राजस्थान के बांसवाड़ा में 16 साल की एक आदिवासी लड़की के साथ हुए बलात्कार ने पूरे राज्य में गुस्सा और नाराजगी फैला दी है.
यह घिनौना अपराध 20 अगस्त को हुआ और इसके बाद से राजनीति और समाज में तीखी प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं.
लोग इस मामले में जल्दी न्याय और जिम्मेदारी की माँग कर रहे हैं. विपक्ष के नेता टीकाराम जुली ने सोशल मीडिया पर इस घटना की कड़ी निंदा की और बीजेपी सरकार पर लड़कियों की सुरक्षा में नाकाम रहने का इल्ज़ाम लगाया.
उन्होंने कहा कि बीजेपी का “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” नारा इस घटना के सामने खोखला लगता है.
यह दिल दहलाने वाली घटना तब हुई जब दो नाबालिग लड़कों ने स्कूल से घर लौट रही इस लड़की का अपहरण कर लिया.
उसने बहुत कोशिश की, लेकिन उसे एक सुनसान जगह पर ले जाया गया, जहाँ उसके साथ क्रूरता की गई.
अपराधी इतने बेरहम थे कि उन्होंने लड़की के निजी अंगों में बोतल डाल दी, जिससे वह बेहोश हो गई.
अगले दिन एक राहगीर ने उसे बहुत खराब हालत में देखा और उसे फौरन अस्पताल ले गया.
बाद में उसे उदयपुर के एमबी अस्पताल में भेजा गया, जहाँ उसकी सर्जरी हुई. डॉक्टरों का कहना है कि अब उसकी हालत बेहतर हो रही है.
लड़की के परिवार ने पुलिस में शिकायत की, लेकिन शुरू में स्थानीय पुलिस ने इसे हल्के में लिया और इसे हादसा बताया.
इस रवैये की सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं ने कड़ी आलोचना की.
कांग्रेस की प्रवक्ता और आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता दिव्यानी कटारा ने अस्पताल में लड़की से मिलकर इस घटना को दिल्ली के निर्भया मामले से जोड़ा और बहुत दुख व गुस्सा जताया.
उदयपुर के सांसद मन्नालाल रावत ने इस मामले में पूरी जाँच और अपराधियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की माँग की.
उन्होंने जिला कलेक्टर से परिवार को सरकारी मदद देने की भी गुज़ारिश की.
बांसवाड़ा पुलिस ने मुख्य अपराधी को पकड़ लिया है और जाँच शुरू कर दी है. यह घटना समाज में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर बड़े सवाल उठाती है.