मिजोरम सरकार ने हाल ही में राज्य में अवैध प्रवासियों और गैर-आदिवासी लोगों को हटाने की योजना की घोषणा की है.
मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने 24 अक्टूबर 2025 को इस फैसले की जानकारी दी और बताया कि इस कदम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी चर्चा की गई है.
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह निर्णय मिजोरम की जनजातीय पहचान और संस्कृति की रक्षा के लिए लिया गया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में आदिवासी समाज की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए यह आवश्यक कदम है, ताकि राज्य की सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक पहचान सुरक्षित रह सके.
मिजोरम में प्रवेश के लिए ‘इनर लाइन परमिट’ (ILP) का नियम लागू है.
यह बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन (BEFR) 1873 के तहत लागू होता है. इसके तहत राज्य में प्रवेश करने वाले गैर-आदिवासी लोगों को वैध परमिट लेना अनिवार्य है.
बिना वैध परमिट के कोई भी व्यक्ति मिजोरम में रह नहीं सकता.
मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने कहा कि सरकार अवैध प्रवासियों की पहचान करने और उन्हें हटाने के लिए कदम उठा रही है.
इस प्रक्रिया में स्थानीय प्रशासन, पुलिस और अन्य सरकारी एजेंसियां शामिल होंगी ताकि सभी मामलों की सही जानकारी मिल सके और कार्रवाई पूरी तरह पारदर्शी और कानूनी ढंग से हो.
सरकार ने यह भी बताया कि 2022 से 2025 के बीच कुल 35,922 गैर-आदिवासी लोगों को ILP जारी किया गया है.
इन परमिटों के माध्यम से उन्हें वैध रूप से राज्य में रहने की अनुमति मिली है.
इसके अलावा सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि भविष्य में कोई भी अवैध प्रवासी राज्य में प्रवेश न कर सके.
सीमा सुरक्षा और निगरानी कड़ी कर दी गई है ताकि किसी भी व्यक्ति का ILP के बिना रहना या प्रवेश करना संभव न हो.
हालांकि इस फैसले पर कुछ सामाजिक संगठन और स्थानीय समूह सवाल उठा रहे हैं.
उनका मानना है कि इससे मानवाधिकारों का उल्लंघन हो सकता है और राज्य में सामाजिक तनाव बढ़ सकता है.
कुछ संगठनों ने यह भी चेतावनी दी है कि इस तरह की कार्रवाई के दौरान उचित प्रक्रिया और सभी कानूनी अधिकारों का पालन होना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इन चिंताओं को गंभीरता से ले रही है और यह प्रक्रिया पूरी तरह कानूनी और पारदर्शी तरीके से की जाएगी.
उन्होंने स्थानीय समुदायों से सहयोग की अपील की ताकि इस कदम का असर सकारात्मक रहे और कोई विवाद उत्पन्न न हो.
मिजोरम में आदिवासी समाज लंबे समय से राज्य की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है.
राज्य में अवैध प्रवासियों की संख्या बढ़ने से कई बार स्थानीय लोगों की सामाजिक और आर्थिक समस्याएं बढ़ती रही हैं.
इसके अलावा राज्य की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार जैसी सुविधाओं पर भी असर पड़ा है.
मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने कहा कि सरकार का उद्देश्य केवल अवैध प्रवासियों को हटाना नहीं है, बल्कि राज्य की जनजातीय पहचान और सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा करना भी है.
इस कदम को कई विशेषज्ञ और राजनीतिक विश्लेषक मिजोरम के लिए महत्वपूर्ण बता रहे हैं.
उनका मानना है कि यदि यह नीति सही ढंग से लागू होती है, तो राज्य में अवैध प्रवासियों की संख्या नियंत्रित की जा सकेगी और आदिवासी समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित होगी.
साथ ही यह अन्य राज्यों के लिए भी उदाहरण पेश कर सकता है, जहां अवैध प्रवासियों की समस्या और स्थानीय समाज के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है.
मिजोरम सरकार की यह पहल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि राज्य एक छोटे क्षेत्र में विविध जनजातीय समुदायों का घर है.
यहां की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना बहुत नाजुक है और बाहरी दबाव या अवैध प्रवास इसके संतुलन को बिगाड़ सकता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार स्थानीय लोगों की सुरक्षा और उनके अधिकारों के प्रति प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी आदिवासी अपने अधिकारों से वंचित न रहे.

