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मणिपुर हिंसा में 59 हज़ार से अधिक लोग हुए विस्थापित : मुख्यमंत्री बीरेन सिंह

मई, 2023 से इंफाल घाटी स्थित मैतेई समुदाय और आसपास के पहाड़ों पर स्थित कुकी-ज़ो के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह (N Biren Singh) ने सोमवार को विधानसभा के चल रहे मानसून सत्र में बताया कि राज्य में हुई हिंसा में 59 हज़ार 564 लोग विस्थापित हुए हैं और इस दौरान हुई आगजनी में 11 हज़ार 133 घर जलकर खाक हो गए हैं.

सीएम सिंह ने बताया कि पिछले साल 3 मई से जारी हिंसा से 18 हज़ार 371 परिवार सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं और इनमें से 14 हज़ार 857 परिवार राहत शिविरों और अस्थायी आश्रयों में रह रहे हैं.

दरअसल, कांग्रेस विधायक के. रंजीत के सवाल का जवाब देते हुए सिंह ने कहा कि राज्य में हुई हिंसा के दौरान आगजनी में 11 हज़ार 133 घर जलकर खाक हो गए.

उन्होंने बताया कि ‘एक परिवार, एक लाख’ योजना के तहत 2,792 लोगों के बैंक खातों में पहली किस्त के तौर पर 25 हज़ार रुपये का भुगतान किया गया है.

सिंह ने बताया कि कांगपोकपी जिले में 2,156 और बिष्णुपुर जिले में 512 बैंक खातों में राशि भेज दी गई है. बाकी की राशि भी जल्द ही भेज दी जाएगी.

सिंह ने कहा, “मंत्रिमंडल ने पहले ही तय कर लिया था कि अब सबसे पहले उन लोगों को राशि दी जाएगी जिनके घर आग में पूरी तरह जल गए हैं.”

उन्होंने कहा कि भूमि स्वामित्व से संबंधित भ्रम के कारण कुछ लोगों को राशि स्वीकृत करने में देरी हुई है.

वहीं कांग्रेस विधायक सुरजकुमार ओकराम के प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने बताया कि संघर्ष के कारण 26 हज़ार 740 बच्चे विस्थापित हुए हैं, जिनमें ज्यादातर लड़कियां हैं.

इससे पहले बीरेन सिंह ने बुधवार को विधानसभा में बताया था कि राज्य में हुई हिंसा में अब तक 226 लोग मारे जा चुके हैं, 39 लोगों के लापता होने की सूचनी मिली है जिससे लोगों में बड़े पैमाने पर निराशा और अनिश्चितता बढ़ गई है.

वहीं हिंसा में 11,133 घरों को आग के हवाले किया जा चुका है जिससे 4,569 घर पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं.

उन्होंने बताया कि अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में अब तक हिंसा से जुड़े 11,892 मामले दर्ज किए जा चुके हैं.

इसके अलावा कृषि क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है. 5,554 किसानों की कृषि भूमि बर्बाद हो गई है, जिससे उनकी आजीविका खतरे में पड़ गई है.

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