HomeAdivasi Dailyइंदौर अस्पताल के बाहर अनिश्चितकालीन प्रदर्शन

इंदौर अस्पताल के बाहर अनिश्चितकालीन प्रदर्शन

चूहों के काटने से दो नवजातों की मौत के विरोध में जयस संगठन का धरना जारी, अस्पताल डीन और सुपरिटेंडेंट पर कार्रवाई की मांग पूरी न होने तक करेंगे धरना.

मध्य प्रदेश के इंदौर में महाराजा यशवंतराव अस्पताल (MYH) के मेन गेट पर रविवार से जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन ने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है.

संगठन के नेता और कार्यकर्ता दो नवजात बच्चियों की मौत के मामले में अस्पताल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं.

जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश मुजल्दा ने कहा कि जब तक अस्पताल के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया और सुपरिटेंडेंट डॉ. अशोक यादव पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा.

उनकी मांग है कि दोनों अधिकारियों को निलंबित किया जाए और उनके खिलाफ सदोष हत्या (culpable homicide) का मामला दर्ज किया जाए.

धरना स्थल पर बैठी भीड़ ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने की मांग की.

अस्पताल परिसर में चल रही नारेबाज़ी और भीड़ के कारण मरीजों और उनके परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

एमवायएच के कार्यवाहक सुपरिटेंडेंट डॉ. बसंत कुमार निंगवाल का कहना है कि प्रशासन ने कई बार प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश की लेकिन वे अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं.

क्या है मामला

यह विवाद 31 अगस्त और 1 सितंबर की रात हुई दर्दनाक घटना से जुड़ा है. अस्पताल के आईसीयू में भर्ती दो नवजात बच्चियों को चूहों ने काट लिया था. एक बच्ची की उंगलियों को चूहों ने काटा तो वहीं दूसरी बच्ची के सिर और कंधे पर निशान मिले थे.

दोनों की हालत पहले से गंभीर थी और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

इनमें से एक बच्ची आदिवासी परिवार से थी जबकि दूसरी अल्पसंख्यक समुदाय से.

प्रशासन की सफाई

अस्पताल प्रशासन ने आरोपों से इनकार किया है.

उनका कहना है कि नवजातों की मौत चूहों के काटने से नहीं बल्कि जन्मजात बीमारियों और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के कारण हुई.

अस्पताल प्रशासन का कहना है कि इसके बावजूद घटना के बाद आठ कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा चुकी है.

सुपरिटेंडेंट डॉ. अशोक यादव ने गंभीर स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर लंबी छुट्टी ले ली है.

जांच और अगली कार्रवाई

मामले की गंभीरता को देखते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने राज्य सरकार और अस्पताल प्रशासन से जवाब मांगा है.

आगे की जांच, रिपोर्ट और कोर्ट के निर्देशों पर ही यह तय होगा कि अस्पताल में हुई इस लापरवाही के लिए किसे ज़िम्मेदारी ठहराया जाएगा.

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