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छत्तीसगढ़ में ननों की गिरफ्तारी पर सियासी घमासान: मानव तस्करी और धर्मांतरण का आरोप

इस मुद्दे ने देशव्यापी राजनीतिक बवाल खड़ा कर दिया है और चर्च और विपक्षी कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है.

छत्तीसगढ़ रेलवे पुलिस ने माओवाद प्रभावित नारायणपुर जिले से 20 साल से कम उम्र की तीन आदिवासी लड़कियों की कथित मानव तस्करी और जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप में दो नन सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है.

गिरफ्तार किए गए तीनों लोगों की पहचान केरल की सिस्टर प्रीति मैरी (45) और सिस्टर वंदना फ्रांसिस (50) और नारायणपुर की सुकमन मंडावी (19) के रूप में हुई है. स्थानीय बजरंग दल पदाधिकारी की शिकायत पर जीआरपी ने उन्हें गिरफ्तार किया.

इस मामले ने अब सियासी तूल पकड़ लिया है. चर्च, ईसाई नेताओं और विपक्षी कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है.

दिल्ली में संसद के बाहर प्रदर्शन हुआ. दोनों नन की गिरफ्तारी के विरोध में सोमवार को केरल के विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया.

राहुल ने गांधी ने की रिहा करने की मांग

वहीं लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी समेत कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल, केरल में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने दोनों नन की रिहाई की मांग की है.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दावा किया कि दो कैथलिक ननों को उनकी आस्था के कारण जेल में डाल दिया गया है. इनकी जल्द से जल्द रिहाई होनी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि जहां भी बीजेपी सत्ता में है, वहां अल्पसंख्यकों का सुनियोजित उत्पीड़न हो रहा है.

राहुल ने इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “छत्तीसगढ़ में दो कैथोलिक ननों को उनकी आस्था के कारण निशाना बनाकर जेल भेज दिया गया. यह न्याय नहीं, भाजपा-आरएसएस का भीड़तंत्र है. यह इस शासन में अल्पसंख्यकों के व्यवस्थित उत्पीड़न के एक खतरनाक पैटर्न को दर्शाता है. हम चुप नहीं बैठेंगे. धार्मिक स्वतंत्रता एक संवैधानिक अधिकार है. हम उनकी तत्काल रिहाई और इस अन्याय के लिए जवाबदेही की मांग करते हैं.”

बजरंग दल के गुंडों और पुलिस के बीच जुगलबंदी

वहीं लोकसभा सांसद और वरिष्ठ कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, “छत्तीसगढ़ के दुर्ग में कैथोलिक ननों की चौंकाने वाली गिरफ्तारी और उत्पीड़न के खिलाफ यूडीएफ सांसदों ने आज संसद के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. बिना किसी ग़लती के उन्हें हिंसक भीड़ ने निशाना बनाया. भाजपा-आरएसएस तंत्र द्वारा सभी अल्पसंख्यकों को अपराधी माना जाता है और अपने धर्म का पालन करने वाले साथी नागरिकों को डराने-धमकाने के लिए गुंडों को छोड़ दिया जाता है.”

वेणुगोपाल ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि छत्तीसगढ़ में बजरंग दल के गुंडों और पुलिस के बीच यह जुगलबंदी धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति भाजपा की असली मंशा को दर्शाती है.

उन्होंने आगे कहा, “हम उनकी तत्काल रिहाई और निर्दोष ननों के लिए न्याय की मांग करते हैं.”

वेणुगोपाल ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को पत्र लिखकर बजरंग दल की निगरानी कार्रवाई की कड़ी निंदा की है और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की है.

CM साय ने राहुल गांधी पर साधा निशाना

वहीं राहुल गांधी के ट्वीट के जवाब में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने तीखा पलटवार किया है.

सीएम साय ने कांग्रेस पर संवेदनशील मुद्दों पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस मामले की सच्चाई को समझने की जरूरत है. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मामला प्रलोभन और ह्यूमन ट्रैफिकिंग से जुड़ा है, जिसकी जांच चल रही है.

साय ने कहा, “नारायणपुर की तीन बेटियों को नर्सिंग ट्रेनिंग और उसके बाद नौकरी दिलाने का वादा किया गया था. दुर्ग रेलवे स्टेशन पर एक स्थानीय शख्स ने उन्हें दो ननों को सौंप दिया, जो उन्हें आगरा ले जा रही थीं. उन्हें झूठे वादों से फुसलाकर धर्मांतरण की आड़ में मानव तस्करी करने की कोशिश की गई थी.”

मुख्यमंत्री ने कहा, “यह महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा एक गंभीर मामला है. जांच जारी है. मामला न्यायालय में है और कानून अपना काम करेगा. छत्तीसगढ़ एक शांतिपूर्ण राज्य है जहां सभी धर्मों और समुदायों के लोग सद्भावना से रहते हैं. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि बस्तर की हमारी बेटियों की सुरक्षा से जुड़े एक संवेदनशील मुद्दे को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है.”

BJP ने आरोपियों का समर्थन करने के लिए कांग्रेस की आलोचना की

भाजपा ने बस्तर की आदिवासी लड़कियों की तस्करी और धर्म परिवर्तन के आरोपियों का कथित रूप से पक्ष लेने के लिए राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और वेणुगोपाल समेत कांग्रेस नेताओं की कड़ी आलोचना की है.

मंगलवार को जारी एक बयान में भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी ने कहा, “अपनी तुष्टिकरण की राजनीति के चलते कांग्रेस के शीर्ष नेता बस्तर की बेटियों की तस्करी के आरोपियों के साथ खड़े हो गए हैं. हैरानी की बात यह है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस, जिसे राज्य की बेटियों का समर्थन करना चाहिए, अपने राष्ट्रीय आकाओं के सुर में सुर मिला रही है. एक बार फिर, यह स्पष्ट हो गया है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के नेता केवल अपने आलाकमान के आदेशों का पालन करते हैं और उन्हें राज्य की जनता की कोई चिंता नहीं है.”

चिमनानी ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ की बेटियां इस विश्वासघात के लिए कांग्रेस को कभी माफ नहीं करेंगी.

CBCI ने जताई चिंता

उधर दोनों की गिरफ्तारी के बाद कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (CBCI) ने कहा कि हम भारत सरकार और सभी राजनीतिक दलों से अपील करते हैं कि वे आगे आएं और देश तथा उनके लोगों को बचाने के लिए उचित संवैधानिक कदम उठाएं.

आर्चबिशप अनिल जोसेफ थॉमस कॉउटो ने दिल्ली में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में चेतावनी दी कि संवैधानिक राज्य का विघटन और लोकतंत्र की स्वतंत्र संस्थाओं का सांप्रदायीकरण इतना गंभीर है कि अब इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

आर्चबिशप ने CBCI की ओर से जारी बयान को पढ़ते हुए कहा, “कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया देश में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ बढ़ते द्वेष और हिंसा के माहौल पर अपनी गहरी पीड़ा और चिंता व्यक्त करता है.”

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, राज्य के दुर्ग जिले में तीन आदिवासियों लड़कियों की मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण कराने की कोशिश के आरोप में 2 कैथोलिक नन समेत 3 लोगों को गिरफ्तार किया

रेलवे पुलिस ने बताया कि लड़कियों को 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन से आगरा ले जाया जा रहा था.

पुलिस के मुताबिक, तीनों कथित तौर पर नारायणपुर से तीन आदिवासी लड़कियों को आगरा के एक अस्पताल में नर्स के रूप में काम पर ले जा रहे थे और साथ ही उनका धर्म परिवर्तन कराने की भी कोशिश कर रहे थे. 23 साल से कम उम्र की इन सभी लड़कियों को दुर्ग स्टेशन पर ट्रेन में चढ़ने से ठीक पहले जीआरपी ने पकड़ लिया.

एक जीआरपी अधिकारी ने बताया कि जब भी लड़कियां या कोई भी व्यक्ति काम के लिए गांव से बाहर जाता है तो उसे ‘पलायन रजिस्टर’ में अपना नाम दर्ज करना होता है और ‘ग्राम सचिव’ को सूचित करना होता है.

लेकिन जांच के दौरान ऐसा कुछ भी नहीं किया गया, न ही कथित आरोपियों के पास माता-पिता की लिखित सहमति थी, जो अनिवार्य है.

एक जीआरपी अधिकारी ने बताया कि लड़कियों ने बताया कि नन उन्हें नौकरी के बहाने उत्तर प्रदेश के आगरा ले जा रही थीं और मंडावी उन्हें दुर्ग रेलवे स्टेशन ले आईं, जहां से उन्हें दोनों नन के साथ आगरा जाना था.

शुरुआती जांच के बाद बजरंग दल के सदस्यों ने रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर विरोध प्रदर्शन किया और कथित आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की. उन्होंने जीआरपी को शिकायत भी दी.

उनके बयानों और आरोपियों से प्रारंभिक पूछताछ के आधार पर पुलिस ने मानव तस्करी के लिए आईपीसी की धारा 143(3) और छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम (1968) की धारा 4 के तहत मामला संख्या 60/2025 दर्ज किया.

कथित आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया और न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया है.

जबकि तीनों लड़कियों को भिलाई सखी केंद्र में संरक्षण में रखा गया है.

जीआरपी अधिकारियों ने यह भी बताया कि दोनों नन के पास से नाबालिग लड़कियों की तस्वीरें और एक पादरी का कॉन्टैक्ट डिटेल मिला है, साथ ही कुछ आधिकारिक दस्तावेज़ों की भी जांच की जा रही है.

दुर्ग पुलिस का कहना है कि गिरफ्तारियां कानूनी प्रावधानों और गवाहों के बयानों के आधार पर की गई हैं.

एक जीआरपी अधिकारी ने कहा, “तीनों महिलाओं को नौकरी के बहाने ले जाया जा रहा था, लेकिन हालात ने संदेह पैदा कर दिया. जांच जारी है.”

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