HomeAdivasi Dailyपालघर में 60 छात्राएं फूड प्वाइजनिंग की वजह से अस्पताल में भर्ती

पालघर में 60 छात्राएं फूड प्वाइजनिंग की वजह से अस्पताल में भर्ती

अधिकारियों के मुताबिक, आदिवासी छात्रावास की छात्रों ने सोमवार रात का खाना खाने के कुछ घंटों बाद उल्टी, मतली, पेट दर्द और बुखार की शिकायत की.

महाराष्ट्र के पालघर जिले के डहानू तालुका में आदिवासियों के लिए एक सरकारी आवासीय विद्यालय में रहने वाली कई छात्राओं के फूड प्वाइजनिंग के चलते बीमार पड़ने का मामला सामने आया है.  

छात्रावास की 60 से अधिक छात्राएं मंगलवार की सुबह फूड प्वाइजनिंग के कारण बीमार पड़ गईं.

सोमवार रात का खाना खाने के बाद छात्राओं में फूड प्वाइजनिंग के लक्षण दिखाई दिए. जैसे-जैसे स्थिति बिगड़ती गई जिले के कई चिकित्सा केंद्रों में 80 से अधिक छात्राओं को भर्ती कराया गया.

हालांकि छात्राओं की हालत स्थिर बताई जा रही है. लेकिन अभी भी वो मेडिकल ऑब्जर्वेशन में हैं.

अधिकारियों को संदेह है कि फूड प्वाइजनिंग का प्रकोप क्षेत्र के विभिन्न सरकारी छात्रावासों में भोजन की आपूर्ति करने वाली सेंट्रल किचन से उत्पन्न हुआ हो सकता है.

वहीं डिप्टी कलेक्टर सुभाष भागाडे ने बताया कि एकीकृत जनजातीय विकास परियोजना (ITDP) के डहानू परियोजना के तहत चल रहे विभिन्न आश्रम स्कूलों के छात्रों ने खाना खाने के कुछ घंटों बाद मतली, उल्टी और चक्कर की शिकायत की. इसके चलते उन्हें जिले के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में भर्ती कराया गया.

लेबोरेटरी एनालिसिस के लिए चावल और दाल समेत खराब खाने और पानी के सैंपल इकट्ठे किए गए हैं. घटना के सटीक कारण का पता लगाने के लिए गहन जांच चल रही है. एहतियात के तौर पर रात का खाना खाने वाले सभी छात्रों का टेस्ट किया जा रहा है.

इसी तरह की एक घटना में हाल ही में मेहरूना गांव में पंडित दीनदयाल उपाध्याय आश्रम पद्धति इंटर कॉलेज के करीब 80 छात्र फूड प्वाइजनिंग के कारण बीमार पड़ गए थे. रविवार रात को खाना खाने के बाद छात्रों को पेट दर्द, उल्टी और दस्त जैसे लक्षण महसूस हुए.

जिला मजिस्ट्रेट दिव्या मित्तल ने आश्वासन दिया कि छात्रों की हालत स्थिर है और जांच जारी है.

मित्तल ने कहा, “छात्रों की हालत स्थिर है और जिम्मेदार पाए जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.”

दो छात्रों, आकाश और नितेश का महर्षि देवराहा बाबा मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है, जबकि अन्य को स्कूल में प्राथमिक उपचार दिया जा रहा है.

ऐसी घटनाएं सिर्फ महाराष्ट्र से ही नहीं बल्कि देश के अलग अलग राज्यों के आदिवासी छात्रावासों से सुनने को मिलती रहती है.

ऐसे में राज्य सरकारों को सरकारी स्कूल और हॉस्टल में मिलने वाले खाने की समय समय पर जांच करवानी चाहिए ताकि इस तरह की और घटनाओं को होने से रोका जा सके.

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