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मध्य प्रदेश: कम साक्षरता दर (literacy rate) वाले आदिवासी ज़िले और उम्मीदवारों के दावे

मध्य प्रदेश के ज्यादतर आदिवासी बहुल ज़िलों में शिक्षा का स्तर काफी ख़राब है .

इस मामले में मध्य प्रदेश के दो ज़िलों का नाम ख़ासतौर पर लिया जाता है – झाबुआ और अलीराजपुर.

उम्मीदवारों कि साक्षरता दर कम है. यह दो ज़िलें झाबुआ और अलीराजपुर है. लेकिन इन दोनों ही ज़िलों में जो उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं उनमें से कम से कम एक सर्जन और एक वकील हैं.

इसके अलावा कई उम्मीदवार ग्रेज्युएट भी हैं. लेकिन कई उम्मीदवार ऐसे भी हैं जो कभी कॉलेज तक नहीं पहुंचे हैं.

उम्मीदवारों की साक्षरता दर

जिसके हिसाब से पेटलावद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार वल सिंह मेड़ा के अलावा लगभग सभी 12वीं कक्षा से ऊपर की शिक्षा प्राप्त हैं. वल सिंह मेड़ा ने कक्षा 8वी तक ही पढ़ाई की है.

वहीं दूसरी और झाबुआ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे बीजेपी के उम्मीदवार भानु भूरिया और कांग्रेस के उम्मीदवार प्रत्याशी डॉ. विक्रांत भूरिया कि शिक्षा योग्यता और उम्मीदवारों से सबसे ज्यादा हैं.

जहां एक तरफ भानु भूरिया एलएलबी ग्रेजुएट है. तो वहीं दूसरी ओर विक्रांत भूरिया एक सर्जन है.

उम्मीदवारों के वादे

राज्य के इन दोनों आदिवासी बहुल ज़िला झाबुआ और अलीराजपुर में साक्षरता दर कम होने के कारण चुनाव प्रचार करने वाले उम्मीदवारों का ध्यान शिक्षा पर है और मतदाताओं का ध्यान चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यता की ओर खिंचा चला आता है.

तो इसलिए इन दोनों ज़िलों में चुनाव के समय उम्मीदवारों का मुख्य वादे अच्छे शिक्षण संस्थानों बनाने के साथ ही बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है. जिसमें बेरोजगारी, बिजली-पानी जैसी समस्या शामिल है. इन्हीं समस्याओं पर दोनों पार्टियां बीजेपी एंव कांग्रेस का ध्यान केंद्रित है.

उम्मीवारों की राय

झाबुआ से भाजपा उम्मीदवार भानु भूरिया ने कहा है कि यह चुनाव मुख्य रूप से स्थानीय लोगों के लिए शिक्षा और रोजगार सृजन पर केंद्रित है ताकि वे काम की तलाश में गुजरात की ओर पलायन न करें.

उन्होंने बताया है कि हम पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि हम जल्द ही एक लॉ कॉलेज खोलेंगे और मेडिकल कॉलेज खोलने पर भी काम कर रहे हैं. इसके अलावा झाबुआ में पहले से ही एक इंजीनियरिंग कॉलेज है.

इसी तरह विक्रांत भूरिया ने कहा है कि राज्य में आदिवासियों को उचित सम्मान नहीं दिया जाता है और हम उनके शोषण के खिलाफ लड़ रहे हैं. इसके अलावा क्षेत्र में बेरोजगारी पलायन का प्रमुख कारण है जिसके लिए हम काम करेंगे.

दो बार रहे विधायक एंव राज्य जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष और थांदला से भाजपा उम्मीदवार कल सिंह भाभर ने कहा है कि सरकार द्वारा शुरू की गई शिक्षा और छात्रवृत्ति से जुड़ी कई योजनाओं से सभी मतदाताओं को लाभ हुआ है.

उन्होंने कहा है कि बेरोजगारी से संबंधित मुद्दे अभी भी हैं लेकिन हम युवाओं को कौशल आधारित प्रशिक्षण प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं ताकि वे अन्य ज़िलों में पलायन न करें.

इन सब उम्मीदवारों के अलावा कांग्रेस के पदधारी विधायक वीर सिंह भूरिया ने कहा है कि इस चुनावी क्षेत्र में प्रमुख मुद्दे बेरोजगारी हैं.

पड़ोसी राज्य में दैनिक मजदूरी के लिए दिशानिर्देश मध्य प्रदेश से अधिक हैं. जिसके कारण सारे मध्य प्रदेश के निवासी पड़ोसी राज्य में काम करने चले जाते हैं.

वैसे आदिवासी इलाकों में शुरुआत से बुनियादी सुविधा के साथ ही शिक्षा का अभाव रहा है क्योंकि इन इलाकों या बस्तियों में विद्यालय या तो है नहीं और जो है वो आदिवासी बस्तियों से दूर है.

जिसके कारण कई बार बच्चें अपने शिक्षा पूरी नहीं कर पाते है और इस विषय को राजनीतिक पार्टियां एक मुद्दा बन देती है. इसके बाद इस मुद्दे पर सारी राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे पर तंज कसती है.

इसके अलावा चुनाव के समय राजनीतिक पार्टियों के नेता शिक्षा या बुनियादी सुविधा का समाधान करने के नाम पर आदिवासियों या दलितों से वोट मांगते है.

आसान शब्दों में कहा जाए तो ये लोग सुविधा उपलब्ध कराने के नाम पर दलितों और आदिवासियों से वोर्ट मांगते है.

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