राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताजा वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में भारत में हत्या के 27 हज़ार 721 मामले दर्ज किए गए, जो 2022 की तुलना में 2.8 प्रतिशत कम है. लेकिन इसी अवधि में अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराधों में 28 फीसदी की भारी वृद्धि हुई है.
ताजा आंकड़ों में अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अपराध के मामले में पहले नंबर पर मणिपुर है.
अकेले मणिपुर में अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अपराध के 3,399 मामले दर्ज किए गए, जो 2022 में दर्ज केवल एक मामले की तुलना में काफी अधिक है.
एनसीआरबी की रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि मणिपुर में इन घटनाओं में आगजनी के 1,051 मामले, डकैती के 260 मामले और आदिवासी समुदायों को निशाना बनाकर धमकाने या अवैध भूमि अधिग्रहण के 193 मामले शामिल हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदाय के खिलाफ अपराध के मामलों में मामूली कमी आई है.
मध्य प्रदेश में साल 2023 में आदिवासी समुदाय के खिलाफ अपराध के कुल 2,858 मामले दर्ज किए गए हैं. साल 2022 की रिपोर्ट में यह संख्या 2979 थी जबकि 2021 में यह आंकड़ा 2627 था.
साल 2022 में, मध्य प्रदेश में देश में अनुसूचित जनजाति के खिलाफ सबसे अधिक 2,979 मामले दर्ज किए गए थे.
एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मध्य प्रदेश में जनजातीय समुदाय के खिलाफ अपराध की दर प्रति लाख आबादी पर 18.7 प्रतिशत रही जबकि चार्जशीट दाखिल करने की दर 98.4 प्रतिशत रही.
इन आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं की गरिमा भंग करने के इरादे से हमला करने के 309 मामले आए. इनमें 163 वयस्क और शेष नाबालिग थीं.
राष्ट्रीय स्तर पर बढ़े अपराध
राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ दर्ज मामलों की कुल संख्या पिछले वर्ष के 10 हज़ार 64 से बढ़कर 12 हज़ार 960 हो गई.
दूसरी ओर अनुसूचित जातियों (SC) के खिलाफ दर्ज अपराधों में 0.4 प्रतिशत की मामूली वृद्धि देखी गई, जिनकी कुल संख्या 2022 में 57 हज़ार 582 से बढ़कर 2023 में 57 हज़ार 789 हो गई.
साइबर अपराध के मामले बढ़े
NCRB रिपोर्ट में कहा गया है कि साल भर में साइबर क्राइम की दर 4.8 प्रतिशत से बढ़कर 6.2 प्रतिशत हो गई.
रिपोर्ट में 2023 में 86 हज़ार 420 साइबर अपराध के मामलों का ज़िक्र किया गया है. जो 2022 के 65 हज़ार 893 मामलों से काफ़ी ज़्यादा है और पांच साल पहले 2018 में दर्ज मामलों (27,248) की संख्या से तीन गुना से भी ज़्यादा है.
ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी सबसे प्रमुख कारण रही, जिसकी कुल घटनाओं में 59 हज़ार 526 यानी लगभग 69 फीसदी की वृद्धि हुई. जबरन वसूली (4,526 मामले) और यौन शोषण (4,199 मामले) अन्य प्रमुख कारण थे.
साइबर अपराधों की सबसे अधिक संख्या तेलंगाना (10,303), कर्नाटक (8,829) और उत्तर प्रदेश (8,236) में दर्ज की गई.