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पीएम मोदी के दौरे पर कुकी-ज़ो समाज बंटा, कहीं बहिष्कार तो कहीं स्वागत की तैयारी

प्रधानमंत्री मोदी के प्रस्तावित मणिपुर दौरे पर कूकी-ज़ो समाज बंटा, कहीं विरोध की आवाज़ें उठीं तो कहीं स्वागत का ऐलान हुआ

मणिपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा तय माना जा रहा है. अगर वे मणिपुर जाते हैं, तो करीब 40 साल बाद यह पहला मौका होगा जब कोई प्रधानमंत्री इस इलाके में पहुंचेगा.

हालांकि प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने अभी तक आधिकारिक कार्यक्रम की सूची जारी नहीं की है. लेकिन इंफाल और चुराचांदपुर में तैयारियां ज़ोरों पर हैं.

विरोध और बहिष्कार की खबरें

प्रधानमंत्री की यात्रा की खबर के बाद सुबह कुकी-ज़ो के कई विस्थापित संगठनों ने साफ कहा कि वे इस दौरे से जुड़े कार्यक्रमों का बहिष्कार करेंगे.

इंफाल हमार विस्थापित समिति ने कहा, “हमारे आँसू सूखे नहीं, हमारे ज़ख्म भरे नहीं, ऐसे में हम जश्न नहीं मना सकते.”

ईस्टर्न वैपई आईडीपी वेलफेयर कमेटी और चंदेल ज़िला आईडीपी समिति ने भी यही रुख अपनाया.

सभी का कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी के आने से जश्न का माहौल नहीं बनेगा, बल्कि दुख सामने आएगा.

इन संगठनों का मानना था कि जब तक उनके दर्द और नुकसान की भरपाई नहीं होती, प्रधानमंत्री का स्वागत करना संभव नहीं.

कुकी इंपी मणिपुर का बयान

कुकी समाज के शीर्ष संगठन कुकी इंपी मणिपुर (KIM) ने प्रधानमंत्री के दौरे का स्वागत तो किया, लेकिन साफ कहा कि यह दौरा सिर्फ औपचारिक न रहे बल्कि न्याय और राजनीतिक समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं.

उन्होंने एक बार फ़िर से स्थाई समाधान की बात दोहराई.

इस संगठन ने हाल ही में केंद्र, राज्य और दो कुकी उग्रवादी गुटों के बीच हुए सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (SoO) समझौते पर भी आपत्ति जताई.

इसमें मणिपुर की “भौगोलिक अखंडता” का ज़िक्र है. लेकिन संगठन ने कहा कि यह केवल अन्य गुटों पर लागू होता है, पूरे कुकी-ज़ो समाज पर नहीं.

संगठन का कहना है, “3 मई 2023 से ही मैतेई समाज से अलग रहना हमारी हकीकत है, हम मणिपुर की अखंडता को नहीं मानते.”

स्वागत का फैसला

हालांकि शाम तक एक और कुकी-ज़ो संगठन का रुख बदला हुआ नज़र आया.

कुकी-जो काउंसिल (KZC) ने प्रधानमंत्री मोदी के आने को “ऐतिहासिक और दुर्लभ अवसर” बताते हुए उनका स्वागत करने का ऐलान किया.

कुकी-ज़ो काउंसिल का कहना है कि पिछले एक साल में कुकी-ज़ो समुदाय ने बहुत तकलीफ़ें सही हैं. 250 से अधिक लोग मारे गए, 360 से ज्यादा चर्च तोड़े गए, 7000 घर जल गए और 40,000 लोग अब भी राहत शिविरों में हैं.

काउंसिल ने कहा कि वे अब भी भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था और प्रधानमंत्री के नेतृत्व पर भरोसा रखते हैं.

काउंसिल ने अपनी पुरानी मांग दोहराई है कि उन्हें मणिपुर से अलग संविधान के अनुच्छेद 239A के तहत विधायिका सहित एक केंद्रशासित प्रदेश (Union Territory) दिया जाए.

उनका कहना है, “यह मांग सुविधा के लिए नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व और सुरक्षा के लिए है.”

काउंसिल ने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री उनकी आवाज़, दर्द और भविष्य को समझेंगे और ज़रूरी कदम उठाएंगे.

प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब मणिपुर जातीय तनाव, विरोध और उम्मीद—सबका मिश्रण देख रहा है.

कुकी-ज़ो समाज के भीतर ही सुबह बहिष्कार और शाम को स्वागत जैसे अलग-अलग सुर सुनाई दिए.

अब सबकी नज़र इस बात पर है कि प्रधानमंत्री किससे मिलते हैं, क्या घोषणा करते हैं और क्या वास्तव में राज्य की शांति और समाधान की दिशा में कोई ठोस पहल होती है.

(Image Credit : DD News)

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