जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में दो दशक से अधिक समय के बाद मंगलवार को बालीवुड सिनेमा की वापसी हुई. चुराचांदपुर में एक अस्थायी ओपन एयर थिएटर में पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक पर आधारित एक हिंदी फिल्म दिखाई गई.
रेंगकई में विक्की कौशल अभिनीत ‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’ को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे.
इसका आयोजन आदिवासी संगठन ‘हमार छात्र संघ’ (Hmar Students’ Association) ने सितंबर 2000 में ‘रेवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट’ द्वारा हिंदी फिल्मों पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ अपना विरोध व्यक्त करने के लिए किया.
इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम के एक प्रवक्ता ने बयान में कहा, ‘‘दो दशक से अधिक समय से हमारे शहर में एक भी फिल्म प्रदर्शित नहीं हुई है. मैइती लोगों ने लंबे समय से हिंदी फिल्मों पर प्रतिबंध लगा रखा है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज का इस कदम उद्देश्य मैइती समूहों की राष्ट्र-विरोधी नीतियों को चुनौती देना और भारत के प्रति अपना प्यार दिखाना है.’’
यह संगठन खुद को कुकी जनजातियों की आवाज बताता है.
फिल्म दिखाने से पहले राजधानी शहर से 63 किलोमीटर दूर स्थित ओपन एयर थिएटर में राष्ट्रगान बजाया गया.
एचएसए ने बताया कि मणिपुर में आखिरी बार हिंदी फिल्म 1998 में ‘कुछ कुछ होता है’ दिखाई गई थी.
अधिकारियों ने बताया कि 12 सितंबर को प्रतिबंध लगाए जाने के एक सप्ताह के भीतर विद्रोहियों ने राज्य में दुकानों से इकट्ठा किए गए हिंदी के 6 से 8 हज़ार वीडियो और ऑडियो कैसेट जला दिए थे.
आरपीएफ ने पूर्वोत्तर राज्य में इस प्रतिबंध की कोई वजह नहीं बतायी थी लेकिन केबल ऑपरेटरों ने कहा था कि उग्रवादी समूह को राज्य की भाषा और संस्कृति पर बॉलीवुड का नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है.
स्वतंत्रता दिवस समारोहों का उत्साह रहा फीका
वहीं राज्य में में कई उग्रवादी संगठनों द्वारा सुबह से शाम तक आम बंद का आह्वान करने और पिछले तीन महीनों में जातीय हिंसा में बड़े पैमाने पर जानमाल का नुकसान होने के चलते मंगलवार को राज्य में स्वतंत्रता दिवस समारोहों का उत्साह फीका रहा.
बंद के चलते राज्य के ग्रामीण इलाकों में और राजधानी इंफाल के बड़े हिस्सों में दुकानें व बाजार बंद रहे तथा सड़कें सुनसान रहीं.
एक आधिकारिक आदेश के अनुपालन में, पर्वतीय और घाटी के जिलों के सरकारी कर्मचारी ध्वजारोहण समारोहों में हिस्सा लेने के लिए अपने-अपने कार्यालय पहुंचे.
राज्य व जिला स्तर पर समारोह, पुरस्कारों और प्रमाणपत्रों के वितरण, राष्ट्रगान बजाने और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ भव्य तरीके से आयोजित किए गए. लेकिन स्थानीय स्तर पर समारोह का उत्साह फीका रहा क्योंकि ज्यादातर लोग घरों से बाहर नहीं निकले.
वहीं कुछ लोगों ने केंद्र के ‘हर घर तिरंगा अभियान’ में भी हिस्सा लिया और अपने आवास पर तिरंगा लगाया.
अधिकारियों ने बताया कि चुराचांदपुर जिले में कुकी-जो गांव के स्वयंसेवियों ने भी 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाया. उन्होंने बताया कि कांगपोकपी शहर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी तिरंगा लगाया गया.
शांति से ही मणिपुर की समस्या का समाधान निकलेगा
बीते तीन महीने से भी ज्यादा वक्त से मणिपुर हिंसा ग्रस्त है. यहां अनुसूचित जनजाति आरक्षण को लेकर दो समुदायों के बीच हिंसा शुरू हुई थी जो कि गंभीर रूप लेती चली गई. इस मामले को लेकर को इस बार पूरे मॉनसून सत्र में केंद्र सरकार को घेरा गया.
हालांकि, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया कि अब मणिपुर के हालात में सुधार हुआ है और शांति बहाल हो रही है.
पीएम मोदी ने मणिपुर में पिछले कुछ महीनों से जारी हिंसा का उल्लेख करते हुए मंगलवार को कहा कि वहां मां-बेटियों के सम्मान के साथ खिलवाड़ हुआ है. उन्होंने मणिपुर के लोगों से शांति की अपील करते हुए कहा कि पूरा देश मणिपुर के साथ है और शांति से ही समाधान का रास्ता निकलेगा.
लाल किले की प्राचीर से 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘पूर्वोत्तर में और हिंदुस्तान के भी कुछ अन्य भागों में लेकिन विशेषकर मणिपुर में जो हिंसा का दौर चला… कई लोगों को अपना जीवन खोना पड़ा. मां-बेटियों के सम्मान के साथ खिलवाड़ हुआ.’’
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से वहां से लगातार शांति की खबरें आ रही हैं. उन्होंने कहा, ‘‘पूरा देश मणिपुर के लोगों के साथ है. मणिपुर के लोगों ने पिछले कुछ दिनों से जो शांति बनाए रखी है, उस शांति के पर्व को बनाएं रखें.’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘शांति से ही समाधान का रास्ता निकलेगा.’’
उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र की सरकारें मिलकर वहां समस्याओं के समाधान के लिए भरपूर प्रयास कर रही हैं और आगे भी करती रहेंगी.
(Image Credit: PTI)