HomeAdivasi Dailyमानव तस्करी के शक में नन और बच्चों से घंटों पूछताछ

मानव तस्करी के शक में नन और बच्चों से घंटों पूछताछ

जमशेदपुर में ट्रेन से उतरे 19 नाबालिगों को पांच घंटे तक रोककर पूछताछ की गई.

झारखंड के जमशेदपुर शहर के टाटानगर रेलवे स्टेशन पर शुक्रवार रात एक कैथोलिक नन और 19 आदिवासी नाबालिग बच्चों को रोकने और पूछताछ करने का मामला अब सामने आया.

ये सभी दक्षिण बिहार एक्सप्रेस से ट्रेन से उतरकर स्टेशन पहुंचे थे. उसी समय बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) से जुड़े कुछ लोग वहां पहुंच गए.

स्टेशन पर पहुंचे ये दल मानव तस्करी और जबरन धर्म परिवर्तन का शक जताते हुए उनसे सवाल करने लगे.

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बच्चों और नन को करीब पांच घंटे तक स्टेशन पर रोके रखा गया.

इस दौरान रेलवे पुलिस (जीआरपी) भी मौके पर मौजूद थी.

आयोग की कड़ी प्रतिक्रिया

झारखंड राज्य अल्पसंख्यक आयोग (JSMC) ने इस पूरे मामले का स्वतः संज्ञान लिया है.

आयोग के उपाध्यक्ष प्रणेश सोलोमन ने कहा कि यह अल्पसंख्यकों और आदिवासी समुदाय के लिए गंभीर चिंता का विषय है.

उन्होंने बताया कि आयोग ज़िले के उपायुक्त, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और रेलवे पुलिस को पत्र लिखकर यह जानकारी मांगेगा कि बिना ठोस सबूत के नन और बच्चों को क्यों रोका गया.

सोलोमन ने कहा कि आयोग की टीम सितंबर के आखिरी सप्ताह में जमशेदपुर जाएगी.

टीम स्टेशन अधिकारियों, जिला प्रशासन और उस कैथोलिक संस्था से मुलाकात करेगी जिसने बच्चों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया था.

क्यों आए थे बच्चे

कैथोलिक संस्था ‘समीकित जन विकास केंद्र’ के निदेशक फादर बीरेन्द्र टेटे ने बताया कि ये सभी बच्चे सरायकेला-खरसावां जिले के अलग-अलग गांवों से आए थे.

इनमें 16 लड़कियां और 3 लड़के शामिल थे. सभी अपने माता-पिता की अनुमति से जीवन कौशल (लाइफ स्किल) विकास प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए जमशेदपुर आए थे.

यह प्रशिक्षण शनिवार और रविवार को होना था.

कार्यक्रम करवाने वाली संस्था के निदेशक फादर टेटे ने बताया कि स्टेशन पर हुई पूछताछ और माहौल ने बच्चों को डरा दिया.

कई बच्चे रोने लगे और मानसिक रूप से परेशान हो गए.

इस कारण संस्था ने कार्यक्रम रद्द कर दिया और सभी बच्चों को उनके घरों के लिए वापस भेजना पड़ा.

सोशल मीडिया पर तस्वीरें फैलाने का आरोप

पूर्व जनजातीय सलाहकार परिषद के सदस्य रतन तिर्की ने आरोप लगाया कि पूछताछ के दौरान कुछ लोगों ने बच्चों की तस्वीरें और वीडियो उनकी सहमति के बिना खींचे और सोशल मीडिया पर डाल दिए.

उनका कहना है कि इससे नाबालिग बच्चों की निजता को गंभीर नुकसान पहुंचा है और उनके परिवार भी डरे हुए हैं.

पुलिस की जांच

रेलवे पुलिस की उपाधीक्षक जयंती कुजुर ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है.

अभी तक की जांच में न तो मानव तस्करी का कोई सबूत मिला है और न ही जबरन धर्म परिवर्तन का.

पुलिस ने आश्वासन दिया कि जांच पूरी होने के बाद ही आगे की कार्रवाई तय होगी.

(Image is for representation purpose only.)

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