महाराष्ट्र में आदिवासी समुदाय की ज़मीनों को लेकर एक बड़ी गड़बड़ी का मामला सामने आया है. इस गड़बड़ी को लेकर अब राज्य सरकार ने जांच शुरू करने का ऐलान किया है.
सरकार को यह संदेह है कि वर्ष 2011 से लेकर 2025 के बीच आदिवासियों की कुल 1,628 ज़मीनों को गैरकानूनी तरीके से गैर-आदिवासियों को बेच दिया गया.
यह जानकारी राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बुधवार को विधानसभा में दी.
यह मामला तब उजागर हुआ जब पालघर से शिवसेना विधायक राजेंद्र गावित ने सदन में बताया कि इन ज़मीनों में सबसे ज्यादा 732 ज़मीनें कोंकण डिविजन में ट्रांसफर की गईं.
इसके बाद नासिक डिविजन में 619 ज़मीनों की शिकायतें मिलीं जबकि पुणे डिविजन में 45 मामलों का पता चला है.
गावित ने आरोप लगाया कि इन ज़मीनों को कुछ प्रभावशाली गैर-आदिवासी नेताओं, पुलिस अधिकारियों और रसूखदार लोगों ने गलत तरीके से खरीद लिया.
उन्होंने विशेष रूप से ठाणे के येऊर क्षेत्र का भी ज़िक्र किया, जहां ऐसे अवैध खरीद-फरोख्त के कई मामले सामने आए.
गावित ने सदन में यह भी कहा कि जिन ज़मीनों की कीमतें सोने के खदान जैसी थीं, उन्हें आदिवासियों से कौड़ियों के दाम पर खरीद लिया गया. कुछ मामलों में तो यह वादा भी किया गया कि आदिवासियों को इसके बदले दूसरी ज़मीन दी जाएगी लेकिन बाद में कोई भी वैकल्पिक ज़मीन नहीं दी गई.
कानून स्पष्ट रूप से कहता है कि आदिवासी ज़मीनों का गैर-आदिवासियों को ट्रांसफर पूरी तरह से प्रतिबंधित है लेकिन इसके बावजूद ऐसा हो रहा है.
इस पर जवाब देते हुए मंत्री बावनकुले ने माना कि आदिवासी समुदाय की कृषि भूमि को गैर-आदिवासियों को ट्रांसफर करने पर पूरी तरह रोक है.
उन्होंने यह भी बताया कि अगर कभी रिहायशी या व्यावसायिक ज़मीन का ट्रांसफर हो भी तो उसमें 34 सख्त शर्तों का पालन करना अनिवार्य होता है.
मंत्री ने आश्वासन दिया कि हर डिविजन के डिविजनल कमिश्नर अब इस मामले की जांच करेंगे और अगर किसी ज़मीन का ट्रांसफर धोखाधड़ी से हुआ पाया गया तो वह ज़मीन आदिवासी मालिक को वापस दी जाएगी.
बावनकुले ने सदन को यह भी जानकारी दी कि वर्ष 2021 तक राज्य सरकार को कुल 617 मामलों की शिकायतें मिली थीं, जिनमें से 404 मामलों में जांच के बाद ज़मीनें आदिवासियों को लौटा दी गई हैं. बाकी मामलों की जांच ज़िलाधिकारियों के स्तर पर अब भी चल रही है.
सरकार का कहना है कि अब 1,628 मामलों की जांच तीन महीने के भीतर पूरी कर ली जाएगी और जिन भी मामलों में गड़बड़ी पाई जाएगी, वहां कार्रवाई कर ज़मीनें आदिवासियों को लौटाई जाएंगी.
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