ओडिशा( Tribes of Odisha) के आदिवासी गंगा दुरूआ की बिना उनकी इजाज़त के नसबंदी ( vasectomy) की गई. गंगा बोलने अक्षम है और अभी अविवाहित है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National human rights commission) ने ओडिशा सरकार को यह आदेश दिया की पीड़ित को एक लाख रूपये दिए जाए.
इसके अलावा राज्य सरकार को यह भी आदेश दिया गया की पीड़ित से सहमति लेने के बाद उसकी नसबंदी को ख़त्म करे.
सुप्रीम कोर्ट के वकील और सामाजिक कार्यकर्ता राधाकांत त्रिपाठी ने मामले को लेकर याचिका दर्ज की थी.
जिसके बाद राज्य सरकार से रिपोर्ट आते ही मानव अधिकार आयोग ने आदेश जारी किया.
इस मामले में दायर याचिका से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य के मलकानगिरी ज़िले में स्थित मैथली उप-विभागीय अस्पताल (एसडीएच) के अधिकारियों ने 3 अगस्त 2023 को गंगा की नसबंदी की थी.
ऐसा इसलिए किया ताकि इलाके में हो रही नसबंदी के बढ़ते मामलों को दर्शाया जा सके.
त्रिपाठी ने अपने याचिका में कहा, “ आशा कार्यकर्ता की रिपोर्ट के बाद अस्पताल के अधिकारियों ने नसबंदी का फैसला किया. उन्होंने अपनी याचिका में पूरे मामले की छानबीन का आग्रह किया था.
मानव अधिकार आयोग की जांच में यह भी पता चला है की नसंबदी के बाद मिलने वाले पैसे भी पीड़ित को नहीं दिए गए.
इसके अलावा अस्पताल के जो भी अधिकारी इस ऑपरेशन में शामिल थे. उन सभी को नोटिस भेजा गया और उनसे इस मामले की पूछताछ की गई.
जिसके जवाब में अधिकारियों ने कहा की उन्होंने ऐसा अनजाने में किया है.
नसबंदी करने का उद्येश्य जनसंख्या नियंत्रण करना होता है और किसी भी व्यक्ति की नसंबदी बिना उसकी इजाज़त के करना गैर कानूनी है
आदिवासी समाज में कई बार लालच देकर या फिर बिना सहमति के नसंबदी करवाई जाती है. देश के कई आदिवासी समुदायों में पहले से ही जनसंख्या कम होने का खतरा है. ऐसे में इन अवैध नसंबदियों से उनकी जनसंख्या में काफी प्रभाव पड़ सकता है.