.

अदालत के आदेशों का उल्लंघन

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि धुबरी की यह बेदखली गुवाहाटी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर की गई.

इसके अलावा, कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि 2024 में सोनापुर के कचुटाली और 2019 से 2024 के बीच नगांव के मिखिर बामुनी ग्रांट में हुई कार्रवाइयों में भी आदिवासी और छोटे किसानों को बिना परामर्श बेदखल किया गया था.

सैकिया ने यह भी कहा कि सिबसागर और हैलाकांडी ज़िलों में पुलिस परियोजनाओं के लिए जंगल की ज़मीन का उपयोग बिना केंद्र सरकार की अनुमति के किया गया, जो वन संरक्षण अधिनियम 1980 का उल्लंघन है.

संवैधानिक और अंतरराष्ट्रीय अधिकारों का मुद्दा

कांग्रेस ने कहा कि इन कार्रवाइयों से संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन हुआ है.

इसके साथ ही वन अधिकार अधिनियम 2006 और पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम 1996 का भी पालन नहीं किया गया.

कांग्रेस ने इसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधियों जैसे मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा और नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय करार का भी उल्लंघन बताया.

करबी आंगलोंग में ज़मीन उद्योगपतियों को?

इसी बीच करबी आंगलोंग ज़िला कांग्रेस अध्यक्ष रतन इंगती ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है.

उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, ज़िले की 1,53,250 बीघा ज़मीन बाहरी उद्योगपतियों को दी गई है.

उन्होंने कहा कि करबी आंगलोंग स्वायत्त ज़िला है और यहां की ज़मीन गैर-आदिवासियों को नहीं दी जा सकती.

इसके बावजूद, अडानी समूह को सौर ऊर्जा परियोजना के लिए 18000 बीघा ज़मीन; अंबानी समूह को नेपियर घास परियोजना के लिए 13000 बीघा, अन्य सौर परियोजनाओं के लिए 6000 बीघा ज़मीन; बीघा एपीडीसीएल को पंप स्टोरेज के लिए 1,395 बीघा और रामदेव व गोदरेज को पाम ऑयल खेती के लिए 116250 बीघा ज़मीन सौंप दी गई.

इंगती ने कहा कि करबी आंगलोंग स्वायत्त परिषद 200 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज़ में डूबी है.

छोटे ठेकेदारों, व्यापारियों और कर्मचारियों को भुगतान नहीं हो रहा, जबकि करोड़ों की सरकारी राशि गबन कर ली गई है.

(Image is for representation)

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