HomeAdivasi Dailyछत्तीसगढ़: सीड बॉल के ज़रिए आदिवासियों का जंगल बढ़ाने में योगदान

छत्तीसगढ़: सीड बॉल के ज़रिए आदिवासियों का जंगल बढ़ाने में योगदान

धमतरी ज़िले में स्थित जंगलों के वनीकरण के लिए लगभग 15,000 सीड बॉल तैयार किए जा चुके हैं. इस सीड बॉल के ज़रिए 6420 हेक्टेयर भूमि में वनीकरण का काम किया जाएगा.

छत्तीसगढ़ (Tribes of Chhattisgarh) के धमतरी ज़िले में आदिवासी जंगलों में वनीकरण (Reforestation) के लिए सीड बॉल (Seed Ball) बना रहे हैं.

राज्य के विभिन्न पीवीटीजी समुदाय (PVTG) भी इस कार्य में अपना योगदान दे रहे हैं.

सीड बॉल तकनीक से पहले आदिवासी हज़ारों सालों से जंगल में वनीकरण का काम करते आए हैं.

आदिवासी गर्मी के मौसम में अलग-अलग पेड़ों से बीज इकट्ठा करते थे. इसके बाद जहां भी उन्हें बंजर भूमि दिखती, वहां इन बीज़ो का छिड़काव कर देते थे.

लेकिन समय के साथ-साथ अपनी पांरपरिक तकनीक को अपनाना यहां के आदिवासियों ने कम कर दिया है.

इस पांरपरिक तकनीक की जगह अब सीड बॉल ने ली है.

इस बारे में मिली जानकारी के अनुसार धमतरी ज़िले में स्थित जंगलों के वनीकरण के लिए लगभग 15,000 सीड बॉल तैयार किए गए है.

जंगलों में आगजनी, अतिक्रमण और अन्य पर्यावरण समस्याओं से वनों की भूमि बंजर हो जाती है. इस बंजर भूमि के वनीकरण के लिए सीड बॉल बनाए जा रहे हैं.

इस सीड बॉल को बनाने के दो उद्यश्य है. पहला, जंगल की बंजर जमीन में फिर से वनोपज हो और दूसरा जानवरों को भोजन मिल सके.

क्योंकि जंगल में वनोपज की कमी के कारण अपनी भूख मिटाने के लिए जानवर खेतों पर हमला कर रहे है. हमले के दौरान, जो भी उनके हाथ लगता है, वे उसे अपनी भूख मिटाते हैं.

इन सीड बॉल में मुख्य रूप से जामुन, अमरूद और लौकी जैसे फ़ल और सब्जियों के बीज होंगे. ताकि जंगल का वनीकरण के साथ जानवरों और इंसानों के लिए भोजन भी उपलब्ध हो सके.

इस प्रयास में आदिवासी और वन विभाग के सदस्य दोनों जंगल के बंजर भूमि की पहचान करते हैं.

इसके बाद आदिवासी और अन्य ग्रामीण मिलकर इन बंजर भूमि में सीड बॉल को बिखेर देते हैं. प्रत्येक बॉल में तीन से चार बीज होते हैं.

कैसे बनते है सीड बॉल

सीड बॉल को बनाने के लिए बीजों को उचित रेत, गाद मिट्टी और जैव खाद के साथ मिलाया जाता है.

इसे बनाने का काम गर्मी के मौसम में ही किया जाता है. क्योंकि सीड बॉल को सुखाने के लिए पर्याप्त मात्रा में धूप की जरूरत पड़ती है.

जैसे ही बारिश का समय शुरू हो जाता है, आदिवासी और अन्य समुदाय के लोग मिलकर बीज बिखेरना तकनीक (Broadcasting Seeds Technique) से बंजर भूमि में बीज बोने का काम करते हैं.

इस तकनीक में सीड बॉल को हाथों से बंजर भूमि में बिखेरा जाता है. जिसके बाद बारिश के ज़रिए बोए हुए बीज़ो को पानी मिल जाता है.

धमतरी ज़िले के लगभग 6420 हेक्टेयर भूमि में सीड बॉल के ज़रिए बीज़ो को बिखेरा जाएगा. इस ज़िले के अलावा कांकेर ज़िले के भानुप्रतापपुर में भी सीड बॉल बनाया जा रहा है.

भानुप्रतापपुर क्षेत्र के लगभग 20 गाँव में यह काम किया जा रहा है. सीड बॉल को बनाने में ज्यादातर गाँव की महिलाएं शामिल हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments