त्रिपुरा सरकार ने राज्य के वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी परिवारों को आवंटित भूमि पट्टे के सीमांकन की नई प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया है.
इसका उद्देश्य इन क्षेत्रों में भूमि उपयोग को लेकर चल रहे विवादों को सुलझाना है ताकि वन विभाग अपने वृक्षारोपण और पर्यावरण से जुड़ी अन्य गतिविधियों को बिना किसी बाधा के पूरा कर सके.
इस प्रक्रिया में वन विभाग के साथ-साथ आदिवासी कल्याण और राजस्व विभागों का भी सहयोग लिया जाएगा.
त्रिपुरा के वन मंत्री अनिमेष देबबर्मा ने इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि अक्सर स्थानीय लोग उन जमीनों पर दावा करते हैं जो पहले ही वन विभाग के अंतर्गत आती हैं लेकिन इन्हें पट्टा योजना के तहत आदिवासी परिवारों को आवंटित किया जा चुका है. इससे विभाग के वृक्षारोपण अभियानों में अड़चनें आती हैं.
उन्होंने कहा क्योंकि स्थानीय लोग इसे अपनी भूमि मानते हैं इस वजह से अधिकारियों को पेड़ लगाने के दौरान उनके विरोध का सामना करना पड़ता है.
वन मंत्री का कहना है कि इस समस्या को हल करने के लिए अब सभी भूमि पट्टों की सटीक पहचान की जाएगी ताकि कोई भ्रम न रह जाए.
देबबर्मा ने यह भी कहा कि राज्य सरकार जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर बांस के वृक्षारोपण की योजना बना रही है.
हाल ही में विधानसभा सत्र में उनसे जलवायु परिवर्तन को लेकर किए जा रहे प्रयासों के बारे में सवाल किया गया था जिसके जवाब में उन्होंने बताया था कि राज्य के वन क्षेत्रों में बांस का वृक्षारोपण किया जाएगा.
हालांकि उन्होंने यह भी माना कि भूमि से संबंधित विवादों के कारण इन पहलों में बाधा आती है.
इसके साथ ही उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया था कि आदिवासी कल्याण विभाग और राजस्व विभागों के साथ मिलकर इस समस्या का समाधान किया जाएगा.
इसी दिशा में वन मंत्री ने खोवाई ज़िले के बैंकर में आयोजित “स्वच्छता ही सेवा” कार्यक्रम के दौरान बरामुरा, अथारमुरा और लोंगथराई जैसे वन क्षेत्रों की सुरक्षा की आवश्यकता पर ज़ोर दिया.
उन्होंने कहा कि ये वन क्षेत्र न केवल पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण हैं बल्कि ये क्षेत्र बाढ़ से भी सुरक्षा प्रदान करते हैं.
वन मंत्री ने पेड़-पौधे हमारे जीवन का आधार बताते हुए आम नागरिकों से अपील की कि वे वृक्षारोपण अभियानों में सक्रियता से भाग लें और प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाएं.
इस दौरान सफाई कर्मचारियों को छाते और रेनकोट बांटे गए और वृक्षारोपण अभियान भी चलाया गया.
वन मंत्री अनिमेश देबबर्मा ने स्वयं इस वृक्षारोपण कार्यक्रम में हिस्सा लिया और इसके बाद सुभाष पार्क के सब्ज़ी और मछली बाजार में सफाई अभियान में भाग लिया.
त्रिपुरा सरकार का यह समग्र प्रयास न केवल जलवायु परिवर्तन से लड़ने और वन क्षेत्र के विस्तार की दिशा में है बल्कि भूमि विवादों को सुलझाने और स्थानीय समुदायों के साथ शांति स्थापित करने के लिए भी किया जा रहा है.