कर्नाटक के कोडागु जिले के चेननगी गांव में एक आदिवासी परिवार पर जंगली हाथी का हमला हुआ है.
यह घटना देर रात हुई, जब एक विशाल हाथी घर में घुस गया और भारी नुकसान पहुंचाया.
हाथी ने घर में रखे चावल खा लिए और रसोई के सामान के साथ-साथ टेलीविजन, ड्रम, प्लास्टिक की चीजें और यहां तक कि घर की छत की चादरें भी तोड़ डालीं.
परिवार के लोग उस समय घर में नहीं थे, क्योंकि उन्हें पहले से ही खतरे का अंदेशा था. वे अपने किसी रिश्तेदार के घर पर रात बिता रहे थे.
लेकिन अगली सुबह जब वे घर लौटे, तो उनका सारा सामान टूटा-फूटा मिला.
परिवार के सदस्यों ने बताया कि यह हमला एक दिन में दो बार हुआ.
पहले रात में हाथी ने घर में घुसकर सामान नष्ट किया और फिर अगली सुबह वापस आकर और ज्यादा नुकसान कर गया.
इस घटना के बाद पूरे गांव में डर का माहौल है. लोग लगातार वन विभाग से शिकायत कर रहे हैं कि इलाके में हाथियों का आना-जाना बहुत बढ़ गया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है.
घटना की जानकारी मिलते ही गांव की ग्राम पंचायत अध्यक्ष मकेरी अरुण कुमार ने मौके का निरीक्षण किया और प्रभावित परिवार को आवश्यक सहायता दी.
उन्होंने वन विभाग से तत्काल मुआवजा देने की अपील की.
साथ ही ट्राइबल फार्मर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सिद्धप्पा ने भी घटनास्थल का दौरा किया और कहा कि यह पहली बार नहीं है जब इस क्षेत्र में हाथियों ने नुकसान पहुंचाया है.
उन्होंने मांग की कि हाथियों को पकड़कर दूसरी जगह भेजा जाए और फेंसिंग को मजबूत किया जाए, ताकि आगे ऐसी घटनाएं न हों.
गांव के लोगों ने वन विभाग को साफ तौर पर कह दिया है कि अगर 10 दिन के अंदर इस समस्या का कोई स्थायी हल नहीं निकाला गया, तो वे आंदोलन करेंगे.
ग्रामीणों का कहना है कि यह सिर्फ एक गांव की समस्या नहीं है, बल्कि आसपास के मयमुदी, थिथिमती और देवपुर पंचायतों में भी हाथी नजर आ चुके हैं और नुकसान पहुंचा चुके हैं.
लोगों को डर है कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ, तो और परिवारों की जान-माल को खतरा हो सकता है.
सरकार ने हाल ही में कोडागु जिले में मानव-हाथी संघर्ष को रोकने के लिए 21 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया है.
इस बजट से रेलवे बाड़, सोलर फेंसिंग, AI कैमरे और अन्य संरचनाएं बनाई जानी थीं.
लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि अभी तक इन कामों की गति बहुत धीमी है और हाथियों का आना लगातार जारी है.
वन और पर्यावरण मंत्री ने कुछ समय पहले वैज्ञानिक तरीके से इस समस्या के समाधान की बात कही थी, लेकिन उसका असर अभी तक नहीं दिखा.
कोडागु जिले में मानव और हाथी के बीच संघर्ष अब चिंता का विषय बन चुका है.
प्रशासन को चाहिए कि वह तुरंत प्रभाव से कार्रवाई करे, प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा दे और गांव में सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम करे.
जब तक हाथियों की आवाजाही नहीं रोकी जाती और लोगों को सुरक्षित माहौल नहीं मिलता, तब तक यह समस्या बनी रहेगी.