सिक्किम के कई समुदाय दशकों से अनुसूचित जनजाति (Scheduled tribe) दर्जे की मांग कर रहे हैं.
उनका कहना है कि उनकी संस्कृति, परंपरा और सामाजिक ढांचा आदिवासी समाज से मेल खाता है.
उनका कहना है कि एसटी की मान्यता न मिलने के कारण वे शिक्षा, रोज़गार और कल्याणकारी योजनाओं से मिलने वाले अवसरों से वंचित रह जाते हैं.
राज्य के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने इस मुद्दे को लेकर राजधानी दिल्ली में आज एक उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई है.
12 समुदायों की रिपोर्ट
राज्य सरकार ने 2 अगस्त 2025 को गंगटोक स्थित सम्मान भवन में 12 वंचित समुदायों की जातीय-नृवंशविज्ञान (Ethnographic) रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया गया.
इस रिपोर्ट में शामिल 12 समुदाय भुजेल, गुरूंग, जोगी, खास, किरात राय, किरात देववान याखा, माझी, मंगर, नेवार, संन्यासी, सुनुवर (मुखिया) और थामी हैं.
इन समुदायों का कहना है कि उनकी परंपराएं और सामाजिक जीवन-शैली उन मानकों पर खरी उतरती हैं, जिन्हें केंद्र सरकार अनुसूचित जनजाति की पहचान के लिए आधार मानती है.
विशेषज्ञों ने किया गहन अध्ययन
राज्य स्तरीय उच्च समिति (SHLC) ने इस विषय पर अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की.
इस समिति की अध्यक्षता भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण (Anthropological Survey of India) के निदेशक बी.वी. शर्मा ने की.
जेएनयू के प्रोफेसर महेंद्र पी. लामा इस समिति के उपाध्यक्ष रहे.
समिति ने कई दौर के सर्वेक्षण और फील्ड अध्ययन किए ताकि केंद्र सरकार ने पहले जो सवाल उठाए थे, उनका जवाब दिया जा सके.
मुख्यमंत्री तमांग ने रिपोर्ट को “सिक्किम की सामूहिक धरोहर का जीवंत दस्तावेज़” बताया और भरोसा जताया कि ये दस्तावेज़ केंद्र के मापदंड़ों को पूरा करेंगे.
प्रेम सिंह तमांग लगातार इस बात पर ज़ोर देते रहे हैं कि सिक्किम में हर समुदाय को बराबरी का हक और न्याय मिलना चाहिए.
केंद्र से बड़ी उम्मीदें
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि केंद्र सरकार से सकारात्मक जवाब मिलता है तो यह सिक्किम की सामाजिक और राजनीतिक संरचना को बदल सकता है.
इससे न केवल इन 12 समुदायों को मान्यता मिलेगी बल्कि सिक्किम को पूर्ण जनजातीय राज्य घोषित करने की मांग भी मज़बूत होगी.
लोगों में आशा
ग्रामीण इलाकों और समुदायों में इस बैठक को लेकर उत्सुकता है.
समुदायों के नेताओं ने मुख्यमंत्री की पहल का स्वागत किया है और केंद्र सरकार से जल्द कदम उठाने की अपील की है.
आम नागरिक भी आशा कर रहे हैं कि एसटी का दर्जा मिलने से उन्हें शिक्षा, रोज़गार और कल्याणकारी योजनाओं का अधिक लाभ मिल सकेगा.
आज की बैठक को सिक्किम के लिए निर्णायक कदम माना जा रहा है.
सिक्किम के लिए अब ये सिर्फ़ 12 समुदायों की मान्यता की बात नहीं है, बल्कि पूरे राज्य की पहचान और विकास से जुड़ा मुद्दा है.