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मणिपुर: तीन कुकी लोगों के मिले शव, हिंसा के बाद म्यांमार भागे 212 लोगों की हुई वापसी

मणिपुर में हिंसा का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. शुक्रवार को उखरूल जिले के कुकी थोवाई गांव में भारी गोलीबारी के बाद तीन लोगों के क्षत-विक्षत शव मिले.

मणिपुर (Manipur) तीन महीने से अधिक समय से जल रहा है वहां पर जारी जातीय हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. हिंसा की ताजा घटना में शुक्रवार को उखरूल जिले के कुकी थोवाई गांव में भारी गोलीबारी के बाद तीन लोगों के क्षत-विक्षत शव मिले. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

अधिकारियों ने बताया कि हिंसा के हालिया दौर में तांगखुल नगाओं के प्रभुत्व वाले उखरूल जिले में पहली बार हमला हुआ है.

उन्होंने बताया कि ताजा हिंसा लिटान पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले एक गांव में हुई. जहां सुबह-सुबह भारी गोलीबारी की आवाज सुनाई दी. अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने आसपास के गांवों और जंगलों की गहन तलाशी ली और 24 वर्ष से 35 वर्ष की उम्र के तीन लोगों के शव बरामद किए.

अधिकारियों के मुताबिक, तीनों शवों पर धारदार चाकू से हमले के निशान हैं और उनके हाथ-पैर भी कटे हुए हैं.

म्यांमार भागे 212 लोगों की हुई वापसी

वहीं राज्य में जातीय हिंसा के बीच हजारों लोग पड़ोसी राज्यों और पड़ोसी देश में पलायन कर चुके हैं. भारतीय सेना मणिपुर के सीमावर्ती शहर से म्यांमार (Myanmar) गए 212 भारतीयों को सुरक्षित वापस ले आई है. मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने इसके लिए भारतीय सेना का शुक्रिया अदा किया है.

सीएम बीरेन सिंह ने शुक्रवार को ट्विटर पर एक पोस्ट में कहा कि 3 मई को जातीय हिंसा भड़कने पर मणिपुर के सीमावर्ती शहर मोरेह (Moreh) से पड़ोसी देश म्यांमार भाग गए 212 भारतीय सुरक्षित घर लौट आए हैं.

उन्होंने इन लोगों की वापसी के लिए भारतीय सेना को धन्यवाद दिया. इन लोगों में सभी मैतेई समुदाय से हैं.

उन्होंने पोस्ट में कहा, “इन लोगों को घर लाने के लिए भारतीय सेना का बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार. जीओसी पूर्वी कमान, लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता, जीओसी 3 कॉर्प, लेफ्टिनेंट जनरल एचएस साही और 5 एआर के सीओ, कर्नल राहुल जैन का बहुत शुक्रिया.”

मुख्यमंत्री ने साथ ही ये भी कहा कि जातीय-संघर्ष से ग्रस्त राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करना बेहद जरूरी है.

दरअसल, 3 मई को सीमावर्ती शहर मोरेह सहित राज्य में हिंसा भड़कने के बाद मोरेह वार्ड नंबर 4 प्रेमनगर के कई निवासी भारत-म्यांमार अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने के बाद म्यांमार के सागांग डिवीजन के तमू इलाके में शरण ले ली थी और तब से वे पड़ोसी भूमि पर रह रहे थें.

मणिपुर की राजधानी इम्फाल से लगभग 110 किलोमीटर दूर स्थित मोरेह हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से एक था. मोरेह में कुकी, मैतेई और यहां तक कि तमिलों की मिश्रित आबादी रहती है. यहां अन्य समुदाय के भी लोग हैं.

अलग प्रशासन की मांग की तेज़

मणिपुर पिछले 100 से ज्यादा दिन से हिंसा की चपेट में है. अब यहां अलग प्रशासन की मांग उठने लगी है. पिछले दिनों कुकी विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूर्वोत्तर राज्य के कुकी बहुल पहाड़ी इलाकों के लिए एक अलग प्रशानस यानी मुख्य सचिव और डीजीपी की मांग की थी.

इसे लेकर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने भी अपना रुख साफ कर दिया है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हर कोई खुलकर बोल सकता है और सभी इसके हकदार हैं.

दरअसल, बीजेपी के 7 विधायकों सहित 10 कुकी विधायकों ने पिछले बुधवार को पीएम मोदी को एक ज्ञापन सौंपा था. इसमें अनुरोध किया गया था कि राज्य के पांच पहाड़ी जिलों में “कुशल प्रशासन” सुनिश्चित करने के लिए अलग से मुख्य सचिव और डीजीपी के समकक्ष पद स्थापित किए जाएं.

जिन पांच जिलों के लिए उन्होंने यह मांग उठाई है, वे चुराचांदपुर, कांगपोकपी, चंदेल, टेंग्नौपाल और फेरज़ावल हैं.

इसके बाद सद्भावना दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को स्वतंत्र रूप से बोलने का अधिकार है. इस समारोह में कई विधायक मौजूद थे.

सीएम एन बीरेन सिंह ने कहा था कि कुछ गलतफहमियों, निहित स्वार्थों की कार्रवाइयों और देश को अस्थिर करने की विदेशी साजिश के कारण राज्य में कीमती जान-माल का नुकसान हुआ है. उन्होंने सभी से हिंसा रोकने और राज्य में पहले की तरह शांति और तरक्की को वापस लाने का आग्रह किया.

कुकी विधायकों ने अपने ज्ञापन में दावा किया कि जनजातियों से संबंधित IAS, MCS, IPS और MPS अधिकारी काम करने और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हैं. इसके साथ ही कुकी विधायकों ने राज्य में तीन महीने से चले आ रहे जातीय संघर्ष के कारण अपने घर और आजीविका खो चुके समुदाय के लोगों के पुनर्वास के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष से 500 करोड़ रुपये की भी मांग की है.

इससे पहले 10 विधायकों ने पीएम मोदी से मणिपुर के आदिवासी इलाकों के लिए अलग प्रशासन बनाने का आग्रह किया था. लेकिन केंद्र सरकार मणिपुर में कुकी समुदाय की मांगे के आधार पर अलग प्रशासन स्थापित करने के मूड में नहीं है.

(Image Credit: PTI)

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