मध्य प्रदेश सरकार ने आदिवासी समुदाय के युवाओं को नई दिशा देने और उनमें नेतृत्व क्षमता बढ़ाने के लिए एक नई योजना की शुरुआत की है, जिसका नाम है ‘मिसाल योजना’.
यह योजना राज्य के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा शुरू की गई है.
इसका उद्देश्य है कि आदिवासी छात्र न केवल पढ़ाई में आगे बढ़ें, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी समझें और एक अच्छा नेता बन सकें.
मिसाल योजना के तहत आदिवासी कॉलेज स्टूडेंट्स को तरह-तरह की ट्रेनिंग दी जाएगी.
इसमें उन्हें नेतृत्व, संवाद, टीमवर्क और सामाजिक सेवा जैसी बातें सिखाई जाएंगी.
इसके अलावा उन्हें यह भी सिखाया जाएगा कि वे अपने गांव और समाज की समस्याओं को कैसे समझें और उनके समाधान कैसे निकालें.
यह योजना पढ़ाई के साथ-साथ उनके व्यक्तित्व विकास (personality development) पर भी ध्यान देती है.
इस योजना की खास बात यह है कि इसमें गुजरात राज्य की मदद भी ली जा रही है. गुजरात में पहले से ऐसे कार्यक्रम चलाए गए हैं जिनसे अच्छे परिणाम मिले हैं.
अब मध्य प्रदेश सरकार उन्हीं अनुभवों का फायदा लेकर अपने छात्रों को मजबूत बनाना चाहती है.
इसके लिए गुजरात के विशेषज्ञ और प्रशिक्षक मध्य प्रदेश के छात्रों को भी ट्रेनिंग देंगे.
मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने इस योजना की शुरुआत एक ऑनलाइन कार्यक्रम में की.
उन्होंने कहा कि “मिसाल” सिर्फ एक शिक्षा योजना नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक आंदोलन है.
इसका मकसद है कि आदिवासी युवा अपने अधिकारों को समझें, समाज के लिए काम करें और आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल बनें.
उन्होंने यह भी कहा कि अगर युवाओं को सही मार्गदर्शन मिले तो वे बड़े बदलाव ला सकते हैं.
सरकार चाहती है कि इस योजना से आदिवासी समाज को नए विचारों वाले युवा नेता मिलें, जो अपने समाज की समस्याओं को समझें और उसे हल करने में आगे आएं.
इस योजना के जरिए सरकार युवाओं को सिर्फ नौकरी के लिए नहीं, बल्कि समाज सेवा और नेतृत्व के लिए भी तैयार कर रही है.