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मध्य प्रदेश: तीन साल से बैगा आदिवासी दंपत्ति को नहीं मिल रही नसबंदी की अनुमति

प्रेम कुमार और उनकी पत्नी कई सालों से नसबंदी के इलाज के लिए अस्पतालों में चक्कर लगा रहे है. लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है. क्योंकि राज्य में घटती जनसंख्या के कारण बैगा आदिवासियों पर नसबंदी के लिए प्रतिबंध लगाया गया है.

मध्य प्रदेश(Tribe of Madhya Pradesh) के जबलपुर जिले के रहने वाले आदिवासी दंपत्ति, नसबंदी (Sterilization) करवाने के लिए तीन सालों से संघंर्ष कर रहे हैं.

प्रेम कुमार और उनकी पत्नी कमलावती बैगा आदिवासी (Baiga tribe) है. राज्य में बैगा आदिवासियों पर लगे प्रतिबंध के कारण आदिवासी दंपत्ति नसबंदी का इलाज़ नहीं करवा पा रहे हैं.

प्रेम पेशे से मजदूर है और दो बच्चों के पिता है. उनके पास इतने पैसे नहीं है की वे अपने इन दो बच्चों को भी पाल सके.

उन्होंने कहा, “सरकार ने बैगा आदिवासियों की कम होती जनसंख्या की वज़ह से प्रतिबंध तो लगा दिए है. लेकिन हमें सरकारी लाभ नहीं दिया जा रहा है और हमे गरीबी में जीने के लिए छोड़ दिया गया है. अभी जितनी कमाई होती है उसमें दो बच्चे पालना भी मुश्किल होता जा रहा है.”

प्रेम कुमार अब तक कई सरकारी अस्पतालों के चक्कर लगा चुके है. लेकिन प्रत्येक अस्पताल से उन्हें निराशा ही हाथ लगी है.

जब प्रेम कुमार का यह मामला क्षेत्रीय स्वास्थ्य निदेशक के पास पहुंचा तो उन्होंने कहा की राज्य में बैगा आदिवासियों की संख्या घट रही है. इसलिए सरकार द्वारा बैगा समुदाय पर नसबंदी के लिए प्रतिबंध लगाए गए है. उन्होंने कहा कि नसबंदी के लिए कलेक्टर की अनुमति बेहद जरूरी है.

वहीं जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कहा की हमने प्रेम का आवेदन ले लिया है और कानून के हिसाब से न्याय किया जाएगा.

आदिवासी हो या मुख्यधारा समाज का कोई शख्स नसबंदी पर व्यक्तिगत फैसला होना चाहिए.

एक तरफ जहां प्रशासन अपने नसबंदी के बढ़ते आकड़ों को दर्शाने के लिए असहाय आदिवासी का जबरन नसबंदी करवा देती है. वहीं दूसरी तरफ बैगा आदिवासी दंपत्ति को नसबंदी की अनुमति नहीं दी जा रही है.

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