ओडिशा के मलकानगिरी जिले की एक छोटी-सी आदिवासी बस्ती से आने वाली चंपा रास्पेडा ने इतिहास रच दिया है.
वह अपनी जनजाति दिदैयि (Didayi) की पहली लड़की बन गई हैं जिसने NEET 2025 की परीक्षा पास कर MBBS में दाखिला पाया है.
यह सफलता केवल उनके परिवार या गांव के लिए नहीं, बल्कि पूरे समुदाय के लिए एक बड़ी प्रेरणा बन गई है.
चंपा ने ओडिशा के बालासोर जिले के फकीर मोहन मेडिकल कॉलेज में MBBS की सीट हासिल की है.
उनके पिता एक साधारण किसान हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत सामान्य है.
चंपा ने अपनी पढ़ाई सरकारी स्कूलों में की, जहाँ सुविधाएँ सीमित थीं.
उन्होंने नंदिनिगुड़ा के PVTG गर्ल्स कॉम्प्लेक्स से प्रारंभिक शिक्षा पाई, फिर SSC गर्ल्स हाई स्कूल और गोविंदपाली जूनियर कॉलेज से आगे की पढ़ाई की.
चंपा शुरू में B.Sc कर रही थीं, लेकिन जब उन्हें NEET की तैयारी के लिए एक विशेष मुफ्त कोचिंग प्रोग्राम में जगह मिली, तो उन्होंने B.Sc छोड़ दी.
बालासोर में संचालित इस कोचिंग में उन्हें विज्ञान शिक्षक उत्कल केशरी दास से मार्गदर्शन मिला.
यहीं से उनके डॉक्टर बनने का सपना मजबूत हुआ और उन्होंने कड़ी मेहनत से NEET पास किया.
उनके जीवन में एक घटना ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया — उनके गांव में एक गर्भवती महिला को समय पर इलाज नहीं मिल सका और उसकी मौत हो गई.
तब चंपा ने ठान लिया कि वह डॉक्टर बनेंगी और अपने समुदाय की सेवा करेंगी. उन्होंने कहा, “हमारे इलाके में इलाज की बहुत कमी है. मैं चाहती हूं कि ऐसा दोबारा किसी के साथ न हो.
दिदैयि जनजाति को भारत सरकार ने PVTG (Particularly Vulnerable Tribal Group) के रूप में वर्गीकृत किया है.
यह जनजाति बहुत कम संख्या में है और इनकी साक्षरता दर भी बेहद कम है.
ऐसे में चंपा की यह सफलता एक नई रोशनी लेकर आई है.
मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने भी चंपा की तारीफ की और कहा कि वह आदिवासी बच्चों के लिए रोल मॉडल बन गई हैं.