छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के तरेम क्षेत्र में बीती रात माओवादी हिंसा ने एक बार फिर ग्रामीणों को झकझोर दिया.
हथियारबंद माओवादी आदिवासी गांवों में घुस आए और तेजधार हथियारों से दो निर्दोष ग्रामीणों की हत्या कर दी.
इस घटना ने तरेम क्षेत्र की जनता में भय और गुस्सा दोनों पैदा कर दिया है. घटना के दौरान लगभग 4 से 5 अज्ञात माओवादी हाथों में लाठी-भाले जैसी तेजधार हथियार लेकर गांव में पहुंचे.
उन्होंने घरों में घुंस में कर दो आदिवासी पुरुषों – कावसी जोगा (लगभग 55 वर्ष) और मंगलू कूरसम (लगभग 50 वर्ष)—को जबरन घर से घसीट कर बाहर निकाला और स्थानीय लोगों के सामने उनकी निर्मम हत्या कर दी.
माओवादियों द्वारा यह कार्रवाई इतनी बेरहमी से की गई कि गांव में इस घटना के बाद डर का माहौल बना हुआ है.
तरेम और इसके आस-पास के क्षेत्र लंबे समय से माओवादी गतिविधियों से प्रभावित रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में यहां कई बार इसी प्रकार की हिंसा देखने को मिली है.
विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र में लगातार माओवादी दहशत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि आदिवासियों को डराकर अपने प्रभाव में लिया जा सके.
यह घटना आधी रात मे घटी जब अधीकांश लोग अपने घरों मे सो रहे थे, तभी अचानक माओवादी इस इलाके पर टूट पड़े और तेजधार हथियारों से दोनों पुरुषों की हत्या कर दी.
पुलिस अधिकारी इस हिंसा की पुष्टि करते हुए घटना की जांच में जुट गए हैं. स्थानीय निवासियों की सहायता से पुलिस अब इस मुठभेड़ की विस्तृत जानकारी एकत्रित कर रही है.
अब तक माओवादियों द्वारा यह कार्रवाई क्यों की गई, इसका कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आया है. पुलिस ने बताया कि मामले की पहचान और सही वजह का पता लगाया जा रहा है.
स्थानीय थाने में एसआईटी (Special Investigation Team) का गठन किया गया है, जो घंटों बाद घटनास्थल पर पहुंचेगा और इसकी गहरी जाँच पड़ताल करेगा.
घटना के बाद जिला प्रशासन हरकत में आ गया है. बीजापुर के कलेक्टर और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने घटनास्थल का दौरा करने की घोषणा की है.
प्रशासन ने पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा देने और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने का आश्वासन दिया है.
राज्य सरकार द्वारा भी इस मुद्दे को गंभीरता से लिए जाने की उम्मीद जताई जा रही है.
इस निर्मम हत्या के बाद गांव में मातम पसरा हुआ है. कावसी जोगा और मंगलू कूरसम के परिवार बेसुध हैं. उनकी पत्नियाँ और बच्चे अभी तक सदमे से उबर नहीं पाए हैं.
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि दोनों शांत स्वभाव के मेहनती किसान थे और कभी किसी विवाद में नहीं पड़े थे.