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मोरन समुदाय को असम सरकार से मिला निवास प्रमाण पत्र, अरुणाचल में उठे सवाल

इस फैसले के बाद अब मोरन समुदाय के लोग सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और नौकरियों में आवेदन कर सकेंगे और उन्हें असम सरकार की योजनाओं का फायदा मिल सकेगा.

असम सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है, जो अरुणाचल प्रदेश में रह रहे मोरन समुदाय के 118 परिवारों के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है.

सरकार ने इन सभी परिवारों को स्थायी निवास प्रमाण पत्र (PRC) जारी किया है.

यह प्रमाण पत्र उन्हें असम का निवासी साबित करता है, जिससे उन्हें पढ़ाई, नौकरी और दूसरी सरकारी योजनाओं में मदद मिल सकती है.

ये सभी मोरन परिवार अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में रह रहे हैं, लेकिन इनकी जड़ें असम से जुड़ी हुई हैं.

कई साल पहले ये परिवार असम से जाकर अरुणाचल में बस गए थे. लेकिन वहाँ रहने के बाद भी इन्हें सरकारी कागजों में “स्थायी निवासी” नहीं माना जाता था.

इस वजह से इन्हें स्कूल, कॉलेज और सरकारी नौकरियों में दिक्कतें होती थीं.

अब असम सरकार ने इन्हें PRC देकर उनकी ये बड़ी समस्या हल कर दी है.

हालांकि यह फैसला जितना अच्छा इन परिवारों के लिए है, उतना ही विवादित भी हो गया है. अरुणाचल प्रदेश के कुछ संगठनों और छात्रों ने इसका विरोध किया है.

उनका कहना है कि असम सरकार को ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए था, क्योंकि ये परिवार असम में नहीं, अरुणाचल में रह रहे हैं.

अरुणाचल प्रदेश की सबसे बड़ी छात्र यूनियन AAPSU (ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन) ने कहा है कि इससे राज्य की पहचान और संसाधनों पर असर पड़ सकता है.

उनका कहना है कि अगर बाहर से आकर लोग अरुणाचल में बसते रहेंगे और उन्हें दूसरी सरकारें समर्थन देती रहेंगी, तो इससे स्थानीय लोगों के अधिकार और मौके कम हो सकते हैं.

मोरन समुदाय के लोग इस फैसले से खुश हैं. उनका कहना है कि वे लंबे समय से यही मांग कर रहे थे कि उन्हें उनकी पहचान मिले.

वे मानते हैं कि उनका रिश्ता असम से है – वहां की भाषा, संस्कृति और परंपराएं उनकी अपनी हैं.

उनका यह भी कहना है कि वे अरुणाचल में जरूर रहते हैं, लेकिन वे खुद को असम का ही निवासी मानते हैं.

लेकिन सवाल यह है कि अगर ये लोग अरुणाचल में रह रहे हैं तो क्या एक राज्य (असम) उन्हें अपना नागरिक मान सकता है?

क्योंकि अरुणाचल में एक खास कानून है जिसे इनर लाइन परमिट (ILP) कहते हैं. इसके तहत बाहर के लोग बिना इजाजत राज्य में नहीं रह सकते.

इसलिए कुछ लोगों का कहना है कि यह कदम भविष्य में कानूनी और सामाजिक समस्याएं पैदा कर सकता है.

इस फैसले के बाद अब मोरन समुदाय के लोग सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और नौकरियों में आवेदन कर सकेंगे और उन्हें असम सरकार की योजनाओं का फायदा मिल सकेगा.

लेकिन अभी भी वे अरुणाचल प्रदेश की योजनाओं और अधिकारों से बाहर हैं क्योंकि अरुणाचल सरकार ने उन्हें अब तक PRC नहीं दिया है.

यह मामला अब धीरे-धीरे राजनीतिक रंग भी पकड़ रहा है. कुछ लोग इसे वोट बैंक से जोड़कर देख रहे हैं, जबकि कुछ इसे सामाजिक न्याय की दिशा में उठाया गया सही कदम बता रहे हैं.

फिलहाल, यह देखना बाकी है कि आगे चलकर अरुणाचल और असम सरकार इस मुद्दे को कैसे सुलझाती हैं.

साथ ही यह भी ज़रूरी है कि किसी समुदाय को उसका हक मिले, लेकिन इससे बाकी लोगों के हक प्रभावित न हों. सभी की नज़र अब आगे आने वाले कदमों पर टिकी हुई है.

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