केरल के वायनाड की हरी पहाड़ियों के बीच बसे थिरुनेल्ली सरकारी आश्रम उच्च विद्यालय के हालात इन दिनों चिंताजनक बने हुए हैं.
जुलाई में इस विद्यालय के गर्ल्स हॉस्टल की इमारत को असुरक्षित घोषित किया गया था. इसके बाद से आश्रम स्कूल की लगभग 120 छात्राएं विद्यालय की तीन कक्षाओं में रहने को मजबूर हैं.
पर्याप्त जगह और सुविधाओं के बिना रहते हुए, अब इन छात्राओं को तीन महीने बीत चुके हैं, लेकिन स्कूल को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हुई.
छात्र और शिक्षक दोनों अनिश्चितता में हैं, जबकि अभिभावकों की चिंता यह है कि अगर स्कूल दूर के ज़िले में शिफ्ट हुआ, तो वे अपने बच्चों से साप्ताहिक अंतराल पर मिलने नहीं जा पाएंगे.
परिणामों में आगे, सुविधाओं में पीछे
थिरुनेल्ली का यह सरकारी आश्रम हाई स्कूल, वायनाड और कोझिकोड जिलों के पनिया और आदि जनजाति के बच्चों के लिए एकमात्र आवासीय विद्यालय है.
सालों से यह स्कूल इन जनजातीय परिवारों के बच्चों के लिए शिक्षा और खेल का केंद्र रहा है.
यह स्कूल शत-प्रतिशत SSLC परीक्षा परिणाम और छात्रों की खेल प्रतिभाओं के लिए जाना जाता है.
हाल ही में सितंबर में आयोजित इंटरनल खेल प्रतियोगिता में छात्र नंगे पांव तारकोल की सड़क पर दौड़ते नज़र आए क्योंकि स्कूल में अब भी खेल का मैदान नहीं है.
जुलाई में लोक निर्माण विभाग (PWD) ने लड़कियों के हॉस्टल को असुरक्षित घोषित किया था. इसके बाद से तो छात्र न्यूनतम सुविधाओं से भी वंचित हैं.
120 छात्राओं को स्कूल की इमारत की ऊपरी मंज़िल के तीन कमरों में ठहराया गया. यहां न तो पर्याप्त जगह है, न ही कोई निजी सुविधा और 120 छात्राओं के लिए मात्र एक शौचालय है.
वहीं कक्षाओं को अस्थायी रूप से कंप्यूटर लैब, लाइब्रेरी और स्टेज पर स्थानांतरित किया गया है.
इस बीच, विद्यालय के 250 से अधिक छात्र और 40 से ज्यादा शिक्षक-कर्मचारी किसी तरह इस अस्थायी व्यवस्था में दिन गुज़ार रहे हैं.
नई जगह पर शिफ्ट करने की योजना, लेकिन अभी तक अधूरी
अनुसूचित जनजाति विकास विभाग (STDD) ने इस स्कूल को कन्नूर जिले के अरलम में स्थित मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल में स्थानांतरित करने की योजना बनाई थी.
विभाग ने बिजली कनेक्शन के लिए ₹21 लाख का भुगतान भी कर दिया है. लेकिन अब तक वहां बिजली आपूर्ति शुरू नहीं हुई है.
एसटीडीडी के अधीक्षक एन. जयन के अनुसार, अरलम में सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. बिजली कनेक्शन मिलते के एक सप्ताह के भीतर स्कूल को शिफ्ट कर दिया जाएगा.
हालांकि, यह निर्णय छात्राओं और अभिभावकों दोनों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है.
वायनाड के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले अभिभावक अब तक हर हफ्ते अपने बच्चों से मिल पाते थे, लेकिन अरलम जाने पर ये दूरी 60 किलोमीटर तक बढ़ जाएगी.
असुरक्षित माहौल और स्वच्छता की भारी कमी
थिरुनेल्ली स्कूल जंगल के किनारे स्थित है और चारदीवारी या सुरक्षा फेंसिंग का अभाव इसे और असुरक्षित बनाता है.
कई बार हाथियों के स्कूल गेट तक आने की घटनाएं भी सामने आई हैं.
सबसे बड़ी समस्या स्वच्छता की है. छात्राओं के रहने की जगह बेहद तंग है और केवल एक शौचालय उपलब्ध है.
थिरुनेल्ली आश्रम स्कूल की यह स्थिति केवल एक संस्थान की कहानी नहीं है बल्कि व्यवस्था की संवेदनहीनता को भी उजागर करती है.
(Image credit – The Hindu)