मंगलवार को गोवा के विधानसभा सत्र में आदिवासी कल्याण के मुद्दों को लेकर माहौल गरम हो गया.
मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और विपक्षी विधायकों के बीच तीखी बहस हुई.
आदिवासी कल्याण के लिए तय किए गए फंड का पूरा उपयोग न होने और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित पदों को भरने में देरी करने के मुद्दों पर विपक्ष ने सरकार को आडे हाथों लिया.
विपक्ष के आरोप
विपक्ष ने सबसे पहले आदिवासी कल्याण फंड के कम उपयोग का मुद्दा उठाया.
फातोर्दा के विधायक विजय सरदेसाई ने कटाक्ष किया कि आदिवासी सब-प्लान का खर्च 5.2% से आगे नहीं बढ़ा है, जबकि यह 10.2% होना चाहिए.
विधायक विजय सरदेसाई ने सरकारी विभागों में आरक्षित पदों की रोस्टर सूची में गड़बड़ी का आरोप भी लगाया.
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में आज तक आदिवासी निर्धारित क्षेत्र (Scheduled Areas) की अधिसूचना जारी नहीं हुई है.
उन्होंने एक और आरोप लगाया है कि एक एसटी पुलिस इंस्पेक्टर की पदोन्नति की फाइल भी बीच में अटकाई गई है.
सेंट आंद्रे के विधायक वीरेश बोरकर ने कहा कि पीडब्ल्यूडी, सामान्य प्रशासन और वाणिज्यिक कर विभाग में एसटी के 852 पद खाली हैं.
उन्होंने दावा किया कि कुछ विभागों को यह भी पता नहीं कि आदिवासी कल्याण के लिए फंड मौजूद है.
उन्होंने कहा कि करीब 69 करोड़ रुपये अभी खर्च नहीं हुए हैं.
विधायक वेनज़ी वीगास ने आदिवासी भवन के अधूरे वादे को भी याद दिलाया. उन्होंने तंज कंसते हुए कहा कि सरकार का आदिवासी विज़न डॉक्यूमेंट एक दिखावा है.
सरकार का पक्ष
मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने फंड की उपयोगिता के सवाल पर जवाब दिया कि गोवा में आदिवासी कल्याण के लिए तय फंड का 82% उपयोग हो चुका है. उनका कहना है कि ये आंकडा देश के सभी राज्यों में सबसे ज़्यादा है.
पूरी राशि खर्च न होने पर मुख्यमंत्री ने तथ्य के साथ जवाब दिया कि हाल ही में वित्त विभाग ने पीडब्ल्यूडी, जल संसाधन और आदिवासी कल्याण निदेशालय को फंड के उपयोग के लिए ट्रेनिंग दी है.
सावंत ने आदिवासी निर्धारित क्षेत्र की अधिसूचना जारी न होने के पीछे तकनीकी कारणों का बहाना दिया और कहा कि इस काम को जल्द पूरा किया जाएगा.
आरक्षित पदों की रोस्टर सूची से छेड़छाड़ के आरोप पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ST के आरक्षित पदों का बैकलॉग ज्यादातर नए पद और पदोन्नति में है, जिसे छह महीने के भातर पूरा कर दिया जाएगा.
राजनीतिक आरक्षण पर भिड़ंत
विपक्ष ने सरकार को 2025 तक आदिवासियों को विधानसभा में राजनीतिक आरक्षण देने के अधूरे वादे पर भी घेरा.
सावंत ने कहा कि हमने केंद्रीय मंत्रियों से मांग रखी है. पहले योजना 2027 की थी, लेकिन अब इसे जल्दी लागू करने की कोशिश है.
उन्होंने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि संसद में दो बार बिल लाया गया, लेकिन विपक्ष और कांग्रेस के हंगामे से पास नहीं हो सका.
विपक्ष के नेता यूरी आलेमाओ ने पूछा कि जब विधानसभा में बिना विरोध के कानून पास कर सकते हैं, तो संसद में क्यों नहीं?