झारखंड की मशहूर नेता और कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की को कांग्रेस पार्टी ने एक बड़ी जिम्मेदारी दी है.
उन्हें आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए ऑल इंडिया आदिवासी कांग्रेस का पर्यवेक्षक (Observer) बनाया गया है.
इसका मतलब यह है कि अब वे बिहार में कांग्रेस की ओर से आदिवासी समाज से जुड़ी पूरी चुनावी तैयारी की निगरानी करेंगी.
यह फैसला पार्टी ने रविवार को लिया.
ऑल इंडिया आदिवासी कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने एक आधिकारिक पत्र जारी करके यह जानकारी दी.
पत्र में लिखा गया है कि शिल्पी नेहा तिर्की बिहार के आदिवासी इलाकों में जाकर कांग्रेस और उसके गठबंधन को मज़बूत करेंगी.
उनका काम होगा कि वे हर गांव और हर आदिवासी परिवार तक पहुँचें, लोगों की समस्याएँ सुनें और उन्हें कांग्रेस के पक्ष में एकजुट करें.
यह फैसला इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि बिहार में कई इलाके ऐसे हैं जहाँ आदिवासी समुदाय की संख्या काफी ज़्यादा है, खासकर सीमांचल, चंपारण और दक्षिण बिहार के कुछ जिलों में.
अब कांग्रेस चाहती है कि ये आदिवासी वोट कांग्रेस गठबंधन के साथ आएँ, जिससे पार्टी को मजबूत आधार मिल सके.
शिल्पी नेहा तिर्की ने इस जिम्मेदारी के लिए कांग्रेस नेतृत्व का धन्यवाद किया.
उन्होंने कहा कि यह उनके लिए गर्व की बात है कि पार्टी ने उन्हें इतना भरोसा दिया.
उन्होंने कहा कि वे अपनी पूरी मेहनत से बिहार में काम करेंगी और कांग्रेस गठबंधन की जीत के लिए आदिवासी समाज को जोड़ेंगी.
शिल्पी ने कहा, “बिहार में बदलाव की लहर चल रही है.
लोग विकास, शिक्षा और रोजगार चाहते हैं. कांग्रेस उस दिशा में काम करने को तैयार है.”
शिल्पी नेहा तिर्की झारखंड की जानी-मानी नेता हैं.
वे सिमडेगा जिले से आती हैं और उनके पिता स्टीफन मरांडी झारखंड के पुराने कांग्रेस नेता रह चुके हैं.
उन्हें झारखंड की राजनीति में आदिवासी महिलाओं की आवाज़ माना जाता है.
जब से वे कृषि मंत्री बनी हैं, उन्होंने किसानों और ग्रामीण महिलाओं के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं.
बिहार चुनाव की दृष्टि से देखें तो कांग्रेस की यह रणनीति साफ है ,पार्टी आदिवासी मतदाताओं के साथ-साथ दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग को भी एक साथ लाने की कोशिश कर रही है.
इसके लिए शिल्पी नेहा जैसी युवा और सक्रिय नेता को मैदान में उतारना पार्टी की सोच को दिखाता है कि वह जमीनी स्तर पर काम करना चाहती है.
दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी पीछे नहीं है.
भाजपा के झारखंड से सांसद और बिहार चुनाव के सह प्रभारी दीपक प्रकाश ने कहा कि बिहार में एनडीए की सरकार एक बार फिर बनेगी.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की योजनाओं से राज्य में काफी विकास हुआ है.
भाजपा का दावा है कि शिक्षा, सड़क, बिजली और पानी जैसी योजनाओं ने आम लोगों का जीवन आसान बनाया है.
दीपक प्रकाश ने बताया कि छठ पूजा के बाद झारखंड के भाजपा नेता बिहार में जाकर एनडीए के लिए प्रचार अभियान चलाएँगे.
भाजपा का मानना है कि बिहार के लोग “विकास की राजनीति” को वोट देंगे और एक बार फिर मोदी-नीतीश पर भरोसा जताएँगे.
अब देखने की बात यह है कि बिहार में आदिवासी मतदाता किस ओर रुख करते हैं.
इस बार का चुनाव खास इसलिए भी है क्योंकि आदिवासी मतदाता कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.
कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियाँ जानती हैं कि आदिवासी समाज को साथ लाना आसान नहीं है. इसके लिए उन्हें जमीनी काम और भरोसे की ज़रूरत होगी.
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि शिल्पी नेहा तिर्की का मैदान में उतरना कांग्रेस के लिए “सॉफ्ट पॉवर” की तरह है.
वे युवा हैं, पढ़ी-लिखी हैं और ग्रामीण इलाकों में उनकी अच्छी पकड़ है.
उनकी छवि ईमानदार और मेहनती नेता की है.
अगर वे आदिवासी समाज को कांग्रेस के पक्ष में एकजुट कर पाती हैं, तो बिहार के कई इलाकों में कांग्रेस को फायदा मिल सकता है.
अभी चुनाव की तारीखें आधिकारिक रूप से घोषित नहीं हुई हैं, लेकिन सभी पार्टियाँ अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गई हैं.
कांग्रेस का फोकस इस बार “जनजातीय गौरव” और “स्थानीय विकास” पर है. वहीं भाजपा “विकसित बिहार” और “सशक्त राष्ट्र” के नारे के साथ आगे बढ़ रही है.
शिल्पी नेहा तिर्की की यह नियुक्ति कांग्रेस के लिए एक बड़ा राजनीतिक कदम है.
यह न केवल बिहार बल्कि पूरे पूर्वी भारत में आदिवासी राजनीति को नई दिशा दे सकती है.
आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि वे बिहार के आदिवासी इलाकों में किस तरह लोगों से जुड़ती हैं और कांग्रेस के लिए कितनी जनसमर्थन जुटा पाती हैं.

