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झारखंड: आदिवासी जमीन की अवैध खरीद-ब्रिकी को रोकने के लिए जांच का फैसला

झारखंड में आदिवासी जमीन की अवैध खरीद-ब्रिकी को रोकने के लिए राज्य सरकार ने जांच करने का फैसला किया है. हालांकि पहले भी राज्य में इस मामले को लेकर जांच हुई थी लेकिन उसकी रिपोर्ट अभी तक दर्ज नहीं हुई है.

झारखंड(Tribes of Jharkhand) के छोटानागपुर(Chotanagpur) और संथाल परगना (Santhal Pargna) में आदिवास ज़मीन की अवैध तरीके से खरीद-बिक्री हो रही है.

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने जांच का फैसला किया है. जिसके लिए छोटानागपुर और संताल परगना के आयुक्त को जांच का जिम्मा दिया गया है.

राज्य सरकार का कहना है कि आयुक्तों को 45 दिनों के अंदर इस मामले की जांच करनी है. यह भी आदेश दिया गया की छह महीने के अंदर इसकी रिपोर्ट तैयार कर संबंधित प्रशासन को सौंपी जाए.

दरअसल, राज्य में सीएनटी-एसपीटी (CNT-SPT) और पेसा एक्ट (PESA Act) का उल्लंघन कर आदिवासियों की ज़मीन खरीदी और बेची जा रही है.

इसी सिलसिले में झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा की सरकार के इतने सख्त कानून के बावजूद आदिवासियों का हक मारा जा रहा है.

पेसा एक्ट को पांचवी अनुसूची के राज्यों के लिए रक्षा कवच माना जाता है. इसे 24 दिसंबर 1996 को संसद में पारित किया गया था.

हेंब्रम ने मांग की केंद्रीय कानूनों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए. उन्होंने छोटानागपुर और संताल परगना के कई ऐसे मामले बताए जिसमें आदिवासियों की ज़मीन पर कब्जा किया गया हो.

उन्होंने कहा कि आदिवासियों की ज़मीन को लूटा जा रहा है. इसके अलावा उन्होंने यह आरोप लगाया कि ये सब आदिवासियों को मिटाने की साजिश है.

यह भी पता चला है की अवैध तरीके से आदिवासियों की ज़मीन पर खरीद-ब्रिकी को रोकने के लिए पहले भी सरकार द्वारा विधानसभा कमेटी बनाई गई थी. इस कमेटी का गठन झामुमो नेता स्टीफन मरांडी की अध्यक्षता में किया गया था.

उस समय कमेटी ने राज्यभर से शिकायत मांगी थी. हालांकि अभी तक उस कमेटी की रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई.
इसलिए ऐसा कहना शायद गलत नहीं होगा की फिर से लिया गया जांच का फैसला एक चुनावी प्रचार है.

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