त्रिपुरा के कई इलाकों में भारी बारिश की वजह से बाढ़ के हालात बन गए हैं. अभी तक बारिश और बाढ़ की वजह से कम से कम 7 लोगों की जान जा चुकी है. बाढ़ की वजह से मारे गए लोगों में दक्षिण त्रिपुरा में 5 लोगों की मौत हुई है.
जबकि खोवाई और गोमती में एक एक आदमी मारा गया है.
राज्य सरकार की तरफ से बताया गया है कि बाढ़ पीड़ित लोगों के लिए कुल 183 राहत शिविर बनाए गए हैं. इन राहत शिविरों में कम से कम 5607 प्रभावित परिवारों ने शरण ली है.
राज्य के गोमती इलाके में सबसे अधिक 68 राहत शिविर बनाए गए हैं. जबकि साउथ त्रिपुरा में 30 और खोवाई ज़िले में 39 राहत शिविर बनाए गए हैं.
राज्य के ज़्यादातर बाढ़ग्रस्त इलाके जनजातीय बहुल हैं. राज्य प्रशासन ने दावा किया है कि सभी प्रभावित इलाकों में रिलीफ़ कैंपों के ज़रिए खाना और दवाईयों के अलावा सभी ज़रूरी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं.
राज्य में बाढ़ के हालातों के बीच प्रशासन ने जानाकारी दी है कि 48 घंटे (19 और 20 अगस्त) के भीतर त्रिपुरा की नदियां उफ़ान पर पहुंच गई हैं. इस दौरान बोकाफ़ा (Bokafa) में कम से कम 375.8 मिमि बारिश दर्ज हुई है. जबकि बेलोनिया इलाके में भी 324 मिमि के करीब बारिश हुई है.
इसके अलावा बुधवार यानि 21 अगस्त को सुबह से ही फिर भारी बारिश हो रही है. राज्य में बने बाढ़ के हालातों में दक्षिण त्रिपुरा और गोमती ज़िले सबसे अधिक प्रभावित हैं. राज्य की चार नदियां हावड़ा, ढलाई, महुरी और खोवाई ख़तरे के निशान से उपर बह रही हैं.
राज्य सरकार ने जानकारी दी है कि भारी बारिश की वजह से कई जगहों पर लैंड स्लाइड होने की वजह से रास्ते भी बंद हो गए हैं. कई ईलाकों में पेड़ गिरने से भी रास्ते बंद हैं.
राज्य में तीन दिन से हो रही भारी बारिश की वजह से बड़ी संख्या में जनजातीय जनसख्या प्रभावित हुई है. राज्य सरकार ने कहा है कि फ़िलहाल प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.
इसके साथ ही प्रभावित ज़िलों में प्रशासन जान-माल के नुकसान का अंदाज़ा भी लगा रहा है. इस बाढ़ की वजह से पालतु जानवर और खेती का भारी नुकसान की आशंका है.
त्रिपुरा के जनजातीय कार्य मंत्री बिकाश देबबर्मा के अलावा वाणिज्य मंत्री बिरसाकेतु देबबर्मा ने बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा किया है.
टिपरा मोथा के नेता प्रद्योत किशोर माणिक्य ने भी मुख्यमंत्री माणिक साहा से बाढ़ प्रभावित जनजातीय इलाकों में राहत कार्यों में तेज़ी लाने का आग्रह किया है.
इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि त्रिपुरा में इस तरह की भारी बारिश शायद पहले कभी नहीं हुई है. इसलिए जलवायु परिवर्तन के ख़तरे को समझने की ज़रुरत है.
राज्य के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने अभी तक बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा नहीं किया है. इस सिलसिले में प्रशासन की तरफ से बताया गया है कि मुख्यमंत्री दिल्ली के दौरे पर थे.
राज्य प्रशासन ने बताया है कि बाढ़ से हुए नुकसान और राहत कार्यों की समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री जल्दी ही प्रभावित इलाकों का दौरा कर सकते हैं.