HomeAdivasi Dailyबोडोलैंड विस्थापितों को मरहम लगाने की कोशिश, फिर से बसाए जाएंगे

बोडोलैंड विस्थापितों को मरहम लगाने की कोशिश, फिर से बसाए जाएंगे

1993 और 2014 के बीच 970 से अधिक पूर्वी बंगाल मूल के मुस्लिम, आदिवासी और बोडो बोडो उग्रवादियों के हमले से उत्पन्न जातीय संघर्ष में मारे गए. जबकि हजारों लोग अपने घरों और गाँवों से विस्थापित हो गए.

असम के बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) प्रशासन ने 1996 से जातीय और सांप्रदायिक दंगों में अपने घरो और गाँवों से विस्थापित हजारों बोडो समुदाय और आदिवासियों के पुनर्वास का फैसला किया है. बीटीसी प्रमुख प्रमोद बोडो ने रविवार को यह जानकारी दी.

दावा किया जा रहा है कि उनका पुनर्वास कार्यक्रम अगले तीन महीने में किया जाएगा और उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना और जल जीवन मिशन समेत विभिन्न केंद्रीय योजनाओं के तहत सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी.

पुनर्वास कार्यक्रम की शुरुआत कोकराझार जिले के आदिवासी और बोडो लोगों से होगी. प्रमोद बोडो ने कहा कि यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोगों को दुखों और पीड़ाओं के साथ दो दशकों से अधिक समय तक अपने घरों से दूर रहना पड़ा.

चिरांग, बक्सा, उदलगुरी और कोकराझार के चार पश्चिमी जिलों वाले बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (BTR) में अलग-अलग बोडो-संथाल संघर्षों और उग्रवादियों की हिंसा में 1996 से अब तक 2.5 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.

प्रमोद बोडो ने मीडिया से कहा कि बीटीसी ने अगले तीन महीनों के भीतर विस्थापित बोडो, संथाल और अन्य लोगों को उनके गांवों में वापस ले जाने का फैसला किया है. कुछ विस्थापित लोग पिछले 25 सालों से राहत शिविरों में शरण लिए हुए थे जबकि अन्य कहीं और स्थानांतरित हो गए थे.

उन्होंने कहा कि बोडोलैंड क्षेत्रों में 1996, 2008, 1998 और 2012 में बड़ी घटनाओं के साथ कई जातीय दंगे और उग्रवादी हिंसा देखी गई.

युनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (UPPL) के अध्यक्ष बोडो ने कहा कि बीटीसी प्रभावित लोगों को उनके मूल गाँवों में पुनर्वास करने और एक सामंजस्यपूर्ण और शांतिपूर्ण बीटीआर बनाने का इच्छुक है.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वापसी करने वालों के लिए मकान बनाए जाएंगे और साथ ही अन्य क्षेत्र विकास योजनाओं पर भी काम किया जाएगा. उन्होंने कहा कि दंगा और उग्रवाद प्रभावित लोग इतने सालों में सुरक्षा कारणों से अपने इलाकों में नहीं लौटे. बीटीसी ने उनके गांवों में पुलिस चौकियां स्थापित करने का फैसला किया है.

दिसंबर 2014 में संथाल भी प्रभावित हुए थे जब नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (NDFB) के उग्रवादियों ने बीटीआर और उसके आसपास हिंसक हमलों की एक श्रृंखला को अंजाम दिया था जिसमें लगभग 76 लोग मारे गए थे.

 1993 और 2014 के बीच 970 से अधिक पूर्वी बंगाल मूल के मुस्लिम, आदिवासी और बोडो बोडो उग्रवादियों के हमले से उत्पन्न जातीय संघर्ष में मारे गए. जबकि हजारों लोग अपने घरों और गाँवों से विस्थापित हो गए.

बीटीसी प्रमुख ने कहा कि हिंसा से विस्थापित हुए 8.4 लाख में से कुछ लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं जबकि कई लोग सुरक्षा की तलाश में अन्य जगहों पर चले गए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि एनएफडीबी के पूर्व चरमपंथियों को जल्द ही पुनर्वासित किया जाएगा क्योंकि अब भंग संगठन के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं.

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