प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) या सीपीआई (माओवादी) दरभा डिवीजन कमेटी ने छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में हाल ही में माओवाद-विरोधी अभियानों के दौरान सुरक्षा बलों पर निर्दोष आदिवासियों की हत्या का आरोप लगाया है और ज़िम्मेदार अधिकारियों को कड़ी सज़ा देने की मांग की है.
10 अगस्त को जारी एक बयान में माओवादियों ने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य सरकार के सदस्यों ने बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा और बस्तर के अन्य हिस्सों में “नरसंहार, लूटपाट और अत्याचार” किए हैं.
माओवादियों ने दावा किया कि 29 जुलाई, 2025 को बीजापुर के कादर गांव में मुचाको गंगा नाम की एक आदिवासी महिला की पुलिस ने हत्या कर दी थी. उन्होंने इसे जानबूझकर की गई हत्या बताया.
माओवादियों ने दावा किया, “सुकमा ज़िले में 12 निर्दोष आदिवासी फ़र्ज़ी मुठभेड़ों और गिरफ़्तारियों में मारे गए, जबकि 3 लोग पुलिस हिरासत में हैं और उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. कई इलाकों में निर्दोष लोगों की हत्या की गई है, जिससे बस्तर में सिर्फ़ दर्द और पीड़ा ही हुई है.”
बयान में कहा गया है, “13 जुलाई 2025 को सुकमा ज़िले में डीआरजी, बस्तर फाइटर्स, एसटीएफ और सीआरपीएफ़ के जवानों ने नंदनार पंचायत निवासी माड़वी सोम को तेलम गांव से उठाया, उसे पीट-पीटकर बेहोश कर दिया और उसकी हत्या कर दी. इसी गांव से 17-18 आदिवासी युवकों को गिरफ़्तार करके जेल भेज दिया गया.”
माओवादियों ने 2024 और इस साल की शुरुआत की घटनाओं का हवाला देते हुए दावा किया कि सुरक्षा अभियानों के दौरान महिलाओं और बच्चों सहित दर्जनों ग्रामीण या तो मारे गए हैं या गंभीर रूप से घायल हुए हैं.
माओवादियों ने माओवाद विरोधी अभियान के दौरान गिरफ्तार किए गए सभी निर्दोष आदिवासियों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग की और मुचाको गंगा की हत्या की न्यायिक जांच की मांग की.
पुलिस ने आरोपों को निराधार बताया
आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए, पुलिस महानिरीक्षक (IGP) (बस्तर रेंज) सुंदरराज पी ने कहा, “बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे निरंतर नक्सल-विरोधी अभियानों ने सीपीआई (माओवादी) संगठन को गहरा झटका दिया है. निरंतर दबाव, क्षेत्र में बढ़ते वर्चस्व और सटीक खुफिया जानकारी पर आधारित कार्रवाइयों ने उनकी संगठनात्मक ताकत और स्थानीय जनता पर उनके प्रभाव को काफी हद तक कम कर दिया है. माओवादी संगठन आज कमज़ोर हो गया है और गहरे नेतृत्व संकट, कार्यकर्ताओं के गिरते मनोबल और घटते जनाधार का सामना कर रहा है.”
आईजी ने कहा, “हाल के दिनों में माओवादी संगठन सुरक्षा बलों की कार्रवाई के परिणामों के बारे में मनगढ़ंत, भ्रामक और निराधार बयान जारी कर रहा है. ये झूठे बयान केवल संदेह पैदा करने, भ्रम पैदा करने और जनता की नज़र में हमारे बलों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के इरादे से फैलाए जा रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि बस्तर पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) के साथ सभी अभियानों में पारदर्शिता, व्यावसायिकता और कानून का पालन करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
IG ने दावा किया, “हम माओवादियों के इस तरह के दुर्भावनापूर्ण प्रचार का पुरज़ोर विरोध करते हैं. इस समय माओवादियों के पास केवल एक ही विकल्प है – हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होना. नहीं तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा.”