प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में बांसवाड़ा में आयोजित एक रैली में आदिवासी कल्याण के मुद्दे पर भाजपा की नीतियों का प्रचार किया.
उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों में विकास और कल्याण को भाजपा की प्राथमिकता बताया. हालांकि, इस भाषण के दौरान भाजपा की नीतियों और उनके प्रभाव पर सवाल उठने लगे हैं.
पिछले चुनावों में भाजपा की स्थिति
पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा को बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी.
इन क्षेत्रों में भाजपा को केवल दो सीटें ही मिल पाईं जबकि भारत आदिवासी पार्टी (BAP) ने बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी.
यह परिणाम भाजपा के लिए एक बड़ा झटका था. इस परिणाम से ये साफ हो गया था कि आदिवासी समुदायों में उनकी पकड़ कमजोर होती जा रही है.
ऐसे में प्रधानमंत्री के इस भाषण को आदिवासी इलाकों में पार्टी की उपस्थिति मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.
प्रधानमंत्री के भाषण में आदिवासी कल्याण का ज़िक्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में पीएम मित्र पार्क, धार (मध्य प्रदेश) का उदाहरण दिया. उनका कहना है कि यह योजना आदिवासी किसानों को स्थायी रोज़गार और आजीविका देने के लिए बनाई गई है.
इसके अलावा उन्होंने गांवों को आधुनिक बनाने और लाखों आदिवासी लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए चल रही पीएम जनमन योजना और धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान का भी ज़िक्र किया.
प्रधानमंत्री ने आदिवासी बच्चों की पढ़ाई पर भी ध्यान देने की बात कही. उन्होंने कहा इसके लिए हज़ारों एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल बनाए जा रहे हैं.
उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भी जिक्र किया, जो एक गरीब आदिवासी परिवार से निकलकर देश की सर्वोच्च संस्था तक पहुंची हैं.
मोदी ने वन धन योजना का भी हवाला दिया. इस योजना से आदिवासी अपने जंगल से मिलने वाले उत्पादों को बेहतर दाम पर बेचकर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि आदिवासी इलाकों का विकास करने के लिए शिक्षा, रोज़गार और बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान देने की ज़रूरत है.
मोदी ने कहा, “भारत के आदिवासी समुदाय हजारों सालों से जंगल और प्राकृतिक संसाधनों का सही इस्तेमाल करते आए हैं. अब उनकी भलाई सरकार की प्राथमिकता है.”
उन्होंने विकास, सांस्कृतिक सुरक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण को आदिवासी इलाकों में भरोसा जीतने का रास्ता बताया.
बांसवाडा पावर प्रोजेक्ट के विरोध का ज़िक्र तक नहीं
प्रधानमंत्री ने ये दिखाने की खूब कोशिश की कि आदिवासी कल्याण उनकी प्राथमिकता है.
लेकिन उन्होंने माही बांसवाड़ा राजस्थान एटॉमिक पावर प्रोजेक्ट (MBRAPP) के खिलाफ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने वाले आदिवासियों का कोई ज़िक्र तक नहीं किया.
यह परमाणु बिजली घर माही नदी और नपला गांव के पास बनाने की योजना है. इस न्यूक्लियर प्लांट से 2800 मेगावॉट बिजली बनाई जाएगी.
इसके लिए कई गांवों की ज़मीन अधिग्रहित की जा रही है. आदिवासी समुदाय का कहना है कि इस प्रोजेक्ट की वजह से कई गांवों के लोग बेघर हो रहे हैं.
पहले ये अटकले लगाई जा रही थीं कि प्रधानमंत्री ही इस प्रोजेक्ट की नींव रखेंगे. लेकिन विरोध प्रदर्शन के चलते ऐसा नहीं हो पाया.
लेकिन पीएम मोदी ने इसके बारे में बात करना भी ज़रूरी नहीं समझा और वे केवल आदिवासियों को बहलाने के लिए उनके हित में चलाई जा रही योजनाओं का ही ज़िक्र करते रहे.
कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि भाजपा के इस भाषण का मकसद पार्टी की आदिवासी-केंद्रित नीतियों को दिखाना और भविष्य के चुनावों से पहले इन जिलों में पार्टी की पकड़ मजबूत करना है.