हाल ही में आदिवासी समाजसेवी सूर्या हासंदा की मौत हो गई, जिसे पुलिस ने मुठभेड़ (एनकाउंटर) में मारने का दावा किया है.
लेकिन अब इस मुठभेड़ पर सवाल उठ रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा है कि यह मुठभेड़ फर्जी है, यानी पुलिस ने जानबूझकर उन्हें मार डाला.
इसी वजह से भाजपा ने इसकी जांच सीबीआई से करवाने की मांग की है.
सूर्या हासंदा झारखंड के संथाल परगना इलाके के रहने वाले थे. वे कई बार चुनाव भी लड़ चुके थे, लेकिन कभी जीत नहीं पाए. फिर भी वे लोगों के बीच काफी जाने जाते थे.
वे आदिवासी बच्चों की पढ़ाई, गरीबों की मदद और अवैध बालू खनन (रेत की चोरी) जैसे मुद्दों पर खुलकर बोलते थे.
लोगों का कहना है कि वे हमेशा गरीबों और आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ते थे.
उधर पुलिस का कहना है कि सूर्या हासंदा पर कई आपराधिक मामले दर्ज थे और जब उन्हें पकड़ने की कोशिश हुई, तब उन्होंने भागने की कोशिश की.
इसी दौरान गोली चलने से उनकी मौत हो गई.
लेकिन भाजपा और उनके समर्थक इस कहानी पर भरोसा नहीं कर रहे हैं.
उनका कहना है कि यह एक सोची-समझी हत्या है और इसके पीछे सरकार या प्रशासन का हाथ हो सकता है.
भाजपा ने इस मुद्दे को लेकर झारखंड के 24 जिलों में विरोध प्रदर्शन किया.
उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से हो, ताकि सच्चाई सामने आ सके.
साथ ही उन्होंने रांची के कांके इलाके में बनने वाले नए अस्पताल RIMS-2 के लिए आदिवासियों की जमीन लिए जाने पर भी विरोध जताया है.
उनका कहना है कि किसानों की जमीन जबरदस्ती छीनी जा रही है.
भाजपा के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकार दिखावे के लिए आदिवासियों की मदद की बातें करती है, लेकिन असल में उन्हें दबाया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि सूर्या हासंदा पर जो आरोप थे, वे पहले ही खत्म हो चुके थे.
वे कोई अपराधी नहीं थे, बल्कि लोगों की मदद करने वाले व्यक्ति थे.
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह इस मुद्दे को राजनीति के लिए इस्तेमाल कर रही है.
कांग्रेस ने कहा कि पुलिस ने जो किया, वह कानून के मुताबिक था और भाजपा लोगों को भड़काने की कोशिश कर रही है.
अब मामला बहुत ही गंभीर हो गया है.
एक तरफ पुलिस का कहना है कि सूर्या अपराधी थे, दूसरी तरफ कई लोग कह रहे हैं कि वे समाज के लिए लड़ने वाले थे और उनकी मौत के पीछे कोई साजिश हो सकती है.
ऐसे में मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही है.