मध्यप्रदेश के धार जिले के मनावर क्षेत्र में आदिवासी समाज को सशक्त बनाने की दिशा में एक बेहतरीन कदम उठाया गया है.
यहाँ ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ के तहत आदिवासी नेतृत्व विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य आदिवासी समुदाय के युवाओं को नेतृत्व, संगठन और जनजागरण की दिशा में प्रशिक्षित करना है.
यह कार्यक्रम एक सप्ताह तक चला और इसमें बड़ी संख्या में आदिवासी युवाओं ने भाग लिया.
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस पार्टी के आदिवासी विभाग द्वारा किया गया.
खास बात यह थी कि यह एक आवासीय प्रशिक्षण शिविर था, यानी सभी प्रतिभागियों को पूरे सात दिन के लिए प्रशिक्षण स्थल पर रुकना था.
यह कार्यक्रम 19 फरवरी से 25 फरवरी, 2025 तक धार जिले के मोहनखेड़ा में आयोजित हुआ.
यह पहला मौका था जब प्रदेश में किसी राजनीतिक दल ने आदिवासी नेतृत्व को केंद्र में रखकर ऐसा प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया.
प्रशिक्षण के लिए चयनित 120 आदिवासी युवाओं का चयन राज्य के 88 आदिवासी विकासखंडों से किया गया.
इन युवाओं का चयन भोपाल में आयोजित इंटरव्यू के माध्यम से हुआ, जिसमें एआईसीसी और प्रदेश कांग्रेस के आदिवासी विभाग के वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया.
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आदिवासी युवाओं को संविधान में उनके अधिकारों की जानकारी देना, जल-जंगल-जमीन से जुड़े उनके परंपरागत अधिकारों की समझ विकसित करना और उन्हें अपने समाज के प्रति जिम्मेदार नेतृत्व प्रदान करने के लिए प्रेरित करना था.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर कहा कि आदिवासी समाज इस देश का “स्वाभाविक मालिक” है.
उन्होंने कहा कि जल, जंगल और जमीन पर पहला अधिकार आदिवासी समुदाय का है, लेकिन आज उन्हें उनके ही संसाधनों से दूर किया जा रहा है.
उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 1.5 लाख से अधिक सरकारी पद आज भी खाली पड़े हैं, लेकिन सरकार भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं कर रही है.
यही नहीं, आदिवासी छात्रवृत्तियों में भारी भ्रष्टाचार है और आदिवासी छात्रावास जर्जर स्थिति में हैं.
कार्यक्रम में कांग्रेस आदिवासी विभाग के प्रदेश अध्यक्ष रामू टेकाम ने भी भाग लिया.
उन्होंने बताया कि इस शिविर में पेसा एक्ट, वनाधिकार कानून, संविधान में आदिवासियों को दिए गए संरक्षण, तथा भाजपा सरकार की नीतियों के प्रभाव जैसे विषयों पर गहन चर्चा हुई.
उन्होंने कहा कि यह शिविर सिर्फ राजनीतिक प्रशिक्षण नहीं है, बल्कि यह आदिवासी समुदाय की चेतना को जगाने का एक माध्यम है.
शिविर के प्रशिक्षण प्रभारी राहुल बल ने बताया कि यह प्रशिक्षण युवा आदिवासी नेतृत्व को मजबूत बनाएगा.
ये युवा अपने गांव, क्षेत्र और समाज में एक सशक्त नेतृत्व का प्रतीक बनेंगे और भविष्य में अपने समुदाय की आवाज़ को मजबूती से उठाएंगे.
इस प्रशिक्षण शिविर की एक और बड़ी खासियत यह थी कि इसमें 59 गांवों को 5 क्लस्टरों में बांटकर एक संगठनात्मक संरचना तैयार की गई, जिससे हर क्लस्टर में नेतृत्वकारी युवाओं को जिम्मेदारी दी जा सके.