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मैतेई समुदाय के प्रतिनिधियों ने राजनाथ सिंह से की मुलाकात, मणिपुर से असम राइफल्स को हटाने की मांग

इंफाल घाटी स्थित मैतेई समूहों के संगठन ‘कॉर्डिनेशन कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी’ (COCOMI) के प्रतिनिधियों ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से राजधानी दिल्ली में मुलाकात की. उन्होंने राज्य से असम राइफल्स को वापस बुलाने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि यह बल पक्षपात करता है.

इंफाल घाटी स्थित मैतेई समूहों के संगठन ‘कॉर्डिनेशन कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी’ (COCOMI) के प्रतिनिधियों ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से राजधानी दिल्ली में मुलाकात की. उन्होंने राज्य से असम राइफल्स को वापस बुलाने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि यह बल पक्षपातपूर्ण तरीके से काम कर रहा है. इससे पहले उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के सामने भी अपनी ये मांग रखी थी.

समुदाय के संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूह कोकोमी ने एक बयान में कहा कि उनके प्रतिनिधियों ने बृहस्पतिवार को दिल्ली में राजनाथ सिंह के आवास पर उनसे मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपा. इस बात की जानकारी प्रमुख मैतेई समूह ने मध्यरात्रि के आसपास जारी एक बयान में दी थी.

उन्होंने ज्ञापन में दावा किया कि कुकी समूहों ने मणिपुर संकट के समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र से संपर्क साधकर सरकार को असहज स्थिति में डाला है. बयान के मुताबिक उन्होंने सिंह के साथ बातचीत में नार्को-आतंकवाद (मादक पदार्थों की तस्करी में आतंकवादी संगठनों की संलिप्तता), अवैध प्रवासियों और उनकी पहचान के साथ ही अभियान संबंधी समझौतों के निलंबन के मुद्दे उठाए.

राज्य से असम राइफल्स को हटाने के लिए मैतेई महिला समूह भी कई विरोध प्रदर्शन करते आए हैं. इसके साथ ही कोकोमी के प्रतिनिधियों का कहना है की मई में जब से मणिपुर में जातीय हिंसा की शुरुआत हुई है. तब से वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से तीन बार मिल चुकें है. इसके साथ ही उन्होंने कहा है की हिंसा में लगभग 175 लोग मारे गए है और लगभग 50 हज़ार लोग विस्थापित हुए हैं.

इसके प्रवक्ता खुराइजम अथौबा ने कहा कि डीएमसीसी ने कुकी उग्रवादी समूहों से खतरे और असम राइफल्स के कथित पूर्वाग्रह का हवाला देते हुए एक ज्ञापन सौंपा है. कूकी समूहों ने हिंसा के लिए मैतेई उग्रवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराया है.

इसके साथ अथौबा ने कहा कि डीएमसीसी प्रतिनिधिमंडल ने सिंह को मणिपुर संकट के समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र का दरवाजा खटखटाने से कुकी समूहों को हुई शर्मिंदगी के बारे में अवगत कराया.

अथौबा ने यह भी कहा है की डीएमसीसी ने बताया है कि मैतेई विद्रोही समूहों को साल 2000 से पहले ही केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था. जिसके बाद उनके खिलाफ जरूरी कानूनी कार्रवाई की गई थी. लेकिन कुकी उग्रवादी पहाड़ियों से गोलीबारी कर रहे हैं और किसान मारे जा रहे हैं. इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है और ना ही निलंबन के बहाने कोई ऑपरेशन हुआ है. वहीं दूसरी तरफ कुकी समूह राज्य पुलिस पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगा रहे हैं.

पिछले महीने राज्य के 10 कुकी विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपील की थी कि राज्य से असम राइफल्स को हटाया नहीं जाए. उन्होंने कहा कि ऐसा किया गया तो आदिवासियों की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है. इसके साथ ही पिछले महीने असम राइफल्स ने एक मणिपुर नेता के खिलाफ कथित टिप्पणी के मामले में कानूनी नोटिस भेजा था. जिसमें उन्होंने सुरक्षा बल पर मैतेई के साथ संघर्ष के दौरान कुकी उग्रवादियों का साथ देने का आरोप लगाया था.

जिसके बाद मणिपुर पुलिस ने असम राइफल्स पर बफर जोन (Buffer Zone) में कुकी उग्रवादियों का पीछा करने से रोकने का आरोप लगाते हुए एक प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जिसके बारे में असम राइफल्स ने कहा था की उनकी सैनिक सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए केवल बफर जोन दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं. इसमें कथित तौर पर पुलिस शस्त्रागारों से चुराए गए हथियारों की वापसी को हतोत्साहित करने के लिए कोकोमीके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था.

दरअसल कुकी और अन्य जनजातीय समूह पहाड़ी ज़िलों में रहते हैं. वही मैतेई इंफाल घाटी और मैदानी इलाकों में रहते हैं. इसलिए केंद्रीय बलों को बफर ज़ोन या तलहटी से सटे क्षेत्रों में तैनात किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कुकी और मैतेई दोनों पक्षों के लोग सीमा पार करके हमले शुरू ना कर दे.

इतना ही नहीं एक जारी निर्देश में केंद्रीय बलों और राज्य पुलिस को भी साथ लिए बिना बफर जोन पार करने की अनुमति देने के खिलाफ है. इसके साथ ही जारी निर्देश कहा गया है की राज्य पुलिस पर लगे पक्षपात के आरोपों का नुकसान है. इन सब बातों से यह बात साफ है की दोनों समूह दोनों बलों पर पक्षपात का आरोप लगा रहे है और इन्हें हटाने की बात कर रहे है.

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