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वरिष्ठ भाजपा नेताओं की मणिपुर यात्रा के बीच लोकप्रिय सरकार गठन की चर्चा तेज़

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष ने इंफाल में पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह सहित 29 पार्टी विधायकों के साथ बंद कमरे में बैठक की. चर्चा जनता का विश्वास फिर से बनाने, 2027 के चुनावों के लिए पार्टी को मज़बूत करने और फरवरी 2026 में राष्ट्रपति शासन समाप्त होने से पहले एक लोकप्रिय सरकार की संभावित बहाली पर केंद्रित रही

मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष के बाद फरवरी, 2025 में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया थ. अगस्त में छह महीने की राष्ट्रपति शासन की समय-सीमा पूरी होने से पहले इस छह और महीने के लिए बढ़ा दिया गया था. यानि राज्य में राष्ट्रपति शासन को फरवरी 2026 तक बढ़ा दिया गया है.

इस सबके बीच एक लंबे वक्त के बाद बुधवार (12,नवंबर,2025) को मणिपुर में बड़ी सियासी हलचल सामने आई.

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी.एल. संतोष और पार्टी के पूर्वोत्तर समन्वयक संबित पात्रा बुधवार को इम्फाल पहुंचे, जिससे यह अटकलें लगाई जाने लगीं कि केंद्रीय नेतृत्व राज्य में एक लोकप्रिय सरकार की बहाली की नींव रख रहा है.

मणिपुर के तीन दिवसीय दौरे पर आए भाजपा नेताओं का इम्फाल हवाई अड्डे पर राज्य पार्टी अध्यक्ष अधिकारीमायुम शारदा देवी और कई कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया.

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, संतोष को राज्य भाजपा इकाई के मूड पर नज़र रखने, विधायकों से व्यक्तिगत रूप से बातचीत करने और पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व को ज़मीनी हालात पर एक रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है.

सूत्रों ने बताया कि चर्चा जनता का विश्वास फिर से बनाने और 2027 में होने वाले अगले चुनावी मुकाबले के लिए संगठन को तैयार करने पर केंद्रित रही, जिसके लिए जल्द ही एक लोकप्रिय मंत्रिमंडल की बहाली को आवश्यक माना जा रहा है.

पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह सहित 29 भाजपा विधायकों ने बैठक में हिस्सा लिया.

बैठक के बाद, पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों और सरकार के गठन से संबंधित मुद्दों पर चर्चा हुई.उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय नेताओं ने बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया दी.

वहीं भाजपा के पूर्वोत्तर समन्वयक संबित पात्रा के साथ आए संतोष के कुकी-ज़ो विधायकों से अलग से मिलने की उम्मीद है.

बैठक के बाद मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए भाजपा विधायक और पार्टी प्रवक्ता ख इबोम्चा ने कहा कि बैठक में मुख्य रूप से पार्टी को मज़बूत करने और राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने पर चर्चा हुई.

उन्होंने कहा कि एक लोकप्रिय सरकार के गठन की प्रक्रिया चल रही है और यह फरवरी 2026 में राष्ट्रपति शासन की वर्तमान अवधि समाप्त होने से पहले हो जाने की संभावना है.

बीरेन सिंह ने भी इसी तरह की भावनाओं को दोहराते हुए कहा कि केंद्रीय नेताओं ने विधायकों को जल्द से जल्द एक लोकप्रिय मंत्रिमंडल की बहाली का आश्वासन दिया है.

इसके अलावा संतोष और पात्रा के अपने दौरे के दौरान भाजपा के सहयोगी दलों से भी मिलने की उम्मीद है.

हालांकि, नेताओं ने अपनी यात्रा के उद्देश्य पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया लेकिन उन्होंने इंफाल स्थित पार्टी मुख्यालय में भाजपा विधायकों के साथ बंद कमरे में बैठक की, जो देर शाम तक चली और इसमें अन्य लोगों के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह भी शामिल हुए.

वहीं बीरेन सिंह कैबिनेट के पूर्व मंत्री सपाम रंजन ने कहा कि संतोष के दौरे का मुख्य उद्देश्य राज्य में पार्टी को मज़बूत करना था.

उन्होंने कहा, “हमने मणिपुर में एक लोकप्रिय सरकार की ज़रूरत पर भी चर्चा की. केंद्रीय नेतृत्व इस बात से सहमत है कि इसकी बहुत ज़रूरत है.”

भाजपा विधायक टोंगब्रम रोबिन्द्रो ने कहा कि बैठक में 2027 के राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा की सत्ता में वापसी सुनिश्चित करने और ज़मीनी स्तर पर लोगों से जुड़ने की ज़रूरत पर भी चर्चा हुई.

उन्होंने कहा, “हमें एक लोकप्रिय सरकार चाहिए जो जनता की शिकायतें सुने और लोगों में नई उम्मीद जगाए. केंद्रीय नेता भी जनता की भावनाओं को समझते हैं और वे इस पर काम कर रहे हैं.”

मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा विधायकों में से किसे नेता बनाया जाए, इस पर कोई मतभेद नहीं है.

उन्होंने कहा कि भाजपा के लिए केंद्रीय नेताओं ने विधायकों में से नेता का चयन किया लेकिन विधायकों ने नेता चुनने से पहले सभी सदस्यों से परामर्श करने पर जोर दिया.

उन्होंने आगे कहा कि पार्टी विधायकों की मुख्य मांगों में से एक ऐसी सरकार का गठन है जो “जनता की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करे.”

विधायक ने कहा कि उन्होंने राज्य में भाजपा सरकार को वापस लाने की रणनीतियों और विधायकों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों पर भी चर्चा की.

मणिपुर में फरवरी से राष्ट्रपति शासन लागू है, जब बीरेन सिंह ने मई 2023 में भड़की जातीय हिंसा से निपटने के अपने प्रशासन की आलोचना के बीच मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

राज्य में मई 2023 से जारी जातीय संघर्ष में अब तक 260 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं.

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