HomeAdivasi Dailyतमिलनाडु की योजनाओं में पारदर्शिता की कमी: CAG रिपोर्ट

तमिलनाडु की योजनाओं में पारदर्शिता की कमी: CAG रिपोर्ट

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में तमिलनाडु सरकार की जनजातीय और अनुसूचित जाति उपयोजनाओं में वित्तीय पारदर्शिता की कमी उजागर हुई.

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General) की नवीनतम रिपोर्ट ने तमिलनाडु में जनजातीय उपयोजना (Tribal Sub Plan) की वित्तीय पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाए हैं.

तमिलनाडु विधानसभा में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में यह पाया गया है कि राज्य सरकार ने अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) से जुड़ी योजनाओं के लिए वित्तीय वर्ष 2023-2024 में जो दस्तावेज़ तैयार किए, वे केंद्र सरकार द्वारा तय नियमों के हिसाब से नहीं थे.

हालांकि CAG सीधे संसद के प्रति जवाबदेह होता है, परंतु उसकी राज्य संबंधी ऑडिट रिपोर्ट्स राज्यपाल को सौंपी जाती हैं. फिर राज्यपाल उन्हें विधानसभा में पेश करते हैं.

इससे राज्य स्तर पर जवाबदेही और वित्तीय अनुशासन बनाए रखने में मदद मिलती है.

CAG की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023–24 के लिए तैयार जेंडर बजट स्टेटमेंट (GBS), अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) और जनजातीय उपयोजना (TSP) में कई ज़रूरी आंकडें नहीं जोड़े गए.

रिपोर्ट में बताया गया है कि तमिलनाडु सरकार ने  न तो वित्तीय वर्ष 2021-22 के वास्तविक खर्च के आंकड़े दिए और न ही 2022-2023 के बजट का संशोधित अनुमान केंद्र सरकार को दिया.

इस वजह से यह पता लगाना मुश्किल हो गया कि योजनाओं पर असल में कितना खर्च हुआ. 

पहले भी एक रिपोर्ट में यह कमी उजागर की जा चुकी थी कि राज्य सरकार ने बजट दस्तावेज़ केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित पारूप या ढांचे में नहीं दिए, जिसके कारण कुछ ज़रूरी आंकडे उपलब्ध नहीं हो पाए.

इसके बाद राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिए जेंडर बजट स्टेटमेंट का प्रारूप बदला है. लेकिन रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) और जनजातीय उपयोजना (TSP) के प्रारूप को भी बदला गया है या नहीं. 

रिपोर्ट में सितंबर 2023 में राज्य में शुरु की गई “मगलिर उरिमै थोघई” का उदाहरण दिया गया है.

इस योजना का कुल बजट ₹7,000 करोड़ था. इसमें से ₹5,460 करोड़ सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए था और ₹1,540 करोड़ अनुसूचित जाति योजना के तहत खर्च किया जाना था.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस योजना में जनजातीय उपयोजना (TSP) के तहत खर्च करने के लिए शुरू में कोई भी राशि नहीं रखी गई.

फरवरी 2024 में अनुपूरक बजट के दौरान जोड़ा गया. इससे जनजातीय लाभार्थियों को पैसा मिलने में देर हुई.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) और जनजातीय उपयोजना (TSP) दोनों योजनाओं में कई खामियां हैं.

कई जगह आवंटन ठीक से नहीं हुआ, कई योजनाओं का क्रियान्वयन अधूरा रह गया और कुछ योजनाओं में खर्च दिखाया ही नहीं गया.

यानी कागज़ पर जो रकम तय की जाती है, वह वास्तव में ज़मीनी स्तर पर खर्च ही नहीं की जाती.

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के नियम के मुताबिक, हर राज्य को जनजातीय आबादी के अनुपात के अनुसार बजट का हिस्सा जनजातीय उपयोजना के लिए आवंटित करना होता है.

लेकिन CAG की रिपोर्ट बताती है कि राज्य में वास्तविकता में जनजातीय उपयोजना के तहत इससे भी कम खर्च किया जाता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के कार्यों का आकलन करने के लिए वास्तविक खर्च का सामने आना आवश्यक है.

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