राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने जनजातीय मामलों के मंत्रालय के सचिव और ओडिशा के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है.
आयोग ने आठ हफ्ते के भीतर ओडिशा की अनुसूचित जनजाति सूची में ‘पुतिया/पुतिया/दुलिया’ समुदायों को शामिल करने के लिए अधिकारियों द्वारा की गई सिफारिश के बारे में जानकारी मांगी है.
मानवाधिकार वकील राधाकांत त्रिपाठी द्वारा दायर याचिका के जवाब में एनएचआरसी ने हाल ही में यह आदेश पारित किया.
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि ओडिशा के कोरापुट और मलकानगिरी जिलों में पुतिया/दुलिया समुदाय को भारत के महापंजीयक (RGI) को आधिकारिक सिफारिशों के बावजूद एसटी का दर्जा नहीं दिया जा रहा है.
एसटी का दर्जा न दिए जाने से इन समुदायों को सामाजिक सुरक्षा लाभ, बुनियादी सुविधाएं, मुफ्त शिक्षा और एसटी को मिलने वाली अन्य कल्याणकारी योजनाओं से वंचित होना पड़ा है.
त्रिपाठी ने आगे आरोप लगाया कि विभिन्न प्रशासनिक अधिकारियों को कई याचिकाएं भेजे जाने के बाद भी राज्य सरकार कार्रवाई करने में विफल रही है, जिसके चलते समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन हुआ है.
याचिकाकर्ता ने एनएचआरसी से इस मामले में हस्तक्षेप करने और ओडिशा के दुलिया/पुतिया समुदाय के लोगों की समस्याओं और दुर्दशा को हल करने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगने का अनुरोध किया.
साथ ही इस समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने और सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ प्रदान करने का अनुरोध किया.
त्रिपाठी ने आगे कहा कि आयोग के विशेष प्रतिवेदक (Special Rapporteur) को गांवों का दौरा करने के लिए नियुक्त किया जाए ताकि पीने योग्य पानी और सड़क संपर्क की कमी जैसी जमीनी स्तर पर लोगों की दुर्दशा का पता लगाया जा सके.
जनजातीय मामलों के मंत्रालय से जानकारी मांगने के अलावा एनएचआरसी ने कोरापुट और मलकानगिरी जिलों के जिलाधिकारियों को याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए विभिन्न कल्याण मुद्दों पर आठ हफ्ते के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया.