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झारखंड में बिरहोर समुदाय की बच्ची की मौत, स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खुली

13 साल की सरस्वती कुमारी की मौत ने झारखंड के आदिवासी क्षेत्रों की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. बिरहोर समुदाय से आने वाली यह बच्ची ठंड और डायरिया की चपेट में थी, लेकिन समय पर इलाज नहीं मिल सका.

झारखंड के हज़ारीबाग जिले के चौपारण ब्लॉक में बिरहोर समुदाय की एक 13 वर्षीय लड़की की मौत ने स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और आदिवासी क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं की कमी को उजागर किया है.

बिरहोर समुदाय को राज्य में विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह (PVTG) के रूप में पहचाना जाता है.

मृतक लड़की की पहचान सरस्वती कुमारी के रूप में हुई है.

वह जमुनिया ताड़ी गांव की निवासी थी.

सरस्वती को मंगलवार को चौपारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में भर्ती कराया गया था, जहां बुधवार सुबह लगभग 8 बजे इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई.

डॉ. अशोक कुमार, हज़ारीबाग के सिविल सर्जन, ने बताया कि सरस्वती को ठंड-डायरिया (cold-diarrhoea) से पीड़ित पाया गया था, जिसमें हल्का बुखार, शरीर में सूजन और संक्रमण जैसे लक्षण होते हैं.

यह बीमारी विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरनाक हो सकती है.

सरस्वती की मौत के बाद, उपायुक्त शशि प्रकाश सिंह ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सिविल सर्जन डॉ. अशोक कुमार को जांच का आदेश दिया.

जांच टीम मौके पर पहुंची और मौतों की परिस्थितियों की जांच शुरू कर दी है.

उपायुक्त ने निर्देश दिया है कि तीन दिनों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए और यह भी पता लगाया जाए कि क्या इन मौतों में अस्पताल अधिकारियों की लापरवाही जिम्मेदार है.

यदि लापरवाही प्रमाणित होती है तो संबंधित डॉक्टरों को दंडित किया जाएगा, साथ ही पीड़ित परिवारों को राहत प्रदान करने की बात भी कही गई है.

यह घटना स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और आदिवासी क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं की कमी को उजागर करती है.

सरस्वती की मौत से पहले भी बिरहोर समुदाय के दो अन्य बच्चों और एक महिला की मौत इसी स्वास्थ्य केंद्र में हो चुकी है.

यह दर्शाता है कि यह समस्या एक बार की घटना नहीं है, बल्कि एक निरंतर चलने वाली चुनौती है.

सरस्वती की मौत ने यह सवाल उठाया है कि क्या स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में कोई कमी है.

क्या अस्पतालों में आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं.

क्या स्वास्थ्य कर्मियों की पर्याप्त संख्या है और क्या वे समय पर इलाज प्रदान कर पा रहे हैं. इन सवालों का जवाब ढूंढना आवश्यक है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.

सरस्वती की मौत के बाद, बिरहोर समुदाय के अन्य सदस्य भी चिंतित हैं.

वे चाहते हैं कि सरकार और प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से लें और उचित कदम उठाएं.

उनका मानना है कि यदि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होता है, तो भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सकता है.

सरस्वती की मौत ने यह भी दिखाया है कि बिरहोर समुदाय के लोग शिक्षा और जागरूकता के मामले में भी पीछे हैं.

सरकार और गैर-सरकारी संगठनों को चाहिए कि वे इस समुदाय में स्वास्थ्य और शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाएं, ताकि वे अपनी और अपने परिवार की भलाई के लिए सही कदम उठा सकें.

 यह घटना यह दर्शाती है कि स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति में सुधार की आवश्यकता है, विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों में. सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे इस दिशा में ठोस कदम उठाएं, ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सके और आदिवासी समुदाय को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें.

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